हग्गय 2
2
प्राचीन भवन की भव्यता
1सम्राट दारा के शासन-काल के दूसरे वर्ष के सातवें महीने की इक्कीस तारीख को प्रभु ने नबी हग्गय के द्वारा यह सन्देश दिया : 2‘तू यहूदा प्रदेश के राज्यपाल जरूब्बाबेल बेन-शालतिएल, महापुरोहित यहोशुअ बेन-योसादाक तथा इस्राएली कौम के सब बचे हुए लोगों से यह कह : 3“तुम में से कौन लोग जीवित बचे हैं जिन्होंने इस भवन का पहले वाला भव्य रूप देखा है? अब उन्हें यह कैसा लगता है? क्या तुम्हें यह महसूस नहीं होता कि यह रूप उसके सम्मुख कुछ भी नहीं है?।#एज्रा 3:12 4फिर भी, ओ राज्यपाल जरूब्बाबेल, साहसी बन! मैं-प्रभु यह कहता हूँ। ओ महापुरोहित यहोशुअ बेन-योसादाक, साहसी बन! ओ देश के सब लोगो, साहसी बनो! मैं-प्रभु यह कहता हूं : काम करो! मैं स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु तुम्हारे साथ हूं, #नह 4:19-20; भज 34:18 5जैसा मैंने तुम्हें वचन दिया था, जब तुम मिस्र देश से बाहर निकले थे। मेरा आत्मा तुम्हारे मध्य निवास करता है। मत डरो।” #नि 29:45-46 6स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु की यह वाणी सुनो : एक बार फिर मैं पलक झपकाते ही आकाश और पृथ्वी को, जल और थल को कंपा दूंगा।#इब्र 12:26 7मैं समस्त राष्ट्रों को कंपा दूंगा; और तब उनकी समस्त धन-सम्पत्ति इस भवन में अर्पित की जाएगी, और मैं इसको ऐश्वर्य से भर दूंगा। मैं, स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने यह कहा है।#यश 60:5 8सोना मेरा है, चांदी भी मेरी है। स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु की यह वाणी है। 9स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह भी कहता है : मेरे मन्दिर की यह भव्यता पहले वाली भव्यता से अधिक भव्य होगी। मुझ-प्रभु का यह कथन है: मैं इस स्थान को समृद्धि प्रदान करूंगा। स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु की यही वाणी है।’
नबी हग्गय और पुरोहितों में विचार-विमर्श
10सम्राट दारा के शासन-काल के दूसरे वर्ष के नवें महीने कि चौबीस तारीख को प्रभु ने नबी हग्गय के द्वारा यह संदेश दिया : 11‘स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: पुरोहितों से इस समस्या का निदान पूछ: 12“यदि कोई व्यक्ति अपने वस्त्र के छोर में पवित्र मांस को बांध कर ले जाता है और उस छोर से रोटी, पका हुआ भोजन, अंगूर का रस, तेल या अन्य खाद्य पदार्थ छू जाता है, तो क्या वह भी पवित्र हो जाएगा?” ’
पुरोहितों ने उत्तर दिया, ‘नहीं।’
13हग्गय ने पूछा, ‘यदि कोई व्यक्ति लाश को छूने के कारण अशुद्ध हो गया है, और वह इन वस्तुओं में से किसी वस्तु को छू लेता है, तो क्या वह अशुद्ध हो जाएगी?’
पुरोहितों ने जवाब दिया, ‘हां, अशुद्ध हो जाएगी।’#गण 19:11
14तब हग्गय ने कहा, ‘प्रभु का यह कथन है: मेरी दृष्टि में यह कौम, यह राष्ट्र भी ऐसा ही अशुद्ध है। इसका हर काम भी अशुद्ध है। जो चढ़ावा यह चढ़ाता है, वह भी अशुद्ध है। 15अब अपने हृदय में विचार करो, आगे क्या होगा? जब प्रभु-मन्दिर के निर्माण के समय पत्थर की जोड़ाई होने लगी थी, उससे पूर्व तुम्हारी स्थिति कैसी थी? 16उन दिनों में जब कोई व्यक्ति अन्न के ढेर के पास दो सौ किलो#2:16 मूल में, ‘बीस माप’ की आशा से जाता था, तब उसे एक सौ प्राप्त होता था। जब वह अंगूर-रस के कुण्ड के पास जाता और सोचता था कि वह एक सौ लिटर#2:16 मूल में, ‘पचास माप’ रस निकालेगा तब उसे चालीस ही मिलता था। 17मैंने तुम्हारे हर काम को, तुम्हारी समस्त फसल को पाला, गेरूआ और ओलों से नष्ट कर दिया, तो भी तुम मेरी ओर नहीं मुड़े। मुझ-प्रभु का यह कथन है।#आमो 4:6-11
18‘अपने हृदय में विचार करो: आगे क्या होगा? जिस दिन मुझ-प्रभु के मन्दिर की नींव डाली गई थी, उस दिन से, अर्थात् नवें महीने की चौबीसवीं तारीख से, आगे की स्थिति पर विचार करो। 19क्या बीज अब तक बखार में है? क्या अंगूर, अंजीर, अनार और जैतून के वृक्षों में फल नहीं लगे? आज के दिन से मैं तुम्हें आशिष देता रहूंगा।’
जरूब्बाबेल को प्रभु का संदेश
20उसी महीने की चौबीस तारीख को हग्गय को दूसरी बार प्रभु का सन्देश प्राप्त हुआ। 21प्रभु ने यह कहा, ‘यहूदा प्रदेश के राज्यपाल जरूब्बाबेल से यह कह: मैं आकाश और पृथ्वी को कंपानेवाला हूं। 22मैं पृथ्वी के राज्य-सिंहासनों को उलट-पलट दूंगा। मैं राष्ट्रों की राज्य-सत्ता को नष्ट कर दूंगा। रथों और सारथियों को, घोड़ों और घुड़सवारों को पटक दूंगा और वे गिर जाएंगे। वे अपने साथी की तलवार से मौत के घाट उतारे जाएंगे 23मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता हूं: ओ जरूब्बाबेल बेन-शालतिएल, मेरे सेवक, उस दिन मैं तुझे स्वीकार करूंगा। मैं-प्रभु यह कहता हूं: मैं उत्तराधिकार की अंगूठी के सदृश तुझे बनाऊंगा, क्योंकि मैंने तुझे चुना है।’ स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु की यही वाणी है।#यिर 22:24
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