इब्रानियों 10
10
एकमात्र समर्थ बलिदान
1व्यवस्था भावी कल्याण का वास्तविक रूप नहीं, उसकी छाया मात्र दिखाती है। उसके नियमों के अनुसार प्रतिवर्ष बलि ही बलि चढ़ायी जाती है। व्यवस्था उन बलियों के द्वारा आराधकों को सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचाने में असमर्थ है।#इब्र 8:5; 7:19 2यदि वह इस में समर्थ होती, तो बलि चढ़ाना समाप्त हो जाता; क्योंकि तब आराधक एक ही बार में शुद्ध हो जाते और उन में पाप का बोध नहीं रहता। 3किन्तु अब तो उन बलियों द्वारा प्रतिवर्ष पापों का स्मरण दिलाया जाता है।#लेव 16:21 4साँड़ों तथा बकरों का रक्त पाप नहीं हर सकता, 5इसलिए मसीह ने संसार में आ कर यह कहा :
“तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा,
किन्तु तूने मेरे लिए एक शरीर तैयार किया
है। #भज 40:6-8
6तू न तो होम-बलि से प्रसन्न हुआ और न पाप-
बलि से;
7इसलिए मैंने कहा—हे परमेश्वर!
मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ,
जैसा कि धर्मग्रन्थ के कुण्डल पत्र में
मेरे विषय में लिखा हुआ है।”
8ऊपर के उद्धरण में मसीह का कथन है, “तूने यज्ञ, चढ़ावा, होम-बलि अथवा पाप-बलि नहीं चाही। तू उन से प्रसन्न नहीं हुआ” यद्यपि ये सब बलि व्यवस्था के अनुसार ही चढ़ायी जाती हैं। 9तब मसीह का यह भी कथन है, “देख, मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ।” इस प्रकार वह पहले को रद्द करते और दूसरे का प्रवर्त्तन करते हैं। 10उसी ईश्वरीय इच्छा के अनुसार, येशु मसीह की देह के अर्पण द्वारा, जो सदा के लिए एक ही बार सम्पन्न हुआ, हम पवित्र किये गये हैं।#इब्र 9:12,28
11प्रत्येक पुरोहित खड़ा होकर प्रतिदिन धर्म-अनुष्ठान करता है और निरन्तर निर्धारित बलियां चढ़ाया करता है, जो पापों को कदापि दूर नहीं कर सकती हैं।#नि 29:38; गण 28:3 12किन्तु मसीह, पापों के लिए एक ही बलि चढ़ाने के बाद, सदा के लिए परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान हो गये हैं, 13जहाँ वह उस समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब उनके शत्रु उनके चरणों की चौकी बनेंगे।#भज 110:1 14मसीह ने अपने एकमात्र अर्पण द्वारा उन लोगों को सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचा दिया है, जिनको वह पवित्र करते हैं। 15इसके सम्बन्ध में पवित्र आत्मा की साक्षी भी हमारे पास है। क्योंकि धर्मग्रन्थ में प्रभु के इस कथन के पश्चात् कि 16“समय आने पर मैं उनके लिए यह विधान निर्धारित करूँगा”, प्रभु कहता है : “मैं अपने नियम उनके हृदय में रखूंगा, मैं उन्हें उनके मन पर अंकित करूँगा#इब्र 8:10; यिर 31:33 17और मैं उनके पापों और अपराधों को स्मरण भी नहीं रखूंगा।”#इब्र 8:12; यिर 31:34 18जब पाप क्षमा कर दिये गये हैं, तो फिर पाप के लिए बलि-अर्पण की आवश्यकता नहीं रही।
हम विश्वास के साथ परमेश्वर के पास आएं
19भाइयो और बहिनो! अब हम पूर्ण भरोसा करते हैं कि येशु के रक्त द्वारा हम “पवित्र-स्थान” में प्रवेश कर सकते हैं।#इब्र 9:8,24 20उन्होंने हमारे लिए एक नवीन तथा जीवन्त मार्ग खोल दिया, जो उनकी देह रूपी परदे से हो कर जाता है।#मत 27:51; यो 14:6; इब्र 9:11-12 21अब हमें एक महान् पुरोहित प्राप्त हैं, जो परमेश्वर के भवन#10:21 अथवा, “घराने”। पर नियुक्त किये गये हैं।#जक 6:11; गण 12:7 22इसलिए हम अपने दोषी अंत:करण से शुद्ध होने के लिए हृदय पर छिड़काव कर और अपने शरीर को स्वच्छ जल से धो कर निष्कपट हृदय से तथा पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर के पास आएं।#यहेज 36:25; इफ 5:26 23हम अपनी आशा की साक्षी देने में अटल एवं दृढ़ बने रहें, क्योंकि जिसने हमें वचन दिया है, वह विश्वसनीय है।#इब्र 4:14 24हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किस प्रकार प्रेम तथा परोपकार के लिए एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं।#इब्र 13:1
25हम अपनी सभाओं में एकत्र होना न छोड़ें, जैसा कि कुछ लोग किया करते हैं, बल्कि हम एक दूसरे को ढाढ़स बंधाएं। जब आप उस दिन को निकट आते देख रहे हैं, तो ऐसा करना और भी आवश्यक हो जाता है।#इब्र 3:13; प्रे 2:42
26क्योंकि सत्य का ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी यदि हम जान-बूझ कर पाप करते रहते हैं, तो पापों के लिए कोई बलि शेष नहीं रह जाती,#इब्र 6:4-8; 1 तिम 2:4 27एक भयानक आशंका ही शेष रह जाती है−न्याय की, और एक भीषण अग्नि की, जो विद्रोहियों को निगल जाना चाहती है।#यश 26:11 (यू. पाठ) 28जो व्यक्ति मूसा की व्यवस्था का उल्लंघन करता है, यदि उसे दो या तीन गवाहों के आधार पर निर्ममता से प्राण-दण्ड दिया जाता है,#गण 15:30; 35:30; व्य 17:6 29तो आप लोग विचार करें कि जो व्यक्ति परमेश्वर के पुत्र का तिरस्कार करता है, विधान के उस रक्त को तुच्छ समझता है जिस के द्वारा वह पवित्र किया गया था, और अनुग्रह के आत्मा का अपमान करता है, तो ऐसा व्यक्ति कितने घोर दण्ड के योग्य समझा जायेगा;#इब्र 2:3; नि 24:8 30क्योंकि हम जानते हैं कि किसने यह कहा है, “प्रतिशोध लेना मेरा अधिकार है, मैं ही बदला लूँगा” और फिर, “प्रभु अपनी प्रजा का न्याय करेगा।”#व्य 32:35-36; भज 135:14; रोम 12:19; इब्र 12:29 31जीवन्त परमेश्वर के हाथ पड़ना कितनी भयंकर बात है!
32आप लोग उन बीते दिनों को स्मरण करें जब आप ज्योति मिलने के तुरन्त बाद, दु:खों के घोर संघर्ष का सामना करते हुए, दृढ़ बने रहे।#इब्र 6:4 33आप लोगों में कुछ को सब के देखते-देखते अपमान और अत्याचार सहना पड़ा, अथवा कुछ को ऐसी स्थिति में पड़े हुओं के भागीदार बनना पड़ा।#1 कुर 4:9 34आपने बन्दियों से सहानुभूति रखी और जब आप लोगों की धन-सम्पत्ति जब्त की गयी, तो आप ने यह सहर्ष स्वीकार किया; क्योंकि आप जानते थे कि इससे कहीं अधिक उत्तम और चिरस्थायी सम्पत्ति आपके पास विद्यमान है।#मत 6:20; 19:21,29 35इसलिए आप लोग अपना वह पूर्ण भरोसा नहीं छोड़ें-इसका पुरस्कार महान् है।#इब्र 11:6
36आप लोगों को धैर्य की आवश्यकता है, जिससे परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के बाद आप को वह मिल जाये, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर कर चुका है;#इब्र 6:12; लू 21:19 37क्योंकि धर्मग्रन्थ यह कहता है, “जो आने वाला है, वह थोड़े ही समय बाद आयेगा। वह देर नहीं करेगा।#यश 26:20; हब 2:3-4 (यू. पाठ); लू 21:28; याक 5:8 38मेरा धार्मिकजन विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा; किन्तु यदि कोई पीछे हटे, तो मैं उस पर प्रसन्न नहीं होऊंगा।”#रोम 1:17; गल 3:11 39हम उन लोगों में से नहीं हैं, जो हटने के कारण नष्ट हो जाते हैं, बल्कि हम उन लोगों में से हैं, जो अपने विश्वास द्वारा जीवन#10:39 शब्दश: “प्राण की सुरक्षा”। प्राप्त करते हैं।
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