यशायाह 34
34
एदोम का विनाश#यश 61:1-6; यिर 49:7-22; यहेज 25:12-14; 35; आमो 1:11-12; मल 1:2-5
1ओ राष्ट्रो, प्रभु का संदेश सुनने के लिए
समीप आओ!
ओ कौमो, ध्यान दो!
संसार और उस में रहनेवाले सब प्राणी,
पृथ्वी और उस पर उत्पन्न होनेवाली समस्त
वस्तुएं
प्रभु की यह वाणी सुनें:
2प्रभु सब राष्ट्रों से क्रुद्ध है;
उनकी समस्त सेनाओं पर
उसकी क्रोधाग्नि भड़क उठी है।
उसने उनका संहार करने का निश्चय किया है;
उनका वध करने के लिए
शत्रु के हाथ में उन्हें सौंप दिया है।
3उनके लोगों के शव फेंक दिए जाएंगे,
उनकी लाशों की सड़ांध फैल जाएगी।
उनके खून से पहाड़ भी डूब जाएंगे!
4आकाश के तारा-गण बुझ जाएंगे!
विस्तृत आकाश खर्रे के कागज की तरह
लपेटा जाएगा।
जैसे अंजीर वृक्ष से पत्ते झड़ते हैं,
जैसे अंगूर की लता से पत्तियां गिरती हैं
वैसे आकाश के तारे गिरेंगे!#प्रक 6:13-14
5प्रभु की तलवार स्वर्ग में रक्त से तृप्त हो
चुकी,
देखो, वह एदोम राष्ट्र को,
उन लोगों को, जिनका संहार करने का उसने
निश्चय किया है,
दण्ड देने के लिए उतर रही है।
6प्रभु के पास एक तलवार है,
वह रक्त रंजित है।
वह चरबी में डूबी हुई है।
वह मेमनों और बकरों के रक्त से,
मेढ़ों के गुर्दों की चरबी से सनी है;
क्योंकि प्रभु ने एदोम देश की राजधानी
बोस्रा में
पशुओं की बलि की है,
एदोम में महावध किया है।
7जंगली सांड़ और भैंसे,
बैल और बछड़े वध किए जाएंगे।
उनके रक्त से भूमि की प्यासी बुझेगी;
उनकी चरबी से मिट्टी उपजाऊ होगी।
8प्रभु के प्रतिशोध का दिन निर्धारित है;
सियोन के बदले का वर्ष नियत है;
तब प्रभु, जो सियोन का महायोद्धा है,
प्रतिकार करेगा।
9एदोम की नदियां राल में,
उसकी भूमि गंधक में,
सारा देश जलते हुए राल में
परिणत हो जाएगा।
10रात-दिन वह जलता रहेगा,
और बुझेगा नहीं।
उसका धुआँ निरन्तर उठता रहेगा।
पीढ़ी दर पीढ़ी वह उजाड़ पड़ा रहेगा।
कभी कोई मनुष्य उस पर से नहीं गुजरेगा।#प्रक 14:11
11धनेशपक्षी और साही उस पर राज्य करेंगे,
उल्लू और कौवे उस में निवास करेंगे।
प्रभु उसको संभ्रम के माप से नापेगा;
वह उसके कुलीनों पर अव्यवस्था का
साहुल तानेगा।#यश 13:20-22
12लोग कहेंगे, ‘वहां कोई राज्य नहीं करता!’
उसके सामन्तों का अस्तित्व ही नहीं रहेगा।
13उसके महलों में कांटे उगेंगे,
और उसके किलों में बिच्छु पौधे और
झाड़-झंखाड़।
वह गीदड़ों की मांद बन जाएगा,
वहां शुतुरमुर्ग निवास करेंगे।
14वहां वन-पशु लकड़बग्घों से मिलेंगे।
अजासुर अपने साथी को पुकारेगा,
वहां भूतिनी रहेगी।
वह विश्राम-स्थान पाकर
वहां चैन से रहेगी।
15वहां उल्लू अपना घोंसला बनाएगा;
और मादा उल्लू अण्डे देगी,
और उनको सेएगी।
वह अपने पंखों की छाया में
अपने बच्चों को रखेगी।
वहां चीलें भी अपने-अपने जोड़े के साथ
एकत्र होंगी।
16प्रभु के ग्रन्थ में ढूंढ़ो, और उसको पढ़ो।
उपरोक्त पक्षियों में से
एक भी नहीं छूटा;
एक भी पक्षी बिना अपने जोड़े के नहीं
रहेगा।
प्रभु ने अपने मुख से यह आदेश दिया है,
उसके आत्मा ने उन्हें एकत्र किया है।
17प्रभु ने चिट्ठी डालकर
उनका स्थान निर्धारित किया है;
अपने ही हाथों से डोरी से नापकर
उनका भाग बांट दिया है।
वे अपने-अपने भूमिभाग पर सदा बसे
रहेंगे;
वे पीढ़ी दर पीढ़ी उस पर निवास करेंगे।
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यशायाह 34: HINCLBSI
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