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यशायाह 9

9
शान्‍ति के शासक का जन्‍म और राज्‍य
1 # 9:1 इस पद का यह अनुवाद भी हो सकता है : “प्राचीन काल में उसने जबूलून और नफ्‍ताली की जनता को अपमानित किया था, पर अन्‍तिम दिनों में वह झील की ओर यर्दन नदी के उस पार के गलील प्रदेश को, जहाँ अन्‍य कौमों के लोग बस गए हैं, महिमा प्रदान करेगा।” जो भूमि व्‍यथा सह रही थी,
अब वह उस निराशा से मुक्‍त हो जाएंगी।
प्रथम आक्रमणकारी ने
जबूलून और नफ्‍ताली क्षेत्र की जनता पर
अत्‍याचार किया था,
पर दूसरे आक्रमणकारी ने
सागर के पथ से
यर्दन नदी के उस पार के गलील प्रदेश पर
जहाँ अन्‍य कौमों के लोग बस गए हैं,
भयानक आक्रमण किया।#9:1 मूल में, अध्‍याय 8:23 #मत 4:15-16; लू 1:79; यो 8:12
2जो लोग अन्‍धकार में भटक रहे थे,
उन्‍होंने बड़ी ज्‍योति देखी;
जो लोग गहन अन्‍धकार के क्षेत्र में रहते थे,
उन पर ज्‍योति उदित हुई।
3प्रभु, तूने इस्राएली राष्‍ट्र की समृद्धि की;
तूने उसके आनन्‍द में समृद्धि की;
जैसे वे लूट का माल
परस्‍पर बांटते समय उल्‍लसित होते हैं,
जैसे वे फसल-कटाई के पर्व पर हर्षित होते हैं,
वैसे ही आज तेरे सम्‍मुख आनन्‍द मना रहे हैं।
4तूने इस्राएली राष्‍ट्र की गुलामी के जूए को,
उसके कन्‍धे की कांवर को,
अत्‍याचारी की लाठी को तोड़ दिया है,
जैसे मिद्यानी सेना के युद्ध-दिवस पर तूने
किया था।#शास 7:22
5पदाति सैनिकों के जूते
जो धब-धब करते हुए चलते हैं,
और उनके रक्‍त-रंजित वस्‍त्र
आग के कौर बन गए।
6देखो, हमारे लिए एक बालक का जन्‍म हुआ है;
हमें एक पुत्र दिया गया है।
राज-सत्ता उसके कंधों पर है।
उसका यह नाम रखा जाएगा :
‘अद्भुत् परामर्शदाता’,
‘शक्‍तिमान ईश्‍वर’,
‘शाश्‍वत पिता’,
‘शान्‍ति का शासक’#9:6 अथवा, ‘कल्‍याणकारी शासक’ #उत 49:10; 2 शम 7:12-16; भज 2:7; मत 28:18; लू 2:11
7उसकी राज्‍य-सत्ता बढ़ती जाएगी,
उसके कल्‍याणकारी कार्यों का अन्‍त
न होगा।
वह दाऊद के सिंहासन पर बैठेगा,
और उसके राज्‍य को संभालेगा।
वह अब से लेकर सदा के लिए
न्‍याय के कार्यों से उसको सुदृढ़ करेगा,
अपने धार्मिक आचरण से उसे सम्‍भालेगा।
स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु का धर्मोत्‍साह
यह कार्य पूर्ण करेगा!#दान 2:44; जक 9:9-10; लू 1:32; कुल 1:20
इस्राएल के प्रति प्रभु का क्रोध
8स्‍वामी ने याकूब अर्थात् इस्राएल के विरुद्ध
यह सन्‍देश भेजा है;
और यह सच प्रमाणित होगा।
9सब लोग यह जानेंगे,
एफ्रइम राज्‍य के लोग,
सामरी नगर के निवासी
जो अहंकार से,
घमण्‍ड से यह कहते हैं,
10‘ईंटों की दीवार गिर गई तो क्‍या हुआ!
हम पक्‍के तत्‍थरों की पक्‍की दीवार खड़ी
कर लेंगे।
गूलर-वृक्ष कट गए तो क्‍या हुआ?
हम उनके स्‍थान पर देवदार के वृक्ष
उगाएंगे।’
11उनकी इस गर्वोिक्‍त के कारण
प्रभु ने उनके विरुद्ध बैरियों को खड़ा किया है,
वह उनके शत्रुओं को भड़का रहा है।
12पूर्व दिशा से सीरियाई सेना,
पश्‍चिमी दिशा से पलिश्‍ती सेना
इस्राएल पर आक्रमण करेंगी;
वे मुंह फाड़कर इस्राएल को निगल जाएंगी।
प्रभु का क्रोध इस विनाश के बाद भी शान्‍त
नहीं होगा।
विनाश के लिए उसका हाथ अब तक उठा
हुआ है।
13जिनको प्रभु ने ताड़ित किया था,
वे फिर भी प्रभु की ओर नहीं लौटे,
उन्‍होंने स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु को नहीं
खोजा।#यिर 5:3
14अत: प्रभु ने इस्राएल राष्‍ट्र के सिर
और उसकी पूंछ को काट दिया;
एक ही दिन में उसने
इस्राएल के धनी और निर्धन वर्ग#9:14 अक्षरश: ‘खजूर की शाखा’ और ‘सरकण्‍डा’। का विनाश
कर दिया।
15धर्मवृद्ध और प्रतिष्‍ठित व्यक्‍ति
समाज का सिर हैं,
झूठी शिक्षा देनेवाले नबी पूंछ हैं।
16ये लोग जनता का नेतृत्‍व करते,
और उसको गलत मार्ग पर ले जाते हैं।
गलत मार्ग पर जानेवाली जनता
नष्‍ट हो जाती है।
17अत: स्‍वामी इन लोगों के नवयुवकों से प्रसन्न
नहीं है,
और न वह उनके अनाथ बच्‍चों पर,
और न उनकी विधवा स्‍त्रियों पर
दया करता है।
ये सब भक्‍तिहीन और कुकर्मी हैं;
हर आदमी मूर्खतापूर्ण बातें करता है।
प्रभु का क्रोध इस विनाश के बाद भी
शान्‍त नहीं होगा;
विनाश के लिए उसका हाथ
अब तक उठा हुआ है।
18दुष्‍टता अग्‍नि के सदृश धधकती है;
वह कंटीले झाड़-झंखाड़ को भस्‍म करती है।
वह जंगल की घनी झाड़ियों में भी आग
लगाती है,
और मनुष्‍य
धूएँ के घने बादल में सिमट कर ऊपर लुप्‍त
हो जाते हैं।
19स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु के क्रोध से समस्‍त
देश जल गया;
जनता अग्‍नि का कौर बन गई।
भाई, भाई पर दया नहीं करता।
20वे दाहिनी ओर से छीन-झपट कर खाते हैं;
फिर भी उनकी भूख मिटती नहीं;
वे बायीं ओर से भकोसते हैं,
फिर भी सन्‍तुष्‍ट नहीं होते।
वे अपनी सन्‍तान का भी मांस खा रहे हैं।
21मनश्‍शे इफ्रइम को खा रहा है,
और इफ्रइम मनश्‍शे को।
वे दोनों मिलकर यहूदा को खा रहे हैं।
प्रभु का क्रोध इस विनाश के बाद भी शान्‍त
नहीं होगा;
विनाश के लिए उसका हाथ अब तक
उठा हुआ है।

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