YouVersion Logo
Search Icon

योहन 17

17
महापुरोहित मसीह की प्रार्थना
1यह सब कहने के पश्‍चात् येशु अपनी आँखें स्‍वर्ग की ओर उठा कर बोले, “पिता! समय आ गया है। अपने पुत्र को महिमान्‍वित कर, जिससे पुत्र तेरी महिमा करे।#यो 11:41; 13:1 2तूने उसे समस्‍त मानवजाति पर अधिकार दिया है, जिससे वह उन सब को शाश्‍वत जीवन प्रदान करे, जिन्‍हें तूने उसे सौंपा है।#मत 11:27 3वे तुझे, एकमात्र सच्‍चे परमेश्‍वर को और येशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जान लें− यही शाश्‍वत जीवन है।#1 यो 5:20; 1 थिस 1:9; प्रज्ञ 15:3
4“जो कार्य तूने मुझे करने को दिया था, वह मैंने पूरा किया और इस प्रकार पृथ्‍वी पर तेरी महिमा की।#यो 4:34 5अब तू, हे पिता! अपनी उपस्‍थिति में मुझे उस महिमा से महिमान्‍वित कर, जो संसार की उत्‍पत्ति से पहले तेरी उपस्‍थिति में मेरी थी।#यो 1:1; 17:24
6“तूने जिन लोगों को संसार में से चुन कर मुझे सौंपा, उन पर मैंने तेरा नाम प्रकट किया है। वे तेरे थे। तूने उन्‍हें मुझे सौंपा और उन्‍होंने तेरे वचन का पालन किया है।#यो 17:9; मत 6:9 7अब वे जानते हैं कि जो कुछ तूने मुझे दिया है, वह तुझ से है। 8क्‍योंकि तूने जो सन्‍देश मुझे दिया, वह मैंने उन्‍हें दे दिया। वे उसे ग्रहण कर सचमुच यह जान गये कि मैं तुझ से आया हूँ और उन्‍होंने यह विश्‍वास किया है कि तूने मुझे भेजा।#यो 16:30
9“मैं उनके लिए प्रार्थना कर रहा हूँ। मैं संसार के लिए नहीं, बल्‍कि उनके लिए प्रार्थना कर रहा हूँ, जिन्‍हें तूने मुझे सौंपा है; क्‍योंकि वे तेरे हैं।#यो 6:37,44 10जो कुछ मेरा है, वह तेरा है और जो तेरा है वह मेरा है। मैं उनमें महिमान्‍वित हुआ हूँ।#यो 16:15; लू 15:31
11“अब मैं संसार में नहीं रहूँगा; परन्‍तु वे संसार में रहेंगे और मैं तेरे पास आ रहा हूँ। परमपावन पिता! अपने उस नाम में जो तूने मुझे दिया है उन्‍हें सुरक्षित रख, जिससे वे एक हों जैसे हम एक हैं।#यो 10:30; मत 6:13 12जब तक मैं उनके साथ रहा, तेरे उस नाम में, जो तूने मुझे दिया है, मैंने उनकी रक्षा की। विनाश के पुत्र को छोड़कर उन में कोई भी नष्‍ट नहीं हुआ, जिससे धर्मग्रन्‍थ का लेख पूरा हो।#यो 6:39; भज 41:9; 109:8; 2 थिस 2:3
13“परन्‍तु अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ। जब तक मैं संसार में हूँ, यह सब कह रहा हूँ जिससे उन्‍हें मेरा आनन्‍द पूर्ण रूप से प्राप्‍त हो।#यो 15:11 14मैंने उन्‍हें तेरा वचन प्रदान किया है। संसार ने उनसे बैर किया, क्‍योंकि जिस तरह मैं संसार का नहीं हूँ, उसी तरह वे भी संसार के नहीं हैं।#यो 15:19 15मैं यह प्रार्थना नहीं करता कि तू उन्‍हें संसार से उठा ले, बल्‍कि यह कि तू उन्‍हें बुराई#17:15 अथवा, “दुष्‍ट शैतान” से बचा।#2 थिस 3:3; 1 यो 5:18; मत 6:13; लू 22:32 16वे संसार के नहीं हैं, जिस तरह मैं संसार का नहीं हूँ।
17“तू सत्‍य से उन्‍हें पवित्र कर। तेरा वचन सत्‍य है।#यो 6:63 18जिस तरह तूने मुझे संसार में भेजा है, उसी तरह मैंने भी उन्‍हें संसार में भेजा है।#यो 20:21 19मैं उनके लिए अपने को समर्पित#17:19 शब्‍दश:, “पवित्र” करता हूँ, जिससे वे भी सत्‍य के द्वारा समर्पित हो जाएँ।#इब्र 10:10
20“मैं न केवल उनके लिए प्रार्थना करता हूँ, बल्‍कि उनके लिए भी जो उनका संदेश सुन कर मुझ में विश्‍वास करेंगे,#यो 17:9 21कि वे सब एक हों। पिता! जिस तरह तू मुझ में है और मैं तुझ में, उसी तरह वे भी हम में एक हों, जिससे संसार यह विश्‍वास करे कि तूने मुझे भेजा है।#गल 3:28
22“तू ने मुझे जो महिमा प्रदान की, वह मैंने उन्‍हें दे दी है, कि जैसे हम एक हैं, वैसे वे भी एक हों#प्रे 4:32 : 23मैं उन में और तू मुझ में, जिससे वे पूर्ण रूप से एक हो जाएँ और संसार यह जान ले कि तूने मुझे भेजा है और जिस प्रकार तूने मुझ से प्रेम किया, उसी प्रकार उनसे भी प्रेम किया है।#1 कुर 6:17; गल 2:20
24“पिता! मैं चाहता हूँ कि तूने जिन्‍हें मुझे सौंपा है, वे, जहाँ मैं हूँ, मेरे साथ रहें, जिससे वे मेरी महिमा देख सकें, जो तूने मुझे प्रदान की है; क्‍योंकि तूने संसार की नींव रखी जाने से पूर्व मुझ से प्रेम किया है।#यो 10:29; 12:26; इफ 1:4
25“हे धर्ममय पिता! संसार ने तुझे नहीं जाना। परन्‍तु मैंने तुझे जाना है और वे जान गये कि तूने मुझे भेजा है। 26मैंने उन्‍हें तेरा नाम बताया है और बताता रहूँगा, जिससे तूने जो प्रेम मुझे दिया, वह प्रेम उनमें बना रहे और मैं भी उन में बना रहूँ।”

Currently Selected:

योहन 17: HINCLBSI

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in