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अय्‍यूब 42

42
अय्‍यूब की स्‍वीकारोिक्‍त : ‘मैं परमेश्‍वर का भेद न समझ सका’
1तब अय्‍यूब ने प्रभु को उत्तर दिया,
2‘मैं जानता हूँ कि तू सब-कुछ कर
सकता है;
तेरी कोई भी योजना निष्‍फल नहीं होती।#लू 1:37
3तूने कहा था : “वह कौन है जो अज्ञान की
बातों से
मेरी योजनाओं पर परदा डालता है?”
इसलिए जो बातें मैं नहीं समझता हूँ,
उनको मैंने कहा;
ऐसी अनोखी बातें मैंने कहीं,
जिनका अर्थ तक मैं नहीं जानता था।
4तूने मुझसे कहा था,
“मेरी बात को सुन,
मैं तुझसे प्रश्‍न करूँगा;
और तुझे मेरे प्रश्‍न का उत्तर देना होगा।” #अय्‍य 38:3
5प्रभु, मैंने तेरे विषय में
केवल कानों से सुना था,
पर अब मेरी आँखें तुझे देखती हैं।#यश 6:5
6अत: मुझे अपने ऊपर ग्‍लानि होती है;
मैं धूलि और राख में लेट कर पश्‍चात्ताप
करता हूँ।’#दान 9:3
अय्‍यूब का उद्धार
7जब प्रभु अय्‍यूब से ये बातें कह चुका तब वह तेमान नगर के रहने वाले एलीपज से बोला, ‘मेरा क्रोध तेरे प्रति और तेरे दोनों मित्रों पर भड़क उठा है, क्‍योंकि तुमने मेरे विषय में सच्‍चाई को प्रकट नहीं किया, वरन् मेरे सेवक अय्‍यूब ने मेरी सच्‍चाई को प्रकट किया है। 8अब तुम्‍हारे अपराध का यह प्रायश्‍चित्त है कि तुम सात बछड़े और सात मेढ़े लेकर मेरे सेवक अय्‍यूब के पास जाओ, और अपनी ओर से मुझको अग्‍नि-बलि चढ़ाओ। मेरा सेवक अय्‍यूब तुम्‍हारे लिए मुझसे प्रार्थना करेगा, और मैं उसकी प्रार्थना स्‍वीकार करूँगा। तब मैं तुम्‍हारी मूर्खतापूर्ण बातों के लिए तुम्‍हें दण्‍ड न दूँगा। तुमने मेरे विषय में सच नहीं कहा, किन्‍तु मेरे सेवक अय्‍यूब ने सच कहा है।’#यहेज 14:20; याक 5:16; इब्र 7:25
9अत: जैसा प्रभु ने तेमान नगर के एलीपज, शूही वंश के बिलदद और नामाह नगर के सोपर से कहा, वैसा ही उन्‍होंने किया। तब प्रभु ने अय्‍यूब की प्रार्थना स्‍वीकार की और उसके मित्रों को दण्‍ड नहीं दिया।
10जब अय्‍यूब अपने मित्रों की क्षमा के लिए प्रार्थना कर चुका तब प्रभु ने उसकी स्‍थिति पहले जैसी ही कर दी। उसने उसका दु:ख दूर कर दिया। जितनी धन-सम्‍पत्ति अय्‍यूब के पास पहले थी, उसका दुगुना प्रभु ने अय्‍यूब को लौटा दिया।#अय्‍य 1:1-3
11तब अय्‍यूब के सब भाई-बहिन और सब पूर्व-परिचित लोग उसके पास आए; और उन्‍होंने उसके घर में उसके साथ भोजन किया। जो विपत्ति प्रभु ने अय्‍यूब पर डाली थी, उसके लिए उन्‍होंने अय्‍यूब के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित की, और उसको सांत्‍वना दी। भेंट के रूप में उन्‍होंने अय्‍यूब को एक-एक अशर्फी और सोने की एक-एक अंगूठी दी।
12जो आशिष प्रभु ने अय्‍यूब को पहले दी थी, उससे कहीं अधिक अब दी: अय्‍यूब के पास चौदह हजार भेड़-बकरियाँ, छ: हजार ऊंट, एक हजार जोड़ी बैल, और एक हजार गदहियाँ हो गईं। 13उसके सात पुत्र और तीन पुत्रियाँ भी हुईं। 14उसने अपनी पुत्रियों के नाम इस प्रकार रखे: पहली का नाम यमीमा, दूसरी का नाम कसीआ, और तीसरी का नाम केरेन्‍हप्‍पूक। 15उस देश में अय्‍यूब की पुत्रियों के समान रूपवती और कोई कन्‍या न थी। उनके पिता अय्‍यूब ने उनके भाइयों के साथ ही उनको भी अपनी सम्‍पत्ति में हिस्‍सा दिया।
16अपने दु:ख-भोग के बाद अय्‍यूब एक सौ चालीस वर्ष तक जीवित रहा। उसने चार पीढ़ियों तक अपनी संतान को देखा। 17इस प्रकार अय्‍यूब अपनी दीर्घायु पूर्णत: भोगकर वृद्धावस्‍था में चिर-निद्रा में सो गया।#उत 25:8

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