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यहूदा भूमिका

भूमिका
“संत यहूदा का पत्र” झूठे धर्मशिक्षकों से सावधान रहने के उद्देश्‍य से लिखा गया था। ये झूठे धर्मशिक्षक स्‍वयं को प्रभु येशु पर विश्‍वास करने वाले “ज्ञानी” मानते थे। इस पत्र की विषय-सामग्री “संत पतरस के दूसरे पत्र” की विषय-सामग्री से मिलती-जुलती है। “संत यहूदा के पत्र” का लेखक अपने पाठकों के उत्‍साह को बढ़ाते हुए कहता है, “मुझे आवश्‍यक प्रतीत हुआ कि तुम्‍हें उस विश्‍वास की रक्षा के लिए प्रोत्‍साहित करूँ, जो संतों को सदा के लिए मिला है।” इस पत्र की विशेषता यह है कि लेखक यहूदियों के व्‍यापक धर्मसाहित्‍य का उल्‍लेख करता है।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
अभिवादन पद 1-2
झूठे धर्मशिक्षक का दुश्‍चरित्र पद 3-16
विश्‍वास पर स्‍थिर रहने के लिए प्रबोधन पद 17-23
आशिष-वचन पद 24-25

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