लूकस 23
23
1तब सारी सभा उठी और वे उन्हें राज्यपाल पिलातुस के यहाँ ले गये।#मत 27:2,11-31; मक 15:1-20; यो 18:28—19:16
रोमन राज्यपाल पिलातुस के सामने पहली पेशी
2वे यह कहते हुए येशु पर अभियोग लगाने लगे, “हम ने इस मनुष्य को हमारी जाति को पथभ्रष्ट करते, सम्राट को कर देने से लोगों को मना करते और अपने आप को मसीह एवं राजा कहते सुना है।”#लू 20:25 3पिलातुस ने येशु से यह प्रश्न किया, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?” येशु ने उत्तर दिया, “आप स्वयं कह रहे हैं।”#1 तिम 6:13 4तब पिलातुस ने महापुरोहितों और भीड़ से कहा, “मैं इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाता।” 5उन्होंने यह कहते हुए आग्रह किया, “यह गलील प्रदेश से ले कर यहाँ तक यहूदा प्रदेश के कोने-कोने में अपनी शिक्षा से जनता को विद्रोह के लिए भड़काता है।”
6पिलातुस ने यह सुन कर पूछा, “क्या यह मनुष्य गलील-निवासी है?” 7और यह जान कर कि वह गलील के शासक हेरोदेस के अधिकार-क्षेत्र से हैं, उसने येशु को हेरोदेस के पास भेज दिया। वह भी उन दिनों यरूशलेम में ही था।#लू 3:1
शासक हेरोदेस के दरबार में
8हेरोदेस येशु को देख कर बहुत प्रसन्न हुआ। वह बहुत समय से उन्हें देखना चाहता था, क्योंकि उसने येशु की चर्चा सुनी थी और उनका कोई चमत्कार देखने की आशा करता था।#लू 9:9 9वह येशु से बहुत-से प्रश्न करता रहा, परन्तु उन्होंने उसे उत्तर नहीं दिया। 10इस बीच महापुरोहित और शास्त्री वहाँ खड़े थे; वे येशु पर उग्रतापूर्वक अभियोग लगाते रहे। 11तब हेरोदेस ने अपने सैनिकों के साथ येशु का अपमान तथा उपहास किया और उन्हें भड़कीला वस्त्र पहना कर पिलातुस के पास वापस भेज दिया। 12उसी दिन हेरोदेस और पिलातुस परस्पर मित्र बन गये। इससे पहले उन में शत्रुता थी।
पिलातुस के सामने दूसरी पेशी
13अब पिलातुस ने महापुरोहितों, शासकों और जनता को बुला कर 14उन से कहा, “आप लोगों ने यह अभियोग लगा कर इस मनुष्य को मेरे सामने पेश किया कि यह जनता को भ्रष्ट करता है। मैंने आपके सामने इसकी जाँच की; परन्तु आप इस मनुष्य पर जिन बातों का अभियोग लगाते हैं, उनके विषय में मैंने इस में कोई दोष नहीं पाया 15और हेरोदेस ने भी दोष नहीं पाया; क्योंकि उन्होंने इसे मेरे पास वापस भेज दिया है। आप देख रहे हैं कि इसने प्राणदण्ड के योग्य कोई अपराध नहीं किया है। 16इसलिए मैं इसे पिटवा कर छोड़ दूँगा।”
[ 17पर्व के अवसर पर पिलातुस को यहूदियों के लिए एक बन्दी को रिहा करना पड़ता था।#23:17 कुछ प्रतियों में यह पद नहीं पाया जाता है ] 18वे सब-के-सब एक साथ चिल्ला उठे, “इसे हटाओ और हमारे लिए बरअब्बा को छोड़ दो!” 19बरअब्बा नगर में हुए विद्रोह के कारण तथा हत्या के अपराध में कैद किया गया था। 20पिलातुस ने येशु को मुक्त करने की इच्छा से लोगों को फिर समझाया; 21किन्तु वे चिल्लाते रहे, “इसे क्रूस पर चढ़ाओ! इसे क्रूस पर चढ़ाओ!” 22पिलातुस ने तीसरी बार उन से कहा, “क्यों? इस मनुष्य ने कौन-सा अपराध किया है? मैं इसमें प्राणदण्ड के योग्य कोई दोष नहीं पाता। इसलिए मैं इसे पिटवा कर छोड़ दूँगा।” 23परन्तु वे चिल्ला-चिल्ला कर पिलातुस के पीछे पड़ गए कि इसे क्रूस पर चढ़ाओ! और उनका चिल्लाना प्रबल हुआ। 24तब पिलातुस ने उनकी माँग पूरी करने का निश्चय किया। 25उसने उस मनुष्य को तो मुक्त कर दिया जो विद्रोह और हत्या के कारण कैद किया गया था और जिसे वे छोड़ने की माँग कर रहे थे, परन्तु येशु को लोगों की इच्छा पर छोड़ दिया।
क्रूस पर चढ़ाया जाना
26जब वे येशु को ले जा रहे थे तब उन्होंने गाँव से नगर में आते हुए शिमोन नामक कुरेने-निवासी को पकड़ा और उस पर क्रूस रख दिया, जिससे वह उसे येशु के पीछे-पीछे ले जाए।#मत 27:32; मक 15:21
27लोगों की भारी भीड़ उनके पीछे-पीछे चल रही थी। उन में स्त्रियाँ भी थीं, जो अपनी छाती पीटते हुए उनके लिए विलाप कर रही थीं। 28येशु ने उनकी ओर मुड़ कर कहा, “यरूशलेम की पुत्रियो! मेरे लिए मत रोओ। किन्तु अपने लिए और अपने बच्चों के लिए रोओ, 29क्योंकि वे दिन आ रहे हैं, जब लोग कहेंगे, ‘धन्य हैं वे स्त्रियाँ, जो बाँझ हैं; धन्य हैं वे गर्भ, जिन्होंने जन्म नहीं दिया और धन्य हैं वे स्तन, जिन्होंने दूध नहीं पिलाया!’#लू 21:23 30तब लोग पहाड़ों से कहेंगे, ‘हम पर गिर पड़ो’ और पहाड़ियों से ‘हमें ढक लो’#हो 10:8; प्रक 6:16; 9:6 ; 31क्योंकि यदि वे हरे-भरे वृक्ष के साथ ऐसा करते हैं, तो उसके सूख जाने पर उसके साथ क्या कुछ नहीं होगा?”#1 पत 4:17
32वे येशु के साथ दो कुकर्मियों को भी प्राणदण्ड के लिए ले गए।
33वे ‘खोपड़ी’ नामक स्थान पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने येशु को और उन दो कुकर्मियों को भी क्रूस पर चढ़ाया−एक को उनकी दायीं ओर और दूसरे को उनकी बायीं ओर।#मत 27:33-56; मक 15:22-41; यो 19:17-30 34[येशु ने कहा, “पिता! इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।”]#23:34 कुछ प्रतियों में यह पद नहीं पाया जाता है तब उन्होंने चििट्ठयाँ डाल कर येशु के वस्त्र आपस में बाँट लिये।#मत 5:44; यश 53:12; भज 22:18
अपमान और उपहास
35जनता खड़ी हो कर यह सब देख रही थी। अधिकारी यह कहते हुए येशु का उपहास कर रहे थे, “इसने दूसरों को बचाया। यदि यह परमेश्वर का मसीह है, यदि इसको परमेश्वर ने चुना है, तो यह अपने को बचाये।”#भज 22:7 36सैनिकों ने भी उनका उपहास किया। वे पास आए और उन्हें अम्लरस देते हुए बोले,#भज 69:21 37“यदि तू यहूदियों का राजा है, तो अपने को बचा।” 38येशु के क्रूस के ऊपर भी लिखा हुआ था, “यह यहूदियों का राजा है।”
पश्चात्तापी डाकू
39क्रूस पर टंगा एक कुकर्मी येशु की निन्दा करने लगा, “तू मसीह है न? तो अपने को और हमें भी बचा।” 40पर दूसरे कुकर्मी ने उसे डाँट कर कहा, “क्या तुझे परमेश्वर का भी डर नहीं? तू भी तो वही दण्ड भोग रहा है। 41हमारा दण्ड न्यायसंगत है, क्योंकि हम अपनी करनी का फल भोग रहे हैं; पर इन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।” 42तब उसने कहा, “येशु! जब आप अपने राज्य में आएँ#23:42 पाठान्तर, ‘प्रवेश करें’ , तो मुझे स्मरण करना।”#मत 16:28 43येशु ने उससे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, तुम आज ही स्वर्गधाम में मेरे साथ होगे।”
येशु की मृत्यु
44लगभग दोपहर का समय था। उस समय से तीसरे पहर तक सारे देश में अंधेरा छाया रहा।#आमो 8:9 45सूर्य का प्रकाश जाता रहा और मन्दिर का परदा बीच से फट कर दो टुकड़े हो गया।#नि 36:35 46येशु ने ऊंचे स्वर से पुकार कर कहा, “पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूँ”, और यह कह कर उन्होंने प्राण त्याग दिये।#भज 31:5; प्रे 7:59
47शतपति ने यह घटना देख कर परमेश्वर की स्तुति की और यह कहा, “निश्चय ही, यह मनुष्य धर्मात्मा था।” 48बहुत-से लोग यह दृश्य देखने के लिए इकट्ठे हो गये थे। वे सब इन घटनाओं को देख कर अपनी छाती पीटते हुए लौट गये।
49येशु के सब परिचित व्यक्ति कुछ दूर खड़े थे। उनमें स्त्रियाँ भी थीं, जो गलील प्रदेश से येशु के पीछे-पीछे आयी थीं और यह सब देख रही थीं।#लू 8:2; भज 38:11; 88:8
कबर में रखा जाना
50धर्म-महासभा का यूसुफ नामक सदस्य निष्कपट और धार्मिक था।#मत 27:57-61; मक 15:42-47; यो 19:38-42 51उसने सभा की योजना और उसके कार्य में अपना मत नहीं दिया था। वह यहूदा प्रदेश#23:51 अथवा, ‘यहूदियों’ के नगर अरिमतियाह का निवासी था और परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा में था।#लू 2:25,38 52उसने पिलातुस के पास जा कर येशु का शव#23:52 अथवा, ‘शरीर’ माँग लिया।#नि 12:16; 20:10; लेव 23:8 53उसने शव को क्रूस से उतारा और मलमल के कफन में लपेट कर एक ऐसी कबर में रख दिया, जो चट्टान में खुदी हुई थी और जिस में कभी किसी को नहीं रखा गया था। 54उस दिन शुक्रवार#23:54 शब्दश: “(विश्राम-दिवस की) तैयारी का दिन” था और विश्राम-दिवस आरम्भ हो रहा था।
55जो स्त्रियाँ येशु के साथ गलील प्रदेश से आयी थीं, उन्होंने यूसुफ के पीछे-पीछे जा कर कबर को देखा और यह भी देखा कि येशु का शव किस तरह रखा गया है। 56तब उन्होंने लौट कर सुगन्धित द्रव्य तथा विलेपन तैयार किया और विश्राम के दिन नियम के अनुसार विश्राम किया।
Currently Selected:
लूकस 23: HINCLBSI
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.