मलाकी पुस्तक-परिचय
पुस्तक-परिचय
नबी मलाकी की पुस्तक का रचना-काल ईसवी पूर्व पांचवीं शताब्दी का मध्यकाल है। इस समय तक यरूशलेम के मन्दिर का पुनर्निर्माण हो चुका था। सन् 516 ईसवी पूर्व में नवनिर्मित मन्दिर का प्रतिष्ठापन भी सम्पन्न हुआ था। लेकिन धीरे-धीरे आराधना में धार्मिक शिथिलता फिर आ गई!
नबी मलाकी के सन्देश की मुख्य विषय-वस्तु यह है : उन्होंने पुरोहितों और इस्राएली जनता का आह्वान किया कि वे परमेश्वर के साथ स्थापित विधान में पूर्ण विश्वास करें। जनता परमेश्वर की व्यवस्था के अनुरूप जीवन-यापन नहीं करती है। परमेश्वर की आराधना के प्रति वह उदासीन हो गई है। इसकी तुलना में अन्य राष्टों के यहां आराधना में प्रभु-नाम की स्तुति होती है (1:11)। इस्राएल की धर्मसेवा में भ्रष्टाचार का प्रवेश हो गया है। पुरोहित और आराधक परमेश्वर को जो चढ़ाना चाहिए, उसमें वे धोखा-धड़ी, चोरी करते हैं। उनका जीवन परमेश्वर की शिक्षाओं-आज्ञाओं के अनुकूल नहीं है। प्रभु परमेश्वर आएगा। वह उनका न्याय करेगा, और अपने निज लोगों को पवित्र करेगा। किन्तु वह अपने आगमन के पूर्व अपने सन्देश-वाहक को भेजेगा, जो उसका मार्ग तैयार करेगा और उसके विधान [अथवा वाचा] की घोषणा करेगा।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
इस्राएल के पाप 1:1−2:16
परमेश्वर का दण्ड तथा दया-दृष्टि 2:17−4:6
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मलाकी पुस्तक-परिचय: HINCLBSI
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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