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मीका पुस्‍तक-परिचय

पुस्‍तक-परिचय
नबी मीका नबी यशायाह के समकालीन थे। वह इस्राएल देश के दक्षिणी राज्‍य यहूदा के एक गांव में रहते थे। उन्‍हें दृढ़ निश्‍चय था कि जो नबूवत नबी आमोस ने उत्तरी राज्‍य इस्राएल के विरुद्ध की है, वह यहाँ भी लागू होगी। इतना ही नहीं, जैसे उत्तरी राजधानी सामरी नगर का पतन हुआ, वैसे राजधानी यरूशलेम का भी पतन होगा। कारण भी वही है: धनी वर्ग द्वारा गरीब इस्राएलियों पर अन्‍याय, अत्‍याचार तथा शोषण। लेकिन मीका ने नबी आमोस की अपेक्षा और स्‍पष्‍ट शब्‍दों में समाज के धर्म-गुरुओं को दोषी ठहराया। साथ ही वह आशा का सुस्‍पष्‍ट संदेश देते हैं। संभवत: इस संदेश का कुछ अंश परवर्ती काल में जोड़ा गया।
कुछ पद ध्‍यान देने योग्‍य हैं, जैसे अध्‍याय 4:1-4। इन पदों में विश्‍व-शांति का चित्रण किया गया है जब अस्‍त्र-शस्‍त्र, तलवार-भालों के स्‍थान पर हल, हंसिए और खेती-किसानी के औजार बनाए जाएंगे। एक राष्‍ट्र दूसरे राष्‍ट्र के विरुद्ध तलवार नहीं उठायेगा। सब राष्‍ट्र परमेश्‍वर की ओर लौटेंगे। नबी मीका नबूवत करते हैं कि राजा दाऊद के वंश में इस्राएल के नए राजा का जन्‍म होगा। उसके आगमन से शान्‍ति का युग आरम्‍भ होगा (5:2-4)।
नबी मीका के सब सन्‍देशों का सार-तत्‍व बलि-विधि के संबंध में है − और इसी सन्‍देश को अन्‍य नबियों ने भी कर्मकाण्‍डी अनुष्‍ठानों के संबंध में बार-बार कहा है! नबी मीका बलि चढ़ाने वालों से कहते हैं: “ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि वह तुझ से क्‍या चाहता है कि तू न्‍याय का पालन करे, करुणा से प्रेम करे, और नम्रता पूर्वक अपने परमेश्‍वर के मार्ग पर चले” (6:8)।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
यहूदा तथा इस्राएल प्रदेशों को दण्‍ड 1:1−3:12
सुख-समृद्धि की पुन: स्‍थापना 4:1−5:15
दोषारोपण 6:1−7:6
आशा का सन्‍देश 7:7-20

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