मारकुस 12
12
अंगूर-उद्यान का दृष्टान्त
1येशु महापुरोहितों, शास्त्रियों और धर्मवृद्धों से दृष्टान्तों में कहने लगे#मत 21:23-46; लू 20:9-19 : “किसी मनुष्य ने अंगूर का उद्यान लगाया। उसने उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा; उस में रस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे किसानों को पट्टे पर देकर वह परदेश चला गया।#यश 5:1-2 2समय आने पर उसने अंगूर की फसल का हिस्सा वसूल करने के लिए किसानों के पास एक सेवक को भेजा। 3किसानों ने सेवक को पकड़ कर मारा-पीटा और खाली हाथ लौटा दिया। 4उसने एक दूसरे सेवक को भेजा। उन्होंने उसका सिर फोड़ दिया और उसे अपमानित किया। 5उसने एक और सेवक को भेजा और उन्होंने उसे मार डाला। इसके बाद उसने और बहुत सेवकों को भेजा। उन्होंने उनमें से कुछ लोगों को पीटा और कुछ को मार डाला। 6अब उसके पास केवल एक बच रहा−उसका प्रिय पुत्र। अन्त में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। 7किन्तु किसानों ने आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और तब इसकी पैतृक-सम्पत्ति हमारी हो जाएगी।’ 8अत: उन्होंने उसे पकड़ कर मार डाला और अंगूर-उद्यान के बाहर फेंक दिया।#इब्र 13:12 9अब अंगूर-उद्यान का स्वामी क्या करेगा? वह आ कर उन किसानों का वध करेगा और अपना अंगूर-उद्यान दूसरों को दे देगा।
10“क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा? ‘कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर फेंक दिया था, वही कोने की नींव का पत्थर बन गया है।#भज 118:22-23 11यह प्रभु का कार्य है और हमारी दृष्टि में अद्भुत है।’ ”
12वे समझ गये कि येशु का यह दृष्टान्त हमारे ही विषय में है। अत: वे उन्हें गिरफ्तार करने का उपाय ढूँढ़ने लगे। किन्तु वे जनता से डरते थे, इसलिए वे उन्हें छोड़ कर चले गये।
रोमन सम्राट को कर देने का प्रश्न
13उन्होंने येशु के पास फरीसी और हेरोदेस-दल के कुछ लोगों को भेजा#मत 22:15-22; लू 20:20-26 , जिससे वे उन्हें उनकी अपनी बात के जाल में फँसाएँ।#मक 3:6 14वे आ कर उनसे बोले, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्चे हैं और आप किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं कहते, बल्कि सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। बताइए, व्यवस्था की दृष्टि में रोमन सम्राट को#12:14 मूल में, ‘कैसर’ कर देना उचित है या नहीं? 15हम उन्हें दें या नहीं दें?” उनका छल-कपट भाँप कर येशु ने कहा, “मेरी परीक्षा क्यों लेते हो? एक सिक्का#12:15 मूल में, ‘दीनार’ लाओ और मुझे दिखाओ।” 16वे एक सिक्का लाए। येशु ने उन से पूछा, “यह किसकी आकृति और किसका लेख है?” उन्होंने उत्तर दिया, “रोमन सम्राट का।” 17इस पर येशु ने उनसे कहा, “जो सम्राट का है, वह सम्राट को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।” येशु की यह बात सुन कर वे आश्चर्य-चकित हो गये।#रोम 13:7
पुनरुत्थान का प्रश्न
18सदूकी सम्प्रदाय के कुछ लोग येशु के पास आए। उनकी धारणा है कि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता।#मत 22:23-33; लू 20:27-38 उन्होंने येशु से यह प्रश्न पूछा, 19“गुरुवर! मूसा ने हमारे लिए यह नियम बनाया है : यदि किसी का भाई, अपनी पत्नी के रहते निस्सन्तान मर जाए, तो वह अपने भाई की विधवा से विवाह करे और अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे। #व्य 25:5-6 20सात भाई थे। पहले ने विवाह किया और वह निस्सन्तान मर गया। 21दूसरा भाई भी, उसकी विधवा से विवाह कर, निस्सन्तान मर गया। तीसरे के साथ भी वही हुआ। 22इस प्रकार सातों भाई निस्सन्तान मर गये। सबके अंत में वह स्त्री भी मर गयी। 23जब वे पुनरुत्थान में जी उठेंगे, तो वह किसकी पत्नी होगी? वह तो सातों भाइयों की पत्नी रह चुकी है।” 24येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम इस कारण भ्रम में नहीं पड़े हुए हो कि तुम न तो धर्मग्रन्थ जानते हो और न परमेश्वर की शक्ति#12:24 अथवा, ‘सामर्थ्य’ ? 25क्योंकि जब वे मृतकों में से जी उठते हैं, तब न तो पुरुष विवाह करते और न स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं; बल्कि वे स्वर्गदूतों के सदृश होते हैं।
26“जहाँ तक मृतकों के जी उठने का प्रश्न है, क्या तुम ने मूसा के ग्रन्थ में, जलती झाड़ी की कथा में, यह नहीं पढ़ा कि परमेश्वर ने मूसा से कहा, ‘मैं अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर हूँ’?#नि 3:2,6; मत 8:11; लू 16:22 27वह मृतकों का नहीं वरन् जीवितों का परमेश्वर है। तुम भ्रम में पड़े हुए हो!”
प्रमुख आज्ञा
28एक शास्त्री यह शास्त्रार्थ सुन रहा था। उसने देखा कि येशु ने सदूकियों को ठीक उत्तर दिया।#मत 22:34-40; लू 10:25-28 वह आगे बढ़ा और उसने येशु से पूछा, “सब से पहली आज्ञा कौन-सी है?”#लू 20:39-40 29येशु ने उत्तर दिया, “पहली आज्ञा यह है : ‘इस्राएल सुनो! हमारा प्रभु परमेश्वर एकमात्र प्रभु है।#व्य 6:4-5 30अपने प्रभु परमेश्वर को अपने सम्पूर्ण हृदय, सम्पूर्ण प्राण, सम्पूर्ण बुद्धि और सम्पूर्ण शक्ति से प्रेम करो।’#यो 15:12 31दूसरी आज्ञा यह है, ‘अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करो।’ इन से बड़ी कोई आज्ञा नहीं।”#लेव 19:18 32शास्त्री ने उन से कहा, “हे गुरुवर! क्या सुन्दर बात है! आपने सच कहा कि एक ही परमेश्वर है। उसके अतिरिक्त और कोई परमेश्वर नहीं है।#व्य 4:35; 6:4 33उसे अपने सम्पूर्ण हृदय, सम्पूर्ण ज्ञान और सम्पूर्ण शक्ति से प्रेम करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करना, यह हर प्रकार की अग्नि-बलि और पशु-बलि चढ़ाने से अधिक महत्वपूर्ण है।”#1 शम 15:22 34जब येशु ने देखा कि उसने विवेकपूर्ण उत्तर दिया है, तो उन्होंने उससे कहा, “तुम परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं हो।” इसके बाद किसी को येशु से और प्रश्न पूछने का साहस नहीं हुआ।#प्रे 26:27-29
मसीह, राजा दाऊद के वंशज
35येशु ने, मन्दिर में शिक्षा देते समय, यह प्रश्न उठाया, “शास्त्री कैसे कह सकते हैं कि मसीह दाऊद के वंशज हैं?#मत 22:41-46; लू 20:41-44 36दाऊद ने स्वयं पवित्र आत्मा की प्रेरणा से कहा,
‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा :
तुम मेरे सिंहासन की दाहिनी ओर बैठो,
जब तक मैं तुम्हारे शत्रुओं को
तुम्हारे पैरों तले न डाल दूँ।’#भज 110:1; यो 7:42; 2 शम 23:2
37“दाऊद स्वयं उन्हें प्रभु कहते हैं, तो वह उनके वंशज कैसे हो सकते हैं?” विशाल जनसमूह येशु की बातें सुनने में रस ले रहा था।
शास्त्रियों के विरुद्ध चेतावनी
38येशु ने शिक्षा देते समय कहा, “शास्त्रियों से सावधान रहो।#मत 23:1-39; लू 20:45-47 लम्बे लबादे पहन कर घूमना, बाजारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना, 39सभागृहों में प्रमुख आसनों पर और भोजों में सम्मानित स्थानों पर बैठना−यह सब उन्हें पसन्द है। 40किन्तु वे विधवाओं की सम्पत्ति चट कर जाते और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। उन को बड़ा कठोर दण्ड मिलेगा।”
गरीब विधवा का दान
41येशु मन्दिर के खजाने के सामने बैठ कर लोगों को उसमें सिक्के डालते हुए देख रहे थे।#लू 21:1-4 अनेक धनवान व्यक्ति बहुत भेंट चढ़ा रहे थे।#2 रा 12:9 42एक गरीब विधवा आयी और दो अधेले अर्थात् एक पैसा खजाने में डाला। 43इस पर येशु ने अपने शिष्यों को बुला कर कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ; खजाने में भेंट चढ़ाने वालों में इस गरीब विधवा ने सब से अधिक डाला है; 44क्योंकि सब ने अपनी समृद्धि से कुछ चढ़ाया, परन्तु इसने तंगी में रहते हुए भी, इसके पास जो कुछ था, वह सब अर्थात् अपनी सारी जीविका ही अर्पित कर दी!”#2 कुर 8:12
Currently Selected:
मारकुस 12: HINCLBSI
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.