भजन संहिता 57
57
शत्रुओं से रक्षा के लिए प्रार्थना#1 शम 22:1; 24:3
मुख्यवादक के लिए : “नष्ट मत करो” के अनुसार। दाऊद का मिकताम जब दाऊद शाऊल के पास से गुफा में भागा था।
1हे परमेश्वर, मुझ पर कृपा कर;
मुझ पर कृपा कर;
क्योंकि मैं तेरी ही शरण में आया हूँ।
जब तक विनाश की आंधी चली न जाए,
मैं तेरे पंखों की छाया में रहूंगा।
2मैं सर्वोच्च परमेश्वर को पुकारता हूँ;
परमेश्वर को, जो मेरे लिए सब कुछ
पूर्ण करता है।
3जब मुझे कुचलनेवाला मेरी निन्दा करता होगा
वह स्वर्ग से मुझे बचा लेगा;
सेलाह
परमेश्वर अपनी करुणा और सत्य भेजेगा।
4मेरा प्राण सिंहों के मध्य है;
मैं धधकती ज्वाला में सोता हूँ;
ऐसे मनुष्यों के बीच जिन के दांत भाले और
तीर हैं,
जिनकी जीभ दुधारी तलवार है।
5हे परमेश्वर, स्वर्ग पर अपनी महानता प्रकट
कर,
समस्त पृथ्वी पर तेरी महिमा व्याप्त हो।
6शत्रुओं ने मेरे पैरों के लिए जाल फैलाया है;
मैं झुक गया हूँ।
उन्होंने मेरे सम्मुख एक गड्ढा खोदा है;
पर वे स्वयं उसमें गिर पड़े हैं।
सेलाह
7हे परमेश्वर, मेरा हृदय तुझ में लीन है। लीन
है मेरा हृदय!#57:7 अथवा, ‘मेरा मन स्थिर है, स्थिर है मेरा मन’।
मैं गीत गाऊंगा, राग बजाऊंगा।#भज 108:1-5
8जाग, ओ मेरे प्राण !
जागो, ओ वीणा और सितार!
मैं प्रभात को जगा दूंगा।
9ओ स्वामी, मैं देश-देश में तेरी सराहना करूँगा;
राष्ट्रों के मध्य मैं तेरी स्तुति गाऊंगा।
10तेरी करुणा स्वर्ग तक महान है;
और तेरा सत्य मेघों तक।
11हे परमेश्वर, स्वर्ग पर अपनी महानता प्रकट
कर;
समस्त पृथ्वी पर तेरी महिमा व्याप्त हो!
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भजन संहिता 57: HINCLBSI
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