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सफन्‍याह 3

3
यरूशलेम नगर का पाप
1धिक्‍कार है विद्रोहिणी और अशुद्ध नगरी
को,
अत्‍याचार करनेवाली नगरी को!
2वह किसी की बात पर ध्‍यान नहीं देती,
वह ताड़ना पाने पर भी नहीं सुधरी।
वह प्रभु पर भरोसा नहीं करती।
वह परमेश्‍वर की आराधना के लिए
उसके मन्‍दिर में नहीं आती।#3:2 शब्‍दश:, ‘वह परमेश्‍वर के निकट नहीं आती’
3उसके अधिकारी गरजते सिंह हैं,
जो शिकार की तलाश में रहते हैं;
उसके न्‍ययाधीश शाम को निकलनेवाले
भेड़ियों की तरह हैं,
जिन्‍हें सुबह तक खाने को कुछ नहीं मिला।
4उसके नबी बकवादी हैं, वे धोखेबाज हैं।
उसके पुरोहित पवित्र को अपवित्र करते हैं।
वे व्‍यवस्‍था का उल्‍लंघन करते हैं।#यहेज 22:26
5उसमे मध्‍य में रहनेवाला प्रभु धार्मिक है,
वह अनुचित कार्य नहीं करता;
वह हर सुबह सूर्य की किरणों की तरह
न्‍याय प्रकट करता है।
वह अपना यह कार्य कभी नहीं भूलता;
पर जो अन्‍यायी है, उसके लिए शर्म क्‍या!#व्‍य 32:4
6प्रभु यह कहता है : ‘मैंने राष्‍ट्रों को खत्‍म कर
दिया।
उनके परकोटे ध्‍वस्‍त हो गए।
मैंने उनकी सड़कों को निर्जन बना दिया,
अब उनपर कोई नहीं चलता।
मैंने उनके नगर उजाड़ दिए,
उनमें एक भी आदमी नहीं रहता;
वहां रहनेवाला कोई नहीं है।
7मैंने यह सोचा था, “वह मुझसे अवश्‍य डरेगी,
वह ताड़ना से सुधर जाएगी।
उसकी दृष्‍टि से वे दण्‍ड भी नहीं छिपे थे,
जो मैंने उसे दिए थे।”
फिर भी वह अधिकाधिक दुष्‍कर्म करती गई।’
8प्रभु यों कहता है :
‘अब तू उस दिन की प्रतीक्षा कर,
जब मैं तेरे विरुद्ध स्‍वयं गवाह के रूप में
खड़ा होऊंगा।
मैंने यह निर्णय किया है:
मैं राष्‍ट्रों को एकत्र करूंगा,
मैं राज्‍यों को इकट्ठा करूंगा;
मैं उन पर अपना क्रोध उण्‍डेलूंगा;
उन पर अपनी क्रोधाग्‍नि बरसाऊंगा।
मेरी ईष्‍र्या की अग्‍नि से
समस्‍त पृथ्‍वी भस्‍म हो जाएगी।
यरूशलेम का उद्धार
9‘उस समय मैं कौमों की बोली बदल दूंगा।
मैं उन्‍हें शुद्ध बोली प्रदान करूंगा।
लोग मुझ-प्रभु का नाम पुकारेंगे,
और कंधे से कंधा मिलाकर मेरी सेवा करेंगे।
10इथियोपिआ देश की नदियों के उस पार से,
मेरे आराधकों, मेरे बिखरे हुए लोगों का समूह
मुझे भेंट चढ़ाने आएंगे।#मल 1:11
11‘यद्यपि तूने अपने कार्यों से
मेरे प्रति विद्रोह किया,
तथापि तुझे उस दिन लज्‍जित नहीं होना
पड़ेगा;
क्‍योंकि मैं तेरे मध्‍य से अहंकारियों को,
शेखी मारनेवालों को दूर कर दूंगा।
उसके बाद तू मेरे पवित्र पर्वत पर
अपना अहंकार नहीं दिखाएगी।
12मैं तेरे मध्‍य में विनम्र और विनीत लोगों का
एक समूह छोड़ूंगा।
वे मुझ-प्रभु के नाम का आश्रय खोजेंगे।#भज 74:19,21; मत 5:3
13ये इस्राएल के बचे हुए लोग होंगे।
ये अनुचित कार्य नहीं करेंगे,
ये झूठ नहीं बोलेंगे,
और न उनके मुंह में कपटपूर्ण जीभ होगी।
वे आराम से चरागाह में भेड़ चराएंगे।
वे निश्‍चिन्‍त हो, विश्राम करेंगे;
उन्‍हें डरानेवाला कोई न होगा।’#प्रक 14:5
आनन्‍द-हर्ष गान
14ओ सियोन के निवासियो! उच्‍च स्‍वर में
गाओ,
ओ इस्राएली राष्‍ट्र, जयजयकार कर।
ओ यरूशलेम नगरी#3:14 अक्षरश:, ‘पुत्री’।, अपने सम्‍पूर्ण हृदय से
आनन्‍द मना
और उल्‍लसित हो।#यश 12:6; लू 1:28
15प्रभु ने तेरे विरुद्ध दण्‍ड की आज्ञा वापस ले
ली;
उसने तेरे शत्रुओं को भगा दिया।
इस्राएल का राजा, प्रभु
तेरे मध्‍य में विराजमान है।
अब तुझे अनिष्‍ट का डर नहीं होगा।#यश 40:2; यहेज 48:35
16उस दिन यरूशलेम से यों कहा जाएगा,
‘ओ सियोन, मत डर। तेरे हाथ ढीले न पड़ें।#यश 35:3
17-18तेरा प्रभु परमेश्‍वर तेरे मध्‍य में विराजमान
है। वह महायोद्धा है।
वही विजय#3:17-18 अथवा, ‘उद्धार’ प्रदान करता है।
वह तुझसे प्रसन्न होगा, आनन्‍दित होगा।
वह अपने प्रेम में तुझे पुन: संजीव करेगा।#3:17-18 मूल में, ‘वह अपने प्रेम में मौन रहता है’।
तुझे आनन्‍दित देख, उत्‍सव के दिन की तरह
वह आनन्‍द-विभोर हो उठेगा।’
प्रभु कहता है, ‘मैं तुझसे विनाश को दूर
करूंगा,
जिससे तुझे उसके कारण अपमान न सहना
पड़े।
19देख, उस समय मैं तुझ पर अत्‍याचार
करनेवालों का अन्‍त कर दूंगा।
उस दिन मैं उनको भी बचाऊंगा।
जो अपंग होंगे।
मैं समाज से निकाले गए लोगों को
एकत्र करूंगा,
जिन लोगों ने देश-देश में अपमान सहा था,
उनके अपमान को यश और कीर्ति में
बदल दूंगा।
20ओ इस्राएली कौम!
उस समय जब मैं तुझे एकत्र करूंगा
तब मैं तुझे घर वापस लाऊंगा;
जब मैं तेरी समृद्धि तेरी आंखों के सामने
तुझे लौटाऊंगा,
तब मैं निस्‍सन्‍देह पृथ्‍वी की समस्‍त कौमों में
तुझे यश और कीर्ति प्रदान करूंगा।’
प्रभु की यही वाणी है।#भज 22:25-31

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