YouVersion Logo
Search Icon

1 तीमुथियुस 6

6
1जितने दासता के जूए के नीचे हैं, वे अपने अपने स्वामी को बड़े आदर के योग्य जानें, ताकि परमेश्‍वर के नाम और उपदेश की निन्दा न हो। 2जिनके स्वामी विश्‍वासी हैं उन्हें वे भाई होने के कारण तुच्छ न जानें, वरन् उनकी और भी सेवा करें, क्योंकि इससे लाभ उठानेवाले विश्‍वासी और प्रेमी हैं। इन बातों का उपदेश किया कर और समझाता रह।
झूठी शिक्षा और धन का लोभ
3यदि कोई और ही प्रकार का उपदेश देता है और खरी बातों को, अर्थात् हमारे प्रभु यीशु मसीह की बातों को और उस उपदेश को नहीं मानता, जो भक्‍ति के अनुसार है, 4तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता; वरन् उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिससे डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे–बुरे सन्देह, 5और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े–झगड़े उत्पन्न होते हैं जिनकी बुद्धि बिगड़ गई है, और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्‍ति कमाई का द्वार है। 6पर सन्तोष सहित भक्‍ति बड़ी कमाई है। 7क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। 8यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए। 9पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा और फंदे और बहुत सी व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फँसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डुबा देती हैं। 10क्योंकि रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्‍त करने का प्रयत्न करते हुए बहुतों ने विश्‍वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दु:खों से छलनी बना लिया है।
तीमुथियुस को व्यक्‍तिगत निर्देश
11पर हे परमेश्‍वर के जन, तू इन बातों से भाग, और धर्म, भक्‍ति, विश्‍वास, प्रेम, धीरज और नम्रता का पीछा कर। 12विश्‍वास की अच्छी कुश्ती लड़; और उस अनन्त जीवन को धर ले, जिसके लिये तू बुलाया गया और बहुत से गवाहों के सामने अच्छा अंगीकार किया था। 13मैं तुझे परमेश्‍वर को, जो सब को जीवित रखता है, और मसीह यीशु को गवाह करके जिसने पुन्तियुस पिलातुस के सामने अच्छा अंगीकार किया,#यूह 18:37 यह आज्ञा देता हूँ 14कि तू हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष रख, 15जिसे वह ठीक समय पर दिखाएगा, जो परमधन्य और एकमात्र अधिपति और राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है, 16और अमरता केवल उसी की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा और न कभी देख सकता है। उस की प्रतिष्‍ठा और राज्य युगानुयुग रहेगा। आमीन।
17इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्‍वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है। 18वे भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें, और उदार और सहायता देने में तत्पर हों, 19और आगे के लिये एक अच्छी नींव डाल रखें कि सच्‍चे जीवन को वश में कर लें।
20हे तीमुथियुस, इस धरोहर की रखवाली कर; और जिस ज्ञान को ज्ञान कहना ही भूल है, उसके अशुद्ध बकवाद और विरोध की बातों से परे रह। 21कितने इस ज्ञान का अंगीकार करके विश्‍वास से भटक गए हैं।
तुम पर अनुग्रह होता रहे।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

Videos for 1 तीमुथियुस 6