YouVersion Logo
Search Icon

लैव्यव्यवस्था 21

21
याजकों की पवित्रता
1फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून के पुत्र जो याजक हैं उनसे कह कि तुम्हारे लोगों में से कोई भी मरे, तो उसके कारण तुम में से कोई अपने को अशुद्ध न करे; 2अपने निकट कुटुम्बियों, अर्थात् अपनी माता, या पिता, या बेटे, या बेटी, या भाई के लिये, 3या अपनी कुँवारी बहिन जिसका विवाह न हुआ हो, जिनका निकट का सम्बन्ध है; उनके लिये वह अपने को अशुद्ध कर सकता है।#यहेज 44:25 4पर याजक होने के नाते वह अपने लोगों में प्रधान है, इसलिये वह अपने को ऐसा अशुद्ध न करे कि अपवित्र हो जाए। 5वे न तो अपने सिर मुँड़ाएँ, और न अपने गाल के बालों को मुँड़ाएँ, और न अपने शरीर चीरें।#लैव्य 19:27,28; व्य 14:1 6वे अपने परमेश्‍वर के लिये पवित्र बने रहें, और अपने परमेश्‍वर का नाम अपवित्र न करें; क्योंकि वे यहोवा के हव्य को जो उनके परमेश्‍वर का भोजन है, चढ़ाया करते हैं; इस कारण वे पवित्र बने रहें। 7वे वेश्या या भ्रष्‍टा से विवाह न करें, और न त्यागी हुई से विवाह करें; क्योंकि याजक अपने परमेश्‍वर के लिये पवित्र होता है। 8इसलिये तू याजक को पवित्र जानना, क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्‍वर का भोजन चढ़ाया करता है; इसलिये वह तेरी दृष्‍टि में पवित्र ठहरे; क्योंकि मैं यहोवा, जो तुम को पवित्र करता हूँ, पवित्र हूँ। 9और यदि याजक की बेटी वेश्या बनकर अपने आप को अपवित्र करे, तो वह अपने पिता को अपवित्र ठहराती है; वह आग में जलाई जाए।
10“जो अपने भाइयों में महायाजक हो, जिसके सिर पर अभिषेक का तेल डाला गया हो, और जिसका पवित्र वस्त्रों को पहिनने के लिये संस्कार हुआ हो वह अपने सिर के बाल बिखरने न दे, और न अपने वस्त्र फाड़े; 11और न वह किसी लोथ के पास जाए, और न अपने पिता या माता के कारण अपने को अशुद्ध करे; 12और वह पवित्रस्थान से बाहर भी न निकले, और न अपने परमेश्‍वर के पवित्रस्थान को अपवित्र ठहराए; क्योंकि वह अपने परमेश्‍वर के अभिषेक का तेलरूपी मुकुट धारण#21:12 अथवा, का तेल जो उसके न्यारे किये जाने का चिह्न है, उसे किए हुए है; मैं यहोवा हूँ। 13और वह कुँवारी स्त्री से ही विवाह करे। 14जो विधवा, या त्यागी हुई, या भ्रष्‍ट, या वेश्या हो, ऐसी किसी से वह विवाह न करे, वह अपने ही लोगों के बीच में की किसी कुँवारी कन्या से विवाह करे। 15और वह अपनी संतान को अपने लोगों में अपवित्र न करे; क्योंकि मैं उसका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ।”
16फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 17“हारून से कह कि तेरे वंश की पीढ़ी पीढ़ी में जिस किसी के कोई भी दोष हो वह अपने परमेश्‍वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए। 18कोई क्यों न हो जिस में दोष हो वह समीप न आए, चाहे वह अंधा हो, चाहे लंगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अधिक अंग हों, 19या उसका पाँव, या हाथ टूटा हो, 20या वह कुबड़ा, या बौना हो, या उसकी आँख में दोष हो, या उस मनुष्य के चाईं या खुजली हो, या उसके अंड पिचके हों; 21हारून याजक के वंश में से जिस किसी में कोई भी दोष हो वह यहोवा के हव्य चढ़ाने के लिये समीप न आए; वह जो दोषयुक्‍त है कभी भी अपने परमेश्‍वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए। 22वह अपने परमेश्‍वर के पवित्र और परमपवित्र दोनों प्रकार के भोजन को खाए, 23परन्तु उसके दोष के कारण वह न तो बीचवाले परदे के भीतर आए और न वेदी के समीप, जिससे ऐसा न हो कि वह मेरे पवित्रस्थानों को अपवित्र करे; क्योंकि मैं उनका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ।” 24इसलिये मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को तथा सब इस्राएलियों को ये बातें कह सुनाईं।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in