YouVersion Logo
Search Icon

भजन संहिता 108

108
शत्रुओं के विरुद्ध सहायता की प्रार्थना
(भजन 57:7–11; 60:5–12)
गीत। दाऊद का भजन
1हे परमेश्‍वर, मेरा हृदय स्थिर है;
मैं गाऊँगा,
मैं अपनी आत्मा#108:1 मूल में, महिमा से भी भजन गाऊँगा।
2हे सारंगी और वीणा, जागो!
मैं आप पौ फटते जाग उठूँगा।
3हे यहोवा, मैं देश देश के लोगों के मध्य
में तेरा धन्यवाद करूँगा,
और राज्य राज्य के लोगों के मध्य में
तेरा भजन गाऊँगा।
4क्योंकि तेरी करुणा आकाश से भी ऊँची है,
और तेरी सच्‍चाई आकाशमण्डल तक है।
5हे परमेश्‍वर, तू स्वर्ग के ऊपर हो!
और तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर हो!
6इसलिये कि तेरे प्रिय छुड़ाए जाएँ,
तू अपने दाहिने हाथ से बचा ले और
हमारी विनती सुन ले।
7परमेश्‍वर ने अपनी पवित्रता में होकर कहा है,
“मैं प्रफुल्‍लित होकर शेकेम को
बाँट लूँगा,
और सुक्‍कोत की तराई को नपवाऊँगा।
8गिलाद मेरा है, मनश्शे भी मेरा है;
और एप्रैम मेरे सिर का टोप है;
यहूदा मेरा राजदण्ड है।
9मोआब मेरे धोने का पात्र है,
मैं एदोम पर अपना जूता फेंकूँगा,
पलिश्त पर मैं जयजयकार करूँगा।”
10मुझे गढ़वाले नगर में कौन पहुँचाएगा?
एदोम तक मेरी अगुवाई किस ने की है?
11हे परमेश्‍वर, क्या तू ने हम को
नहीं त्याग दिया,
और हे परमेश्‍वर, तू हमारी सेना के
आगे आगे नहीं चलता।
12शत्रुओं के विरुद्ध हमारी सहायता कर,
क्योंकि मनुष्य का किया हुआ
छुटकारा व्यर्थ है!
13परमेश्‍वर की सहायता से हम वीरता दिखाएँगे;
हमारे शत्रुओं को वही रौंदेगा।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in