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भजन संहिता 79

79
देश के छुटकारे के लिये प्रार्थना
आसाप का भजन
1हे परमेश्‍वर, अन्यजातियाँ तेरे निज
भाग में घुस आईं;
उन्होंने तेरे पवित्र मन्दिर को अशुद्ध किया;
और यरूशलेम को खण्डहर बना दिया है।#2 राजा 25:8–10; 2 इति 36:17–19; यिर्म 52:12–14
2उन्होंने तेरे दासों के शवों को आकाश के
पक्षियों का आहार कर दिया,
और तेरे भक्‍तों का मांस वनपशुओं को
खिला दिया है।
3उन्होंने उनका लहू यरूशलेम के चारों ओर
जल के समान बहाया,
और उनको मिट्टी देनेवाला कोई न था।
4पड़ोसियों के बीच हमारी नामधराई हुई;
चारों ओर के रहनेवाले हम पर हँसते,
और ठट्ठा करते हैं।
5हे यहोवा, तू कब तक लगातार क्रोध
करता रहेगा?
तुझ में आग की सी जलन कब तक
भड़कती रहेगी?
6जो जातियाँ तुझ को नहीं जानतीं,
और जिन राज्यों के लोग तुझ से
प्रार्थना नहीं करते,
उन्हीं पर अपनी सब जलजलाहट भड़का#79:6 मूल में, अपनी जलजलाहट उण्डेल !
7क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया,
और उसके वासस्थान को उजाड़
दिया है।
8हमारी हानि के लिये हमारे पुरखाओं के
अधर्म के कामों को स्मरण न कर;
तेरी दया हम पर शीघ्र हो,
क्योंकि हम बड़ी दुर्दशा में पड़े हैं।
9हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, अपने नाम की
महिमा के निमित्त हमारी सहायता कर;
और अपने नाम के निमित्त हम को छुड़ाकर
हमारे पापों को ढाँप दे।
10अन्यजातियाँ क्यों कहने पाएँ कि उनका
परमेश्‍वर कहाँ रहा?
अन्यजातियों के बीच तेरे दासों के खून का
पलटा लेना हमारे देखते उन्हें मालूम
हो जाए।
11बन्दियों का कराहना तेरे कान तक पहुँचे;
घात होनेवालों को अपने भुजबल के
द्वारा बचा।
12हे प्रभु, हमारे पड़ोसियों ने जो तेरी निन्दा की है,
उसका सातगुणा बदला उनको दे!
13तब हम जो तेरी प्रजा और तेरी चराई की
भेड़ें हैं,
तेरा धन्यवाद सदा करते रहेंगे;
और पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा गुणानुवाद
करते रहेंगे।

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