YouVersion Logo
Search Icon

भजन संहिता 106

106
परमेश्वर के लिये इस्राएल का अविश्वास
1यहोवा की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है;
और उसकी करुणा सदा की है!
2यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन कौन कर सकता है,
या उसका पूरा गुणानुवाद कौन सुना सकता है?
3क्या ही धन्य हैं वे जो न्याय पर चलते,
और हर समय धर्म के काम करते हैं!
4हे यहोवा, अपनी प्रजा पर की, प्रसन्नता के अनुसार मुझे स्मरण कर,
मेरे उद्धार के लिये मेरी सुधि ले,
5कि मैं तेरे चुने हुओं का कल्याण देखूँ,
और तेरी प्रजा के आनन्द में आनन्दित हो जाऊँ;
और तेरे निज भाग के संग बड़ाई करने पाऊँ।
6हमने तो अपने पुरखाओं के समान पाप किया है#106:6 अपने पुरखाओं के समान पाप किया है: हमने उनके ही सदृश्य पाप किया है। हमने उनका उदाहरण अनुसरण किया है।;
हमने कुटिलता की, हमने दुष्टता की है!
7मिस्र में हमारे पुरखाओं ने तेरे आश्चर्यकर्मों पर मन नहीं लगाया,
न तेरी अपार करुणा को स्मरण रखा;
उन्होंने समुद्र के किनारे, अर्थात् लाल समुद्र के किनारे पर बलवा किया।
8तो भी उसने अपने नाम के निमित्त उनका उद्धार किया,
जिससे वह अपने पराक्रम को प्रगट करे।
9तब उसने लाल समुद्र को घुड़का और वह सूख गया;
और वह उन्हें गहरे जल के बीच से मानो जंगल में से निकाल ले गया।
10उसने उन्हें बैरी के हाथ से उबारा,
और शत्रु के हाथ से छुड़ा लिया। (लूका 1:71)
11और उनके शत्रु जल में डूब गए;
उनमें से एक भी न बचा।
12तब उन्होंने उसके वचनों का विश्वास किया;
और उसकी स्तुति गाने लगे।
13परन्तु वे झट उसके कामों को भूल गए;
और उसकी युक्ति के लिये न ठहरे।
14उन्होंने जंगल में अति लालसा की
और निर्जल स्थान में परमेश्वर की परीक्षा की। (1 कुरि. 10:9)
15तब उसने उन्हें मुँह माँगा वर तो दिया,
परन्तु उनके प्राण को सूखा दिया।
16उन्होंने छावनी में मूसा के,
और यहोवा के पवित्र जन हारून के विषय में डाह की,
17भूमि फटकर दातान को निगल गई,
और अबीराम के झुण्ड को निगल लिया।
18और उनके झुण्ड में आग भड़क उठी;
और दुष्ट लोग लौ से भस्म हो गए।
19उन्होंने होरेब में बछड़ा बनाया,
और ढली हुई मूर्ति को दण्डवत् किया।
20 उन्होंने परमेश्वर की महिमा, को घास खानेवाले बैल की प्रतिमा से बदल डाला#106:20 उन्होंने परमेश्वर की महिमा, को घास खानेवाले बैल की प्रतिमा से बदल डाला: उनकी सच्ची महिमा परमेश्वर की उपासना के आधार को बैल की प्रतिमा में बदल दिया। (रोम. 1:23)
21वे अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गए,
जिसने मिस्र में बड़े-बड़े काम किए थे।
22उसने तो हाम के देश में आश्चर्यकर्मों
और लाल समुद्र के तट पर भयंकर काम किए थे।
23इसलिए उसने कहा कि मैं इन्हें सत्यानाश कर डालता
यदि मेरा चुना हुआ मूसा जोखिम के स्थान में उनके लिये खड़ा न होता
ताकि मेरी जलजलाहट को ठंडा करे कहीं ऐसा न हो कि मैं उन्हें नाश कर डालूँ।
24उन्होंने मनभावने देश को निकम्मा जाना,
और उसके वचन पर विश्वास न किया।
25वे अपने तम्बुओं में कुड़कुड़ाए,
और यहोवा का कहा न माना।
26तब उसने उनके विषय में शपथ खाई कि मैं इनको जंगल में नाश करूँगा,
27और इनके वंश को अन्यजातियों के सम्मुख गिरा दूँगा,
और देश-देश में तितर-बितर करूँगा। (भज. 44:11)
28वे बालपोर देवता को पूजने लगे और मुर्दों को चढ़ाए हुए पशुओं का माँस खाने लगे।
29यों उन्होंने अपने कामों से उसको क्रोध दिलाया,
और मरी उनमें फूट पड़ी।
30तब पीनहास ने उठकर न्यायदण्ड दिया,
जिससे मरी थम गई।
31और यह उसके लेखे पीढ़ी से पीढ़ी तक सर्वदा के लिये धर्म गिना गया।
32उन्होंने मरीबा के सोते के पास भी यहोवा का क्रोध भड़काया,
और उनके कारण मूसा की हानि हुई;
33क्योंकि उन्होंने उसकी आत्मा से बलवा किया,
तब मूसा बिन सोचे बोल उठा#106:33 मूसा बिन सोचे बोल उठा: मूसा ने उन्हें सहन नहीं किया। उसने परमेश्वर के सामने उनकी समस्या नहीं रखी। उसने अपने सामर्थ्य पर और अपनी भलाई पर ध्यान नहीं दिया जैसा वह कर सकता था। उसने इस प्रकार बोला जैसे की सब कुछ उस पर और हारून पर निर्भर था।
34जिन लोगों के विषय यहोवा ने उन्हें आज्ञा दी थी,
उनको उन्होंने सत्यानाश न किया,
35वरन् उन्हीं जातियों से हिलमिल गए
और उनके व्यवहारों को सीख लिया;
36और उनकी मूर्तियों की पूजा करने लगे,
और वे उनके लिये फंदा बन गई।
37वरन् उन्होंने अपने बेटे-बेटियों को पिशाचों के लिये बलिदान किया; (1 कुरि. 10:20)
38और अपने निर्दोष बेटे-बेटियों का लहू बहाया
जिन्हें उन्होंने कनान की मूर्तियों पर बलि किया,
इसलिए देश खून से अपवित्र हो गया।
39और वे आप अपने कामों के द्वारा अशुद्ध हो गए,
और अपने कार्यों के द्वारा व्यभिचारी भी बन गए।
40तब यहोवा का क्रोध अपनी प्रजा पर भड़का,
और उसको अपने निज भाग से घृणा आई;
41तब उसने उनको अन्यजातियों के वश में कर दिया,
और उनके बैरियों ने उन पर प्रभुता की।
42उनके शत्रुओं ने उन पर अत्याचार किया,
और वे उनके हाथों तले दब गए।
43बारम्बार उसने उन्हें छुड़ाया,
परन्तु वे उसके विरुद्ध बलवा करते गए,
और अपने अधर्म के कारण दबते गए।
44फिर भी जब जब उनका चिल्लाना उसके कान में पड़ा,
तब-तब उसने उनके संकट पर दृष्टि की!
45और उनके हित अपनी वाचा को स्मरण करके
अपनी अपार करुणा के अनुसार तरस खाया,
46और जो उन्हें बन्दी करके ले गए थे उन सबसे उन पर दया कराई।
47हे हमारे परमेश्वर यहोवा, हमारा उद्धार कर,
और हमें अन्यजातियों में से इकट्ठा कर ले,
कि हम तेरे पवित्र नाम का धन्यवाद करें,
और तेरी स्तुति करते हुए तेरे विषय में बड़ाई करें।
48इस्राएल का परमेश्वर यहोवा
अनादिकाल से अनन्तकाल तक धन्य है!
और सारी प्रजा कहे “आमीन!”
यहोवा की स्तुति करो। (भज. 41:13)

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in