खास-चैले के काँम 2
2
पबित्र-आत्त्मा ऊँदी ओत्री
1जबे पिन्तेकुस्त तैयारोह् को देस आव, तअ बादे चैले ऐकी ठाँई कठै थिऐ। 2तअ ऐक-दंम गऐंणी शो ऐक बड़ो ढोंढ फिरो, अरह् बैजाऐ बड़ी गुड़ाक धोमँराल़ जेऐ शुँणाँई पड़ी; अरह् बादो घरह् जेथै से बादे झुणें बंईठै अँदे थिऐ, सेजो घरह् झीकों अरह् रंणकावो। 3तिनके ऐक आगी का जिया घीयाँना देखाई पड़ा, जिन्दें शी जींभों जेऐ नींक्ल़ियों तिनू सोभी आदमी के मुँढों गाशी आऐयों ठहरी गंई। 4सेजे बादे लोग पबित्र-आत्त्मा शे भरे गुऐ, अरह् पबित्र-आत्त्मा के जाँणें बुल्णों के शक्त्ति शे से अपरियाँण भाषा का बरदाँन लई साँत्त-भाँत्ती भाषा बुल्दे लागे। 5अरह् अस्माँनों थाँई के ऐक नाँम जात्ती मुँझ्शे यहूदी भगत्त लोग यरूशलेम दे रंह् थिऐ। 6जबे ऐजी गुड़ाक-धोमंराल़ जेऐ पड़ी, तअ तिनू देख्णों खे लोगो की बै-शुमार भीड़ लागी; अरह् बादे लोग डरी-हड़बड़ाऐ गुऐ, किन्देंखे के तिनू ऐकी-नाँमों के ऐजो ही जाँणियों के ईन्ऐं अमाँरी ही भाषा दो किऐ बुली लो, ऐजो ही सोभी के शुँणाँई पड़ी रूओ थियों। 7तिनके हराँन हऐयों तूरंबाँणच़ूंटे अरह् से “ओका ओकी कैई शो ऐजो ही पुछ़दे लागे; के कियो ऐजे बुल्णों वाल़े बादे झुँणें गलीली आथी ने? 8तअ ऐजो का हंदो लागो, के आँमों मुँझी ऐक नाँम के आप्णी-आप्णी माँत्र भाषा दो कैई शुँणिदो लागो? 9आँमें तअ पारथी, अरह् मेदी, अरह् एलामी लोग, अरह् मेसोपोटामिया, अरह् यहूदिया, अरह् कप्पदूकिया, अरह् पुन्तुस, अरह् आसिया, 10अरह् फ्रगिया, अरह् पंफूलिया, अरह् मिसरी, अरह् लीबिया देश जुण्जो कुरेनी के नंजीक लीबिया के रंहणों वाल़े; रोम के रंहणोंवाल़े, यहूदी, अरह् शणरार्थी यहूदी, 11क्रेती अरह् अरबी लोग असो; तअ तबे आँमें बादे लोगे ऐ आप्णी-आप्णी माँत्र भाषा दी, ईनू पंण्मिश्वर के बड़े काँम-काज़ की चर्चा कर्दे कैई शुँणी लुऐ!” 12तबे से बादे हरान हऐयों, तिनू सोभी के तूरंबाँणच़ूंटे अरह् से दुबिदा दे पड़ियों डरी-हड़बड़ाऐ गुऐ; अरह् से ओका-ओकी खे बुल्दे लागे, के “ऐजी का बात असो?” 13परह् कंऐयों लोग ठाटै पाड़्दे लागे, के “ऐजे लोग भहिती सूरो पीऐयों बैगे माँच़ि रूऐ।”
संत्त-पतरस का भाष्ण
14तबे संत्त-पतरस ऐं तिनू गियारी खास-चैले आरी खह्ड़े हंऐयों जुराल़ो बुल्णों शुरू कोरो: “हे यहूदिया दे रंहणों वाल़े अरह् यरूशलेम के बादे रंहणों वाल़े लोगों, तुओं सोभिखे ऐजो संहम्झणों खास जरूरी असो; ईन्देंखे मेरी बातो सुई करियों शुँणों: 15जेष्णों तुँऐं जाँणी भे थो, के ऐजे लोग सूरो लंई माँचिऐ अँदे असो; ऐ नाँषे दे आथी ने, किन्देंखे के हेभी तअ झ़ीष्के नौ भे बाजी ने रंह्ई। 16परह् ऐजी सेजी बात असो, जिन्देंके बारे दो ऋषी-योएल ऐ बुलो थियों: 17पंण्मिश्वर ऐजो बुलो:
के हाँव आखरी के देसो दे आप्णी आत्त्मा बादे आदमी गाशी पैरूबा, अरह् तुवाँरे बैटे अरह् बेटीयाँ बरंम्बाँणीं कर्ली; अरह् तुआँरें नोंईयाँ-जवाँन दर्षण देख्ले, अरह् तुवाँरें बुड़ाईको के सुईणें-तंदाल़ों लागले।
18हाँव तिनू देसे आप्णे दास-दासियों गाशी, आप्णा आत्त्मा पैरी देऊँबा, अरह् से बरंम्बाँणी कर्ले।
19हाँव ऊबे अस्माँनों दी नोंखे-अनोंखे काँम-काज़, अरह् धनियों धर्ती गाशी चींह्न-चंम्त्तकार मतल्व लह्ऊँ, अरह् आग, अरह् ऊड़ाया अंदा धुवाँ देखाँऊँबा।
20प्रभू के बड़े अरह् प्रतापी-शक्त्तिशाली देसो के आँणों शा आगे, सुरूजो दो ईनारो अरह् चाँद-टिक्की लह्ऊँ के जेष्णीं हऐ ज़ाली।
21तबे जुण्जा कुँऐ ‘प्रभू के नाँव का आसरा-भोर्षा करला, सेजा ही आदमी छुट्कारा, मुँक्त्ति पाँदा।’
22“हे इस्राएली भाऐ-बंईणों! मेरी ऐजी बातो सुई करियों शुँणों: तुऐं लोग आपु भे जाँणों ऐं; के पंण्मिश्वर ऐं नाँसरत गाँव के यीशू के जाँणें; तुँओं लोगों के बीच दे केत्रै शक्त्ति-शाली, अरह् हरानी कर्णों वाल़े च़ींह्न-चंम्त्तकार देखाऐ थुऐ थिऐ; ईन्दें लई ऐजो साबित्त हऐ ज़ाँव, के नाँसरत गाँव के सेजे यीशू पंण्मिश्वर के ढबे शे ही तुँओं लोगों कैई डेयाल़े थुऐ थिऐ। 23से पण्मिश्वर की पाक्के पलान अरह् पुरे ज्ञाँन के मुँताबिक थंहम्बड़ाऐ गुऐ, अरह् तुओं लोगो ऐं, पापी गऐर-यहूदियों के हाथै तिनू शुँल़ी-फ़ाँषी गाशी चड़ाऐ अरह् मँराऐ दित्ते। 24परह् पंण्मिश्वर ऐ, तीनू मंऊँत्ती की बैद्णीं शे छुड़ोऐयों पाछू ऊँबे जियाँल़े; किन्देखे के ऐजो मुँष्किल थियों, के से मंऊँत्ती के बषं दे रंह्दे; 25किन्देंखे के तिनके बारे दो राजा दाऊद ऐजो बुलो:
के प्रभू सदा मेरी आखी के सहाँम्णें रंह्, अरह् से मेरे सुऐ ढबै बंईठे अँदे असो; जिन्देंके कारण हाँव बैचऐन ने हंई।
26ईन्देंखे मेरा मंन खुशी-आँनन्दित्त असो, अरह् मेरी जीभ मंगन असो; अरह् मेरी देह्-शरीर भोर्षे दे बंणीं रंह्दी।
27किन्देंखे के तुँऐं मेरे प्राँण अंदलोक दे ने छुड़्दी; अरह् तुऐं आप्णें पबित्र जंण खात्ती-कबर दे ने षड़्णों देंदी।
28तुँऐं मुँह कैई अमर-जीवन की बाट देखाऐ थंऐ, तुऐं मुँह आप्णें दर्षण के जाँणें आँनन्द-खुशी करी दिता।
29“हे भाऐ-बंईणों! हाँव कुल़ पिता दाऊद के बारे दो तुँओं कैई दीड़-हिम्मत करियों ऐजो बुलू: के से मँरी गुऐ; अरह् खात्ती-कबर दे थंऐ दित्ते; अरह् तिनकी खात्त-कबर ऐत्त्लो भे ईथी मंजुद् असो। 30राजा दाऊद ऋषी थिऐ; अरह् से ऐजो जाँणों थिऐ, के पंण्मिश्वर ऐं मुँह कैई ऐजी षोंह् करियों बुलो थियों; के ‘हाँव तेरे बंष-गड़ी मुँझ्शा ऐक आदमी तुवाँरे सिंगाँस्णों गाशी बंईठाल़ूबा।’ 31ईन्देंखे तिन्ऐं बित्त्णों वाल़ी बात आगे ही देखियों मसीया के ऊबे जीऊँणों के बारे दो आगे ही बंरंम्बाँणीं करी, के तिनू अंधलोक दे ने छ़ुड़े ज़ाँदें; अरह् ना तिनकी देह्-शरीर षड़्णों देंईदी। 32पंण्मिश्वर ऐ तिन्ही यीशू हजो ऊबे जियाल़े, अरह् आँमें बादे ईयों बातो के गुवाह्-शाज़्त्त असो। 33ऐबे से पंण्मिश्वर के सोऐं ढबै खास पद्-भार गाशी बंईठियों, अरह् पंरम-पिता कैई शी सेजी पबित्र-आत्त्मा भेटियों, जिन्दें का बाऐदा पंण्मिश्वरे ऐं आगे ही करी थुवा थिया; तियों पबित्र-आत्त्मा तिन्ऐं आँमों गाशी ऊँदी-पैरी दित्ती; जियों तुऐं आपु देंखी, अरह् शुँणीं लंऐ। 34राजा दाऊद स्वर्गो दा ने हुटी, परह् से आपु बुलो:
प्रभू ऐं! मेरे प्रभू खे बुलो! तुऐ ताँव तोड़ी मेरे सुऐं ढबै बंईठै अँदे रूऐ;
35जाँव तोड़ी के हाँव तेरे बऐरी तेरी लात्तो थाँई की पिड़ी-पाट्ड़ा ने बंणाऐ देऊँ।
36“इस्राएल का बादा घराना ऐजो पाक्को जाँणी पाँव, के जिनू यीशू तुऐं लोगे ऐ शुँल़ी-फ़ाँषी गाशी चड़ाऐ; तिनू ही पंण्मिश्वर ऐ प्रभू अरह् मसीया बंणाँऐ दित्ते।” 37ऐजी बात शुँणिंयों तिन के ईथै-मंन दी लागी; तबे तिन्ऐं संत्त-पतरस अरह् ओकी खास-चैले खे बुलो; “हे भाईयों! ऐबे आँमों खे का कर्णो ठीक असो?” 38संत्त-पतरस ऐ तिनखे ऐजा जबाब दिता, के “आप्णा मंन बद्ल़ो अरह् तुँओं मुँझ्षे ऐक नाँम आप्णे-आप्णे पापो खे पंस्तावाँ करियों माँफी माँगो; अरह् यीशू मसीया के नाँव शो नहाँण-नहाँव; तबे ऐशा दाँई तुओं पबित्र-आत्त्मा का दाँण-बरंदाँण भेंट्ला। 39किन्देंखे के ऐजा बाय्दा तुँओं खे, अरह् तुँवारी अलादी खे, अरह् तिनू सोभिखे भे, जुण्जे हेभी तोड़ी दूर असो; अरह् तिनू अमाँरे प्रभू पंण्मिश्वर ऐ आपु कैई बंऐदी लुऐ।” 40तबे संत्त-पतरस ऐं ऊकी भे भहित्ती बातो के गुवाऐ-शाज़्त्त दित्ती, अरह् तिन्ऐ लोग ऐशे संहम्झ़ाँऐ; के तुँऐं लोग आपु आप्खे ऐसी ऊल़्टे ज़ूगौ शे बंचाऐयों थुऐ। 41तबे: तिन्ऐं संत्त-पतरस की तिनू बातो माँनी, अरह् नहाँण-नहाँव; अरह् तेसी ही देसे किऐ च़ींन हजार आदमी बिश्वाषी भाऐ-बंईणों आरी मीली गुऐ। 42तबे: सेजे बादे लोग खास-चैले की शिक्षा शुँण्दें, अरह् संत्त-संग दे आँदे; अरह् प्रभू भोज की रोटी खाँदे; अरह् प्रार्थना कर्दे लींन-मंगन रंह्दे लागे। 43तिनू बादे लोगो दा डर-भंऐ संमाँऐ रूवा थिया, किन्देंखे के प्रभू यीशू के खास-चैले के जाँणें चींह्न-चंम्त्तकार के कारण तिनके तूरंबाँणच़ूड़ी थुऐ थिऐ। 44अरह् सेजे बादे बिश्वाषी लोग कठै रंह् थिऐ, अरह् तिनकी बादी चींजो साझीं हों थी। 45सेजे बिश्वाषी लोग आप्णीं-आप्णीं जजाऐत्त, घरोऊँच़ी बीकी-बीकियों जैष्णी कोसी भी भाई-बंऐणीं खे किऐ जरूरत हों थी, तेष्णों ही तिनके जरूरत्त के मुँताबि सब-कुछ बाँडी-बाँडियों दियों थिऐ। 46सेजे बादे बिश्वाषी लोग रोज ऐक मंन हऐयों देऊँठी दे कट्ठै हों थिऐ, अरह् घरह्-घरह् प्रभू भोज की रोटी खाँव थिऐ; अरह् से खुशी-आँनन्द मंनाँव थिऐ; अरह् नींष-कपट् मंन शो से बादे झोणें साथी भोजन करह् थिऐ। 47सेजे बादे बिश्वाषी लोग पंण्मिश्वर की अरार्धना-धन्यबाद करिया करह् थिऐ, अरह् तेथै की बादी जंनत्ता तिनका बैजाऐ माँन-संमाँन करह् थिऐ; अरह् प्रभू हर-रोज तिनकी मंडल़ी दे नुंऐं लोग मिलाँव थिऐ, जिनू लोग आप्णें पाप शा छ़ूट्कारा-मुँक्त्ति भेटो थी।
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पबित्र-आत्त्मा ऊँदी ओत्री
1जबे पिन्तेकुस्त तैयारोह् को देस आव, तअ बादे चैले ऐकी ठाँई कठै थिऐ। 2तअ ऐक-दंम गऐंणी शो ऐक बड़ो ढोंढ फिरो, अरह् बैजाऐ बड़ी गुड़ाक धोमँराल़ जेऐ शुँणाँई पड़ी; अरह् बादो घरह् जेथै से बादे झुणें बंईठै अँदे थिऐ, सेजो घरह् झीकों अरह् रंणकावो। 3तिनके ऐक आगी का जिया घीयाँना देखाई पड़ा, जिन्दें शी जींभों जेऐ नींक्ल़ियों तिनू सोभी आदमी के मुँढों गाशी आऐयों ठहरी गंई। 4सेजे बादे लोग पबित्र-आत्त्मा शे भरे गुऐ, अरह् पबित्र-आत्त्मा के जाँणें बुल्णों के शक्त्ति शे से अपरियाँण भाषा का बरदाँन लई साँत्त-भाँत्ती भाषा बुल्दे लागे। 5अरह् अस्माँनों थाँई के ऐक नाँम जात्ती मुँझ्शे यहूदी भगत्त लोग यरूशलेम दे रंह् थिऐ। 6जबे ऐजी गुड़ाक-धोमंराल़ जेऐ पड़ी, तअ तिनू देख्णों खे लोगो की बै-शुमार भीड़ लागी; अरह् बादे लोग डरी-हड़बड़ाऐ गुऐ, किन्देंखे के तिनू ऐकी-नाँमों के ऐजो ही जाँणियों के ईन्ऐं अमाँरी ही भाषा दो किऐ बुली लो, ऐजो ही सोभी के शुँणाँई पड़ी रूओ थियों। 7तिनके हराँन हऐयों तूरंबाँणच़ूंटे अरह् से “ओका ओकी कैई शो ऐजो ही पुछ़दे लागे; के कियो ऐजे बुल्णों वाल़े बादे झुँणें गलीली आथी ने? 8तअ ऐजो का हंदो लागो, के आँमों मुँझी ऐक नाँम के आप्णी-आप्णी माँत्र भाषा दो कैई शुँणिदो लागो? 9आँमें तअ पारथी, अरह् मेदी, अरह् एलामी लोग, अरह् मेसोपोटामिया, अरह् यहूदिया, अरह् कप्पदूकिया, अरह् पुन्तुस, अरह् आसिया, 10अरह् फ्रगिया, अरह् पंफूलिया, अरह् मिसरी, अरह् लीबिया देश जुण्जो कुरेनी के नंजीक लीबिया के रंहणों वाल़े; रोम के रंहणोंवाल़े, यहूदी, अरह् शणरार्थी यहूदी, 11क्रेती अरह् अरबी लोग असो; तअ तबे आँमें बादे लोगे ऐ आप्णी-आप्णी माँत्र भाषा दी, ईनू पंण्मिश्वर के बड़े काँम-काज़ की चर्चा कर्दे कैई शुँणी लुऐ!” 12तबे से बादे हरान हऐयों, तिनू सोभी के तूरंबाँणच़ूंटे अरह् से दुबिदा दे पड़ियों डरी-हड़बड़ाऐ गुऐ; अरह् से ओका-ओकी खे बुल्दे लागे, के “ऐजी का बात असो?” 13परह् कंऐयों लोग ठाटै पाड़्दे लागे, के “ऐजे लोग भहिती सूरो पीऐयों बैगे माँच़ि रूऐ।”
संत्त-पतरस का भाष्ण
14तबे संत्त-पतरस ऐं तिनू गियारी खास-चैले आरी खह्ड़े हंऐयों जुराल़ो बुल्णों शुरू कोरो: “हे यहूदिया दे रंहणों वाल़े अरह् यरूशलेम के बादे रंहणों वाल़े लोगों, तुओं सोभिखे ऐजो संहम्झणों खास जरूरी असो; ईन्देंखे मेरी बातो सुई करियों शुँणों: 15जेष्णों तुँऐं जाँणी भे थो, के ऐजे लोग सूरो लंई माँचिऐ अँदे असो; ऐ नाँषे दे आथी ने, किन्देंखे के हेभी तअ झ़ीष्के नौ भे बाजी ने रंह्ई। 16परह् ऐजी सेजी बात असो, जिन्देंके बारे दो ऋषी-योएल ऐ बुलो थियों: 17पंण्मिश्वर ऐजो बुलो:
के हाँव आखरी के देसो दे आप्णी आत्त्मा बादे आदमी गाशी पैरूबा, अरह् तुवाँरे बैटे अरह् बेटीयाँ बरंम्बाँणीं कर्ली; अरह् तुआँरें नोंईयाँ-जवाँन दर्षण देख्ले, अरह् तुवाँरें बुड़ाईको के सुईणें-तंदाल़ों लागले।
18हाँव तिनू देसे आप्णे दास-दासियों गाशी, आप्णा आत्त्मा पैरी देऊँबा, अरह् से बरंम्बाँणी कर्ले।
19हाँव ऊबे अस्माँनों दी नोंखे-अनोंखे काँम-काज़, अरह् धनियों धर्ती गाशी चींह्न-चंम्त्तकार मतल्व लह्ऊँ, अरह् आग, अरह् ऊड़ाया अंदा धुवाँ देखाँऊँबा।
20प्रभू के बड़े अरह् प्रतापी-शक्त्तिशाली देसो के आँणों शा आगे, सुरूजो दो ईनारो अरह् चाँद-टिक्की लह्ऊँ के जेष्णीं हऐ ज़ाली।
21तबे जुण्जा कुँऐ ‘प्रभू के नाँव का आसरा-भोर्षा करला, सेजा ही आदमी छुट्कारा, मुँक्त्ति पाँदा।’
22“हे इस्राएली भाऐ-बंईणों! मेरी ऐजी बातो सुई करियों शुँणों: तुऐं लोग आपु भे जाँणों ऐं; के पंण्मिश्वर ऐं नाँसरत गाँव के यीशू के जाँणें; तुँओं लोगों के बीच दे केत्रै शक्त्ति-शाली, अरह् हरानी कर्णों वाल़े च़ींह्न-चंम्त्तकार देखाऐ थुऐ थिऐ; ईन्दें लई ऐजो साबित्त हऐ ज़ाँव, के नाँसरत गाँव के सेजे यीशू पंण्मिश्वर के ढबे शे ही तुँओं लोगों कैई डेयाल़े थुऐ थिऐ। 23से पण्मिश्वर की पाक्के पलान अरह् पुरे ज्ञाँन के मुँताबिक थंहम्बड़ाऐ गुऐ, अरह् तुओं लोगो ऐं, पापी गऐर-यहूदियों के हाथै तिनू शुँल़ी-फ़ाँषी गाशी चड़ाऐ अरह् मँराऐ दित्ते। 24परह् पंण्मिश्वर ऐ, तीनू मंऊँत्ती की बैद्णीं शे छुड़ोऐयों पाछू ऊँबे जियाँल़े; किन्देखे के ऐजो मुँष्किल थियों, के से मंऊँत्ती के बषं दे रंह्दे; 25किन्देंखे के तिनके बारे दो राजा दाऊद ऐजो बुलो:
के प्रभू सदा मेरी आखी के सहाँम्णें रंह्, अरह् से मेरे सुऐ ढबै बंईठे अँदे असो; जिन्देंके कारण हाँव बैचऐन ने हंई।
26ईन्देंखे मेरा मंन खुशी-आँनन्दित्त असो, अरह् मेरी जीभ मंगन असो; अरह् मेरी देह्-शरीर भोर्षे दे बंणीं रंह्दी।
27किन्देंखे के तुँऐं मेरे प्राँण अंदलोक दे ने छुड़्दी; अरह् तुऐं आप्णें पबित्र जंण खात्ती-कबर दे ने षड़्णों देंदी।
28तुँऐं मुँह कैई अमर-जीवन की बाट देखाऐ थंऐ, तुऐं मुँह आप्णें दर्षण के जाँणें आँनन्द-खुशी करी दिता।
29“हे भाऐ-बंईणों! हाँव कुल़ पिता दाऊद के बारे दो तुँओं कैई दीड़-हिम्मत करियों ऐजो बुलू: के से मँरी गुऐ; अरह् खात्ती-कबर दे थंऐ दित्ते; अरह् तिनकी खात्त-कबर ऐत्त्लो भे ईथी मंजुद् असो। 30राजा दाऊद ऋषी थिऐ; अरह् से ऐजो जाँणों थिऐ, के पंण्मिश्वर ऐं मुँह कैई ऐजी षोंह् करियों बुलो थियों; के ‘हाँव तेरे बंष-गड़ी मुँझ्शा ऐक आदमी तुवाँरे सिंगाँस्णों गाशी बंईठाल़ूबा।’ 31ईन्देंखे तिन्ऐं बित्त्णों वाल़ी बात आगे ही देखियों मसीया के ऊबे जीऊँणों के बारे दो आगे ही बंरंम्बाँणीं करी, के तिनू अंधलोक दे ने छ़ुड़े ज़ाँदें; अरह् ना तिनकी देह्-शरीर षड़्णों देंईदी। 32पंण्मिश्वर ऐ तिन्ही यीशू हजो ऊबे जियाल़े, अरह् आँमें बादे ईयों बातो के गुवाह्-शाज़्त्त असो। 33ऐबे से पंण्मिश्वर के सोऐं ढबै खास पद्-भार गाशी बंईठियों, अरह् पंरम-पिता कैई शी सेजी पबित्र-आत्त्मा भेटियों, जिन्दें का बाऐदा पंण्मिश्वरे ऐं आगे ही करी थुवा थिया; तियों पबित्र-आत्त्मा तिन्ऐं आँमों गाशी ऊँदी-पैरी दित्ती; जियों तुऐं आपु देंखी, अरह् शुँणीं लंऐ। 34राजा दाऊद स्वर्गो दा ने हुटी, परह् से आपु बुलो:
प्रभू ऐं! मेरे प्रभू खे बुलो! तुऐ ताँव तोड़ी मेरे सुऐं ढबै बंईठै अँदे रूऐ;
35जाँव तोड़ी के हाँव तेरे बऐरी तेरी लात्तो थाँई की पिड़ी-पाट्ड़ा ने बंणाऐ देऊँ।
36“इस्राएल का बादा घराना ऐजो पाक्को जाँणी पाँव, के जिनू यीशू तुऐं लोगे ऐ शुँल़ी-फ़ाँषी गाशी चड़ाऐ; तिनू ही पंण्मिश्वर ऐ प्रभू अरह् मसीया बंणाँऐ दित्ते।” 37ऐजी बात शुँणिंयों तिन के ईथै-मंन दी लागी; तबे तिन्ऐं संत्त-पतरस अरह् ओकी खास-चैले खे बुलो; “हे भाईयों! ऐबे आँमों खे का कर्णो ठीक असो?” 38संत्त-पतरस ऐ तिनखे ऐजा जबाब दिता, के “आप्णा मंन बद्ल़ो अरह् तुँओं मुँझ्षे ऐक नाँम आप्णे-आप्णे पापो खे पंस्तावाँ करियों माँफी माँगो; अरह् यीशू मसीया के नाँव शो नहाँण-नहाँव; तबे ऐशा दाँई तुओं पबित्र-आत्त्मा का दाँण-बरंदाँण भेंट्ला। 39किन्देंखे के ऐजा बाय्दा तुँओं खे, अरह् तुँवारी अलादी खे, अरह् तिनू सोभिखे भे, जुण्जे हेभी तोड़ी दूर असो; अरह् तिनू अमाँरे प्रभू पंण्मिश्वर ऐ आपु कैई बंऐदी लुऐ।” 40तबे संत्त-पतरस ऐं ऊकी भे भहित्ती बातो के गुवाऐ-शाज़्त्त दित्ती, अरह् तिन्ऐ लोग ऐशे संहम्झ़ाँऐ; के तुँऐं लोग आपु आप्खे ऐसी ऊल़्टे ज़ूगौ शे बंचाऐयों थुऐ। 41तबे: तिन्ऐं संत्त-पतरस की तिनू बातो माँनी, अरह् नहाँण-नहाँव; अरह् तेसी ही देसे किऐ च़ींन हजार आदमी बिश्वाषी भाऐ-बंईणों आरी मीली गुऐ। 42तबे: सेजे बादे लोग खास-चैले की शिक्षा शुँण्दें, अरह् संत्त-संग दे आँदे; अरह् प्रभू भोज की रोटी खाँदे; अरह् प्रार्थना कर्दे लींन-मंगन रंह्दे लागे। 43तिनू बादे लोगो दा डर-भंऐ संमाँऐ रूवा थिया, किन्देंखे के प्रभू यीशू के खास-चैले के जाँणें चींह्न-चंम्त्तकार के कारण तिनके तूरंबाँणच़ूड़ी थुऐ थिऐ। 44अरह् सेजे बादे बिश्वाषी लोग कठै रंह् थिऐ, अरह् तिनकी बादी चींजो साझीं हों थी। 45सेजे बिश्वाषी लोग आप्णीं-आप्णीं जजाऐत्त, घरोऊँच़ी बीकी-बीकियों जैष्णी कोसी भी भाई-बंऐणीं खे किऐ जरूरत हों थी, तेष्णों ही तिनके जरूरत्त के मुँताबि सब-कुछ बाँडी-बाँडियों दियों थिऐ। 46सेजे बादे बिश्वाषी लोग रोज ऐक मंन हऐयों देऊँठी दे कट्ठै हों थिऐ, अरह् घरह्-घरह् प्रभू भोज की रोटी खाँव थिऐ; अरह् से खुशी-आँनन्द मंनाँव थिऐ; अरह् नींष-कपट् मंन शो से बादे झोणें साथी भोजन करह् थिऐ। 47सेजे बादे बिश्वाषी लोग पंण्मिश्वर की अरार्धना-धन्यबाद करिया करह् थिऐ, अरह् तेथै की बादी जंनत्ता तिनका बैजाऐ माँन-संमाँन करह् थिऐ; अरह् प्रभू हर-रोज तिनकी मंडल़ी दे नुंऐं लोग मिलाँव थिऐ, जिनू लोग आप्णें पाप शा छ़ूट्कारा-मुँक्त्ति भेटो थी।
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