भजन संहिता 90
90
1हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है।
2इस से पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है॥
3तू मनुष्य को लौटा कर चूर करता है, और कहता है, कि हे आदमियों, लौट आओ!
4क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, वा रात का एक पहर॥
5तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़ने वाली घास के समान होते हैं।
6वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक कट कर मुर्झा जाती है॥
7क्योंकि हम तेरे क्रोध से नाश हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं।
8तू ने हमारे अधर्म के कामों से अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है॥
9क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द की नाईं बिताते हैं।
10हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
11तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य तेरे रोष को कौन समझता है?
12हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं॥
13हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा!
14भोर को हमें अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें।
15जितने दिन तू हमें दु:ख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हम को आनन्द दे।
16तेरा काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो।
17और हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर॥
Currently Selected:
भजन संहिता 90: HHBD
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in