योहन 1
1
प्रस्तावना
1आदि में शब्द#1:1 अथवा, ‘वचन’ था,
शब्द परमेश्वर के साथ था
और शब्द परमेश्वर था।#यो 17:5; 1 यो 1:1-2; प्रक 19:13; उत 1:1
2वह आदि में परमेश्वर के साथ था।#नीति 8:22
3उसके द्वारा सब कुछ उत्पन्न हुआ
और जो कुछ भी उत्पन्न हुआ,
वह उसके बिना उत्पन्न नहीं हुआ।#कुल 1:16-17; इब्र 1:2; प्रज्ञ 9:1
4उसमें जीवन था#1:4 अथवा, “उसके द्वारा सब कुछ उत्पन्न हुआ, और उसके बिना कुछ भी उत्पन्न नहीं हुआ। जो कुछ भी उत्पन्न हुआ, 4वह उससे जीवन पाता,” ,
और यह जीवन मनुष्यों की ज्योति था।#यो 5:26
5वह ज्योति अन्धकार में चमकती रही,
और अन्धकार उसे नहीं बुझा सका।#1:5 अथवा, ‘किन्तु अंधकार ने उसे स्वीकार नहीं किया।’ #यो 3:19
6परमेश्वर ने एक मनुष्य को भेजा। उसका नाम योहन था।#लू 1:13-17,57-80; मत 3:1; मक 1:4 7योहन साक्षी देने के लिए आए, कि वह ज्योति के विषय में साक्षी दें, जिससे सब लोग उनके द्वारा विश्वास करें।#यो 3:3 8वह स्वयं ज्योति नहीं थे; किन्तु वह ज्योति के विषय में साक्षी देने आए थे।#यो 1:20
9सच्ची ज्योति,
जो प्रत्येक मनुष्य को प्रकाशित करती है,
संसार में आ रही थी।
10शब्द संसार में था,
और संसार उसके द्वारा उत्पन्न हुआ;
किन्तु संसार ने उसे नहीं पहचाना।#यो 1:3-5
11वह अपनों के पास आया
और उसके अपने लोगों ने ही उसे
नहीं अपनाया,
12किन्तु जितनों ने उसे अपनाया,
और उसके नाम में विश्वास किया,
उन सब को उसने परमेश्वर की संतान
बनने का अधिकार दिया।#गल 3:26
13वे न तो रक्त से,
न शरीर की वासना से,
और न किसी पुरुष की इच्छा से,
बल्कि परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।#यो 3:5-6
14शब्द ने देह धारण कर#1:14 अथवा, “शरीर धारण किया”, “मनुष्य बना” हमारे बीच
निवास किया।
हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी
जैसी पिता के एकलौते पुत्र की महिमा,
जो अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण है।#नि 25:8; यश 7:14; 2 पत 1:16-17; यश 60:1; लू 9:32
15योहन ने पुकार-पुकार कर उसके विषय में यह साक्षी दी, “यह वही हैं जिनके विषय में मैंने कहा था कि जो मेरे बाद आने वाले हैं, वह मुझ से श्रेष्ठ हैं; क्योंकि वह मुझ से पहले विद्यमान थे।”#यो 1:27,30; मत 3:11
16उसकी परिपूर्णता से हम सब को अनुग्रह
पर अनुग्रह मिला है।#यो 3:34; कुल 1:19
17व्यवस्था निश्चय ही मूसा द्वारा दी गयी थी,
किन्तु अनुग्रह और सत्य
येशु मसीह द्वारा आए।#रोम 6:14; 10:4; नि 34:6; भज 25:10; 40:10; 85:10
18किसी ने कभी परमेश्वर को नहीं देखा;
पर एकलौते पुत्र ने,
जो स्वयं परमेश्वर है और जो पिता की
गोद में है,
उसको प्रकट किया है।#यो 6:46; 1 यो 4:12; मत 11:27; लू 10:22; 1 तिम 6:16
योहन की साक्षी
19योहन की साक्षी यह है : जब यहूदी धर्म-गुरुओं ने यरूशलेम से पुरोहितों और लेवियों#1:19 अथवा, “उपपुरोहितों” को योहन के पास यह पूछने भेजा कि आप कौन हैं,#लू 3:15-16 20तब उन्होंने स्वीकार किया, अस्वीकार नहीं वरन् स्वीकार किया कि मैं मसीह नहीं हूँ।#प्रे 13:25 21उन लोगों ने योहन से पूछा, “तो फिर आप कौन हैं? क्या आप नबी एलियाह हैं?” योहन ने कहा, “मैं एलियाह नहीं हूँ?”−“क्या आप वह नबी हैं जो आने वाले थे?” योहन ने उत्तर दिया, “नहीं।”#यो 6:14; 7:40; मत 17:10; व्य 18:15; प्रव 48:10-11 22तब उन्होंने योहन से कहा, “तो आप कौन हैं? जिन्होंने हमें भेजा है, हम उन्हें कौन-सा उत्तर दें? आप अपने विषय में क्या कहते हैं?” 23योहन ने उत्तर दिया, “मैं हूँ, जैसा कि नबी यशायाह ने कहा है, ‘निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज : प्रभु का मार्ग सीधा करो।’ ”#यश 40:3 (यू. पाठ); मत 3:3; मक 1:3; लू 3:4
24कुछ लोग फरीसियों में से भेजे गये थे। 25उन्होंने योहन से पूछा, “यदि आप न तो मसीह हैं, न एलियाह और न वह नबी, तो बपतिस्मा क्यों देते हैं?”#मत 21:25 26योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तो जल से#1:26 अथवा, ‘जल में’ बपतिस्मा देता हूँ। तुम्हारे बीच एक व्यक्ति खड़े हैं, जिन्हें तुम नहीं पहचानते।#मत 3:11; मक 1:7-8 27वह मेरे बाद आने वाले हैं। मैं उनके जूते का फीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ।”#यो 3:26; प्रे 13:25
28ये बातें यर्दन नदी के पार बेतनियाह गाँव में हुईं, जहाँ योहन बपतिस्मा दे रहे थे।#मत 3:6,13
प्रभु येशु “परमेश्वर का मेमना”
29दूसरे दिन योहन ने येशु को अपनी ओर आते देखा और कहा, “देखो, परमेश्वर का मेमना, जो संसार का पाप हरता है।#यो 1:36; यश 53:7; उत 22:13; नि 12:3 30यह वही हैं, जिनके विषय में मैंने कहा था, ‘मेरे बाद एक पुरुष आने वाले हैं। वह मुझ से श्रेष्ठ हैं, क्योंकि वह मुझ से पहले विद्यमान थे।’#यो 15:27 31मैं भी उन्हें नहीं जानता था, परन्तु मैं इसलिए जल से बपतिस्मा देने आया हूँ कि वह इस्राएल पर प्रकट हो जाएँ।”
32फिर योहन ने यह साक्षी दी, “मैंने आत्मा को स्वर्ग से कपोत के सदृश उतरते देखा और वह उन पर ठहर गया।#मत 3:16; मक 1:10; लू 3:22 33मैं भी उन्हें नहीं जानता था; परन्तु जिसने मुझे जल से बपतिस्मा देने भेजा, उसने मुझ से कहा था, ‘तुम जिन पर आत्मा को उतरते और ठहरते देखोगे, वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देते हैं।’ 34मैंने स्वयं देखा और यह मेरी साक्षी है कि यह परमेश्वर के पुत्र हैं।”#मत 3:17
प्रभु येशु के प्रथम शिष्य
35दूसरे दिन योहन फिर अपने दो शिष्यों के साथ खड़े थे। 36योहन ने येशु को जाते हुए देखा और कहा, “देखो परमेश्वर का मेमना!”#यो 1:29; यश 53:7 37दोनों शिष्य उनकी यह बात सुन कर येशु के पीछे हो लिये। 38येशु ने मुड़ कर उन्हें अपने पीछे आते देखा, तो कहा, “तुम क्या चाहते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “रब्बी! (अर्थात् गुरु) आप कहाँ रहते हैं?” 39येशु ने उनसे कहा, “आओ और देखो।” उन्होंने जा कर देखा कि वह कहाँ रहते हैं और उस दिन वे उनके साथ रहे। उस समय शाम के लगभग चार बजे थे।
40जो शिष्य योहन की बात सुन कर येशु के पीछे हो लिये थे, उन दोनों में एक सिमोन पतरस का भाई अन्द्रेयास था।#मत 4:18-22 41वह पहले अपने भाई सिमोन से मिला और उससे कहा, “हमें मसीह (अर्थात् परमेश्वर के अभिषिक्त जन#1:41 मूल में “ख्रिस्त” ) मिल गये हैं।”#1 शम 2:10; भज 2:2 42और वह उसे येशु के पास ले गया। येशु ने उसे ध्यान से देखा और कहा, “तुम योहन के पुत्र सिमोन हो। तुम केफा (अर्थात् चट्टान#1:42 मूल में, “पतरस” ) कहलाओगे।”#मत 16:18; मक 3:16
43दूसरे दिन येशु ने गलील प्रदेश जाने का निश्चय किया। उनकी भेंट फिलिप से हुई। उन्होंने उससे कहा, “मेरे पीछे आओ।”#मत 8:22; मक 2:14 44फिलिप बेतसैदा नगर का निवासी था। वहाँ अन्द्रेयास और पतरस भी रहते थे। 45फिलिप नतनएल से मिला और बोला, “जिनके विषय में मूसा ने व्यवस्था में और नबियों ने भी लिखा है, वह हमें मिल गये हैं। वह नासरत-निवासी, युसुफ के पुत्र येशु हैं।”#व्य 18:18; यश 7:14; 53:2; यिर 23:5; यहेज 34:23 46नतनएल ने उत्तर दिया, “क्या नासरत से कोई अच्छी वस्तु निकल सकती है?” फिलिप ने कहा, “आओ और स्वयं देख लो।”#यो 7:41,52
47येशु ने नतनएल को अपने पास आते देखा, तो उसके विषय में कहा, “देखो, यह एक सच्चा इस्राएली है। इस में कोई कपट नहीं।”#भज 32:2; 73:1; उत 25:27 48नतनएल ने उन से कहा, “आप मुझे कैसे जानते हैं?” येशु ने उत्तर दिया, “फिलिप द्वारा तुम्हारे बुलाए जाने से पहले मैंने तुम को अंजीर के पेड़ के नीचे देखा था।” 49नतनएल ने उनसे कहा, “गुरु जी! आप परमेश्वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं।”#2 शम 7:14; यो 6:69; भज 2:7; मत 14:33; 16:16 50येशु ने उत्तर दिया, “मैं ने तुम से कहा, ‘मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा’; क्या तुम इसी लिए विश्वास करते हो? तुम इस से भी महान कार्य देखोगे।” 51येशु ने उससे यह भी कहा, “मैं तुम लोगों से सच-सच कहता हूँ : तुम स्वर्ग को खुला हुआ और परमेश्वर के दूतों को मानव-पुत्र के ऊपर चढ़ते और उतरते हुए देखोगे।” #उत 28:12; मत 4:11; मक 1:13
S'ha seleccionat:
योहन 1: HINCLBSI
Subratllat
Comparteix
Copia
Vols que els teus subratllats es desin a tots els teus dispositius? Registra't o inicia sessió
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.