“परमातिमा के झूँठ सँदेस बतामँइ बालेन से सचेत रहा, काहेकि ऊँ पंचे गाड़र कि नाईं भेस बनाइके तोंहरे पंचन के लघे आबत हें, पय ऊँ पंचे भीतर से डगर कि नाईं खतरनाक होत हें। तूँ पंचे उनखे कामन के परिनाम से उनहीं पहिचान लेइहा, इआ बताबा, कि ‘का कउनव मनई जरबइलन से अंगूर, इआ कि उटकटार से अंजीर के फर टोर सकत हय?