कभी तो स्वप्न के माध्यम से, कभी रात्रि में प्रकाशित दर्शन के माध्यम से,
जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़ा रहता है,
जब वह बिछौने पर नींद में डूबता है.
तब परमेश्वर उसके कान को जागृत कर देते हैं.
उसे चेतावनियों से भयभीत कर देते हैं,
कि ऐसा करके वह मनुष्य को उसके आचरण से दूर कर दें
तथा मनुष्य को अहंकार से बचा लें;
परमेश्वर गड्ढे से मनुष्य की आत्मा की रक्षा कर लेते हैं,
कि उसका जीवन अधोलोक में न चला जाए.