यात्रा के दौरान शत्रुओं से अपनी रक्षा के लिए सम्राट से सिपाहियों का दल और घुड़सवार मांगना मुझे अच्छा नहीं लगा; क्योंकि हमने सम्राट से यह कहा था, ‘परमेश्वर का वरदहस्त उसके भक्तों पर रहता है, पर उसका क्रोध उन लोगों पर भड़क उठता है, जो उसको छोड़ देते हैं।’ अत: हमने सामूहिक उपवास किया, और यात्रा में सुरक्षा के लिए परमेश्वर से प्रार्थना की, और उसने हमारी प्रार्थना सुनी।