हे प्रभु, तू ही मेरा बल और मेरा गढ़ है;
संकट के समय मैं तेरी ही शरण में आता हूं।
प्रभु, विश्व के कोने-कोने से,
सब राष्ट्रों के लोग तेरे सम्मुख आएंगे,
और यह कहेंगे :
‘निस्सन्देह, हमारे पूर्वजों को पैतृक अधिकार में
असत्य के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला;
उन्हें निस्सार वस्तुएं प्राप्त हुई
जो मनुष्य को लाभ नहीं पहुंचातीं।