स्तोत्र 130
130
स्तोत्र 130
आराधना के लिए यात्रियों का गीत.
1याहवेह, गहराइयों में से मैं आपको पुकार रहा हूं;
2हे प्रभु, मेरा स्वर सुन लीजिए,
कृपा के लिए मेरी नम्र विनती की
ओर आपके कान लगे रहें.
3याहवेह, यदि आप अपराधों का लेखा रखने लगें,
तो प्रभु, कौन ठहर सकेगा?
4किंतु आप क्षमा शील हैं,
तब आप श्रद्धा के योग्य हैं.
5मुझे, मेरे प्राणों को, याहवेह की प्रतीक्षा रहती है,
उनके वचन पर मैंने आशा रखी है.
6मुझे प्रभु की प्रतीक्षा है
उन रखवालों से भी अधिक, जिन्हें सूर्योदय की प्रतीक्षा रहती है,
वस्तुतः उन रखवालों से कहीं अधिक जिन्हें भोर की प्रतीक्षा रहती है.
7इस्राएल, याहवेह पर भरोसा रखो,
क्योंकि जहां याहवेह हैं वहां करुणा-प्रेम भी है
और वही पूरा छुटकारा देनेवाले हैं.
8स्वयं वही इस्राएल को,
उनके अपराधों को क्षमा करेंगे.
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स्तोत्र 130: HSS
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The Holy Bible, Hindi Contemporary Version
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पवित्र बाइबिल, हिंदी समकालीन संस्करण
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