1 इतिहास 10
10
शाऊल की मृत्यु
1पलिश्ती सेना ने इस्राएली सेना से युद्ध किया। इस्राएली सैनिक पलिश्ती सेना के सम्मुख से भागे। पर वे गिलबोअ पहाड़ पर मारे गए।#1 शम 31:1-13 2पलिश्ती सैनिकों ने शाऊल और उसके पुत्रों का पीछा किया, और उन्होंने शाऊल के पुत्रों − योनातन, अबीनादब, और मलकीशूअ − का वध कर दिया। 3शाऊल के साथ भारी युद्ध होता रहा। तब धनुषधारी सैनिकों ने उसे खोज लिया। उन्होंने उसको घायल कर दिया। 4शाऊल ने अपने शस्त्रवाहक सेवक को यह आदेश दिया, ‘अपनी तलवार निकाल और मेरे शरीर में भोंक दे! ऐसा न हो कि ये बेखतना सैनिक मेरे पास आएं, और मेरा मजाक उड़ाएं।’ परन्तु शस्त्रवाहक सेवक ने इनकार कर दिया; क्योंकि वह बहुत डर गया था। अत: शाऊल ने अपनी तलवार ली, और वह स्वयं उस पर गिर पड़ा। 5जब शस्त्रवाहक सैनिक ने यह देखा कि शाऊल ने आत्महत्या कर ली, तब वह भी अपनी तलवार पर गिर पड़ा, और मर गया। 6इस प्रकार शाऊल, उसके तीन पुत्र और उसके परिवार के सब सदस्य एक साथ मर गए। 7जब घाटी के इस्राएली सैनिकों ने देखा कि सेना भाग गई तथा शाऊल और उसके पुत्र मर गए, तब उन्होंने अपने नगरों को छोड़ दिया, और वे भी भाग गए। तब पलिश्ती आए, और वे उन नगरों में बस गये।
8दूसरे दिन पलिश्ती सैनिक मृत इस्राएली सैनिकों को लूटने के लिए आए। उन्हें गिलबोअ पहाड़ पर शाऊल और उसके पुत्रों के शव पड़े हुए मिले। 9पलिश्ती सैनिकों ने शाऊल के वस्त्र उतार लिये। वे उसके शस्त्र और सिर को लेकर चले गए। उन्होंने यह शुभ सन्देश अपने देवताओं की मूर्तियों और जनता को सुनाने के लिए समस्त देश में सन्देश-वाहक भेजे। 10पलिश्ती सैनिकों ने शाऊल के शस्त्र अपने देवताओं के मन्दिर में रख दिए, और शाऊल की खोपड़ी को दागोन देवता के मन्दिर में लटका दिया।
11जो व्यवहार पलिश्तियों ने शाऊल के साथ किया था, उसको याबेश-गिलआद नगर के निवासियों ने सुना। 12तब उनके साहसी पुरुष उठे। वे गए। उन्होंने शाऊल, तथा उसके पुत्रों के शव उठाए, और उनको याबेश नगर ले गए। तत्पश्चात् उन्होंने शाऊल और उसके पुत्रों की अस्थियां याबेश नगर में बांज वृक्ष के नीचे गाड़ दीं। उन्होंने सात दिन तक उपवास किया।
13शाऊल की मृत्यु उसके विश्वासघात के कारण हुई थी। उसने प्रभु के प्रति विश्वासघात किया था। उसने प्रभु के वचन का पालन नहीं किया था। उसने मार्ग-दर्शन के लिए मृतकों को जगाने वाली स्त्री से पूछताछ भी की थी।#1 शम 13:13; लेव 19:31; 1 शम 28:7 14उसने मार्ग-दर्शन के लिए प्रभु से नहीं पूछा था। अत: प्रभु ने उसका वध कर दिया, और उसका राज्य दाऊद बेन-यिशय को सौंप दिया।
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