1 पतरस 4

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निष्‍पाप जीवन
1मसीह ने अपने शरीर में दु:ख भोगा; इसलिए आप भी शस्‍त्र की तरह यही मनोभाव धारण करें कि जिसने अपने शरीर में दु:ख भोगा है, उसने पाप से सम्‍बन्‍ध तोड़ लिया है#रोम 6:2,7 2और उसे मानवीय वासनाओं के अनुसार नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार अपना शेष जीवन बिताना चाहिए।#1 यो 2:16-17 3आप लोगों ने पहले सांसारिक लोगों की जीवनचर्या के अनुसार व्‍यभिचार, भोग-विलास, मदिरापान, रंगरलियों, मादकता और घृणित मूर्तिपूजा में जो समय बिताया, वही बहुत हुआ।#इफ 2:2-3; तीत 3:3 4अब आप उन लोगों के साथ विलासिता के दलदल में गोता नहीं लगाते, इसलिए उन्‍हें आश्‍चर्य होता और वे आपकी निन्‍दा करते हैं। 5उन्‍हें जीवितों और मृतकों का न्‍याय करनेवाले परमेश्‍वर को अपने आचरण का लेखा देना पड़ेगा।#प्रे 10:42; 2 तिम 4:1; रोम 14:9-10 6यही कारण है कि मृतकों को भी शुभ समाचार सुनाया गया, जिससे यद्यपि वे शरीर में मनुष्‍यों की तरह दण्‍डित हुए थे, फिर भी आत्‍मा में वे परमेश्‍वर के अनुरूप जीवित रहें।#1 पत 3:19; रोम 8:10; 1 कुर 5:5
परमेश्‍वर के वरदानों के उत्तम भंडारी
7सब का अन्‍त निकट आ गया है। आप लोग सन्‍तुलन तथा संयम रखें, जिससे आप प्रार्थना कर सकें।#1 कुर 10:11; 1 यो 2:18 8मुख्‍य बात यह है कि आप आपस में गहरा प्रेम बनाये रखें, क्‍योंकि प्रेम बहुत-से पाप ढाँक देता है।#नीति 10:12; याक 5:20; 1 कुर 13:7; 1 पत 1:22; तोब 12:9 9आप बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का आतिथ्‍य-सत्‍कार करें।#इब्र 13:2 10जिसे जो वरदान मिला है, वह-परमेश्‍वर के बहुविध अनुग्रह के सुयोग्‍य भण्‍डारी की तरह-दूसरों की सेवा में उसका उपयोग करे।#लू 12:42 11जो प्रवचन देता है, उसे स्‍मरण रहे कि वह परमेश्‍वर के शब्‍द बोल रहा है। जो धर्मसेवा करता है, वह जान ले कि परमेश्‍वर ही उसे बल प्रदान करता है। इस प्रकार सब बातों में येशु मसीह द्वारा परमेश्‍वर की महिमा प्रकट हो जायेगी। महिमा तथा सामर्थ्य युगानुयुग परमेश्‍वर का ही है। आमेन!#रोम 3:2; 12:7; 1 कुर 10:31
एक सच्‍चे मसीही के नाते दु:ख सहना
12प्रिय भाइयो एवं बहिनो! आप लोगों की परीक्षा अग्‍नि से ली जा रही है। आप इस पर आश्‍चर्य नहीं करें, मानो यह कोई असाधारण घटना हो।#1 पत 1:6-7 13यदि आप लोगों पर अत्‍याचार किया जाये, तो मसीह के दु:खभोग के सहभागी बन जाने के नाते आप प्रसन्न हो जायें। जिस दिन मसीह की महिमा प्रकट होगी, आप लोग अत्‍यधिक आनन्‍दित हो उठेंगे।#प्रे 5:41; याक 1:2; रोम 8:17; 2 तिम 2:12 14यदि मसीह के नाम के कारण आप लोगों का अपमान किया जाये, तो अपने को धन्‍य समझें, क्‍योंकि यह इसका प्रमाण है कि परमेश्‍वर का महिमामय आत्‍मा आप पर छाया रहता है।#1 पत 2:20; यश 11:2; भज 89:50-51 15सावधान रहें कि हत्‍यारा, चोर या कुकर्मी होने अथवा दूसरों के कामों में हस्‍तक्षेप करने के नाते आप लोगों में से कोई व्यक्‍ति दु:ख न भोगे। 16परन्‍तु यदि किसी को मसीही होने के नाते दु:ख भोगना पड़े, तो उसे लज्‍जित नहीं होना चाहिए, बल्‍कि वह परमेश्‍वर की महिमा के लिए इस नाम को स्‍वीकार करे;#प्रे 11:26; फिल 1:20 17क्‍योंकि न्‍याय का समय प्रारम्‍भ हो गया है और यह स्‍वयं परमेश्‍वर के परिवार से प्रारम्‍भ हो रहा है। यदि वह इस प्रकार हम से प्रारम्‍भ हो रहा है, तो अन्‍त में उन लोगों का क्‍या होगा, जो परमेश्‍वर के शुभ समाचार में विश्‍वास करना नहीं चाहते?#यहेज 9:6; यिर 25:29; 2 थिस 1:8 18यदि धर्मी को कठिनाई से मुक्‍ति मिलती है, तो विधर्मी और पापी का क्‍या होगा?#नीति 11:31 (यू. पाठ); लू 23:31 19इसलिए जो लोग परमेश्‍वर की इच्‍छा के अनुसार दु:ख भोगते हैं, वे भलाई करते रहें और विश्‍वसनीय सृष्‍टिकर्ता परमेश्‍वर को अपनी आत्‍मा सौंप दें।#भज 31:5; लू 23:46

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1 पतरस 4: HINCLBSI

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