1 तिमोथी 4

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झूठे प्रचारकों से सावधान
1पवित्र आत्‍मा स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहता है कि अन्‍तिम समय में कुछ लोग विश्‍वास अस्‍वीकार करेंगे, क्‍योंकि वे बहकाने वाली आत्‍माओं पर और भूत-प्रेतों से प्राप्‍त शिक्षाओं पर ध्‍यान देंगे।#2 तिम 3:1; 2 पत 3:3; यहू 18; 1 यो 2:18 2वे कपटी लोगों के पाखण्‍ड द्वारा भटकाये जायेंगे, जिनके अन्‍त:करण पर शैतान की मुहर लग चुकी है, 3जो विवाह का निषेध करते हैं और कुछ भोज्‍य वस्‍तुओं से परहेज करने का आदेश देते हैं−यद्यपि परमेश्‍वर ने उन व‍स्‍तुओं की सृष्‍टि इसलिए की है कि सत्‍य जानने वाले विश्‍वासी धन्‍यवाद देते हुए उन्‍हें ग्रहण करें।#उत 9:3; 1 कुर 10:30-31 4क्‍योंकि परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया, वह सब अच्‍छा है और ऐसा कुछ भी त्‍याज्‍य नहीं है, जो धन्‍यवाद के साथ ग्रहण किया जाता है।#उत 1:31; प्रे 10:15 5वह परमेश्‍वर के वचन और प्रार्थना द्वारा पवित्र हो जाता है।
प्रभु येशु का उत्तम सेवक
6तुम ये सब बातें भाइयों एवं बहिनों को समझाओ। इस प्रकार तुम येशु मसीह के उत्तम सेवक बने रहोगे, और विश्‍वास के सिद्धान्‍तों से एवं उस प्रामाणिक शिक्षा से बल ग्रहण करते रहोगे, जिसका तुम ईमानदारी से पालन करते आ रहे हो। 7अधार्मिक एवं निस्‍सार#4:7 शब्‍दश:, “दादी-नानी की सी” कल्‍पित कथाओं से दूर रहो और भक्‍ति की साधना में लगे रहो।#1 तिम 1:4; 6:20; 2 तिम 2:16,23; तीत 1:14; 3:9
8शरीर के व्‍यायाम से कुछ लाभ तो होता है, किन्‍तु भक्‍ति से जो लाभ मिलता है, वह असीम है; क्‍योंकि वह जीवन का आश्‍वासन देती है, इहलोक में भी और परलोक में भी।#1 तिम 6:6 9यह कथन विश्‍वसनीय और सर्वथा मानने योग्‍य है।#1 तिम 1:15 10यही कारण है कि हम परिश्रम करते रहते और संघर्ष में लगे रहते हैं; क्‍योंकि हमने जीवन्‍त परमेश्‍वर पर भरोसा रखा है, जो सब मनुष्‍यों का और विशेष रूप से विश्‍वासियों का उद्धारकर्ता है।#1 तिम 2:3-4 11तुम ये आदेश और यह शिक्षा दिया करो।
12तुम्‍हारी युवावस्‍था के कारण कोई तुम्‍हारा तिरस्‍कार न करे। तुम वचन, कर्म, प्रेम, विश्‍वास और शुद्धता में विश्‍वासियों के आदर्श बनो।#तीत 2:15 13मेरे आने तक धर्मग्रन्‍थ का पाठ करने और प्रवचन तथा शिक्षा देने में लगे रहो। 14उस आध्‍यात्‍मिक वरदान की उपेक्षा मत करो, जो तुम में विद्यमान है और तुम्‍हें नबूवत द्वारा धर्मवृद्धों के हाथ रखते समय#4:14 अक्षरश: “धर्मवृद्ध-मण्‍डल के हस्‍तारोपण के समय” प्राप्‍त हुआ था।#1 तिम 5:22; 2 तिम 1:6; प्रे 6:6; 8:17 15इन बातों का ध्‍यान रखो और इन में पूर्ण रूप से लीन रहो, जिससे सब लोग तुम्‍हारी उन्नति देख सकें। 16तुम अपने विषय में जागरूक रहो तथा अपनी शिक्षा के विषय में सावधान रहो। इन बातों में दृढ़ बने रहो। ऐसा करने से तुम अपनी तथा अपने श्रोताओं की मुक्‍ति का कारण बनोगे।#रोम 11:14

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1 तिमोथी 4: HINCLBSI

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