2 इतिहास 12
12
यहूदा प्रदेश पर आक्रमण
1जब यहूदा प्रदेश पर रहबआम का राज्य स्थिर हो गया और वह स्वयं शक्तिशाली हो गया, तब उसने प्रभु की व्यवस्था को त्याग दिया। उसके साथ यहूदा प्रदेश में रहने वाले इस्राएलियों ने भी प्रभु की व्यवस्था छोड़ दी, और दुष्कर्म करने लगे।#1 रा 14:25-31 2रहबआम प्रभु के प्रति निष्ठावान नहीं रहा। अत: उसके राज्य-काल के पांचवें वर्ष में मिस्र देश के राजा शीशक ने यरूशलेम नगर पर चढ़ाई कर दी। 3शीशक की सेना में बारह सौ रथ और साठ हजार घुड़सवार थे। इनके अतिरिक्त उसके साथ लीबिया, सुक्को, और इथियोपिया#12:3 अथवा ‘सूदान’; मूल में ‘कूश’ देशों के असंख्य सैनिक भी थे। ये उसके साथ मिस्र देश से आए थे।
4राजा शीशक ने एक के बाद एक यहूदा प्रदेश के किलाबन्द नगरों पर कब्जा कर लिया। वह यरूशलेम नगर तक आ पहुंचा। 5शीशक के आक्रमण के कारण यहूदा प्रदेश के सब उच्चाधिकारी यरूशलेम में एकत्र हुए। तब नबी शमायाह राजा रहबआम और उच्चाधिकारियों के पास आया। उसने उनसे कहा, ‘प्रभु यों कहता है: तुमने मुझे त्याग दिया था, इसलिए मैंने भी तुम्हें त्याग दिया, और शीशक के हाथ में छोड़ दिया।’ 6यह सुनकर यहूदा प्रदेश के इस्राएली उच्चाधिकारियों और राजा रहबआम ने स्वयं को विनम्र किया और कहा, ‘प्रभु धर्ममय है।’
7जब प्रभु ने देखा कि उन्होंने स्वयं को विनम्र किया है, तब प्रभु ने नबी शमायाह को यह सन्देश दिया: ‘उन्होंने मेरे सम्मुख स्वयं को विनम्र किया है, अत: मैं उनको नष्ट नहीं करूंगा। फिर भी मैं उनका पूर्णरूप से बचाव नहीं करूंगा। मैं शीशक के माध्यम से अपनी क्रोधाग्नि यरूशलेम पर नहीं उण्डेलूंगा; 8किन्तु वे शीशक के अधीन हो जाएंगे। तब उन्हें अनुभव होगा कि मेरी सेवा और अन्य देशों के राज्यों की सेवा में क्या अन्तर है।’
9अत: मिस्र देश के राजा शीशक ने यरूशलेम नगर पर चढ़ाई की। उसने प्रभु के मन्दिर और राजमहल का खजाना लूट लिया। वह सब कीमती वस्तुएं ले गया। जो सोने की ढालें राजा सुलेमान ने बनाई थीं, वह उनको भी ले गया।#1 रा 10:16 10राजा रहबआम ने सोने की ढालों के स्थान पर पीतल की ढालें बनाईं; और उनको मुख्य द्वारपालों के हाथ में सौंप दिया, जो राजमहल के प्रवेश-द्वारों पर पहरा देते थे। 11जब राजा रहबआम प्रभु के मन्दिर को जाता था, तब द्वारपाल उनको उठा कर ले जाते थे। वहाँ से लौटकर वे उनको शस्त्रागार में रख देते थे।
12जब राजा रहबआम ने प्रभु के सम्मुख स्वयं को विनम्र किया, तब उसके प्रति प्रभु का क्रोध शान्त हो गया। प्रभु ने उसका पूर्ण विनाश नहीं किया। इसके अतिरिक्त यहूदा प्रदेश में परिस्थितियां अच्छी थीं।
13राजा रहबआम ने राजधानी यरूशलेम में स्वयं को पुन: सुदृढ़ किया, और यहूदा प्रदेश पर राज्य करने लगा। जब उसने राज्य करना आरम्भ किया तब उसकी आयु इकतालीस वर्ष की थी। उसने राजधानी यरूशलेम में सत्रह वर्ष तक राज्य किया। प्रभु ने अपने नाम को प्रतिष्ठित करने के लिए इस्राएल के समस्त कुलों के क्षेत्रों में से इस यरूशलेम नगर को चुना था। रहबआम की मां का नाम नामाह था। वह अम्मोन देश की थी।
14जो कार्य प्रभु की दृष्टि में बुरा था, वही उसने किया। उसने प्रभु की इच्छा जानने तथा उसको खोजने में मन नहीं लगाया। 15रहबआम के शेष कार्यों का विवरण, उसके सब कार्यों का विवरण, ‘नबी शमायाह का इतिहास-ग्रन्थ’ में तथा ‘द्रष्टा इद्दो का इतिहास-ग्रन्थ’ में लिखा हुआ है। रहबआम तथा यारोबआम के मध्य निरन्तर युद्ध होते रहे। 16रहबआम अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया, और वह दाऊदपुर में गाड़ा गया।
रहबआम के स्थान पर उसका पुत्र अबियाह राज्य करने लगा।
वर्तमान में चयनित:
2 इतिहास 12: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.