2 कुरिन्थियों 4

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हम अपना नहीं, बल्‍कि प्रभु येशु मसीह का प्रचार करते है
1परमेश्‍वर की दया ने हमें यह सेवा-कार्य सौंपा है, इसलिए हम कभी हार नहीं मानते।#2 कुर 3:6; 1 कुर 7:25 2हम लोक-लज्‍जावश कुछ बातें छिपाना नहीं चाहते। हम न तो छल-कपट करते और न परमेश्‍वर का वचन विकृत करते हैं। हम प्रकट रूप से सत्‍य का प्रचार करते हैं। यही उन सब मनुष्‍यों के पास हमारी सिफारिश है, जो परमेश्‍वर के सामने हमारे विषय में निर्णय करना चाहते हैं#4:2 अथवा, “हम परमेश्‍वर के सम्‍मुख प्रत्‍येक मनुष्‍य के अन्‍त:करण को अपने विषय में निश्‍चित कराते हैं।”#2 कुर 2:17; 1 थिस 2:5 3यदि हमारे शुभसमाचार पर किसी तरह परदा पड़ा है, तो यह परदा उन लोगों के लिए पड़ा है, जो विनाश के मार्ग पर चलते हैं।#1 कुर 1:18 4इस युग-संसार के देवता ने अविश्‍वासियों का मन इतना अन्‍धा कर दिया है कि वे परमेश्‍वर के प्रतिरूप, अर्थात् मसीह के तेजोमय शुभ समाचार की ज्‍योति को देखने में असमर्थ हैं।#इब्र 1:3; इफ 2:2; 2 थिस 2:11; कुल 1:15 5हम अपना नहीं, बल्‍कि प्रभु येशु मसीह का प्रचार करते हैं। हम येशु के कारण अपने को आप लोगों का दास समझते हैं।#2 कुर 1:24 6परमेश्‍वर ने आदेश दिया था कि “अन्‍धकार में प्रकाश हो जाये।” उसी ने हमारे हृदय को अपनी ज्‍योति से आलोकित कर दिया है, जिससे हम परमेश्‍वर का वह तेज जान जायें, जो येशु मसीह के मुखमण्‍डल पर चमकता है।#2 कुर 3:18; उत 1:3; यश 9:1
7यह अमूल्‍य निधि हममें-मिट्टी के पात्रों में रखी रहती है, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो जाये कि यह अलौकिक सामर्थ्य हमारा अपना नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर का है।#2 कुर 5:1; प्रे 9:15 8हम कष्‍टों से घिरे रहते हैं, परन्‍तु कभी हार नहीं मानते। हम परेशान होते हैं, परन्‍तु कभी निराश नहीं होते।#2 कुर 1:8; 7:5 9हम पर अत्‍याचार किया जाता है, परन्‍तु हम अपने को परित्‍यक्‍त नहीं पाते। हम को गिराया जाता है, परन्‍तु हम नष्‍ट नहीं होते। 10हम हर समय अपने शरीर में येशु के दु:खभोग तथा मृत्‍यु का अनुभव करते हैं, जिससे येशु का जीवन भी हमारे शरीर में प्रत्‍यक्ष हो जाये।#1 कुर 15:31 11हमें जीवित रहते हुए येशु के कारण निरन्‍तर मृत्‍यु का सामना करना पड़ता है, जिससे येशु का जीवन भी हमारे नश्‍वर शरीर में प्रत्‍यक्ष हो जाये।#रोम 8:36 12इस प्रकार हम में मृत्‍यु क्रियाशील है और आप लोगों में जीवन।
13धर्मग्रन्‍थ में लिखा है, “मैंने विश्‍वास किया और इसलिए मैं बोला।” हम विश्‍वास के उसी मनोभाव#4:13 अथवा, “आत्‍मा”। से प्रेरित हैं। हम विश्‍वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं।#भज 116:10 (यू. पाठ) 14हम जानते हैं कि जिसने प्रभु येशु को पुनर्जीवित किया, वही येशु के साथ हम को भी पुनर्जीवित कर देगा और आप लोगों के साथ हम को भी अपने पास रख लेगा।#1 कुर 6:14 15सब कुछ आप लोगों के लिए हो रहा है, ताकि जिस प्रकार परमेश्‍वर का अनुग्रह अधिक से अधिक लोगों में फैलता जा रहा है, उसी प्रकार परमेश्‍वर की महिमा के लिए धन्‍यवाद की प्रार्थना करने वालों की संख्‍या बढ़ती जाये।#2 कुर 1:3-6
पुनरुत्‍थान पर दृढ़ विश्‍वास
16यही कारण है कि हम हिम्‍मत नहीं हारते। हमारे शरीर की शक्‍ति भले ही क्षीण होती जा रही हो, किन्‍तु हमारे अभ्‍यन्‍तर में दिन-प्रतिदिन नये जीवन का संचार होता रहता है;#इफ 3:16 17क्‍योंकि हमारा क्षण-भर का हलका-सा कष्‍ट हमें हमेशा के लिए भारी मात्रा में अपार महिमा दिलाता है।#रोम 8:17-18 18इसलिए हमारी आंखें दृश्‍य पर नहीं, बल्‍कि अदृश्‍य वस्‍तुओं पर टिकी हुई हैं, क्‍योंकि जो वस्‍तुएं हम देखते हैं, वे अल्‍पकालिक हैं। अनदेखी वस्‍तुएं अनन्‍तकाल तक बनी रहती हैं।#इब्र 11:1,3; कुल 1:16

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