2 पतरस भूमिका
भूमिका
“संत पतरस का दूसरा पत्र” आरम्भिक मसीहियों की अनेक मण्डलियों को लिखा गया था। इसका मुख्य उद्देश्य झूठे धर्मशिक्षकों की शिक्षा और उससे उत्पन्न अनैतिकता का विरोध करना था। लेखक ने आरम्भिक विश्वासियों से कहा कि झूठी शिक्षा और उससे उत्पन्न अनैतिकता से वे तभी बच सकते हैं, जब वे परमेश्वर और प्रभु येशु के सच्चे ज्ञान को कसकर पकड़े रहें। यह सच्चा ज्ञान उन लोगों द्वारा पहुंचाया गया था, जिन्होंने स्वयं प्रभु येशु को देखा था और उनके साथ रहकर उन्हें शिक्षा देते हुये सुना था। प्रस्तुत पत्र का लेखक उन लोगों की भ्रांत शिक्षा से अत्यधिक चिंतित है, जो यह सिखाते हैं कि प्रभु येशु का पुनरागमन नहीं होगा, वह फिर नहीं लौटेंगे। पत्र का लेखक लिखता है कि प्रभु येशु के पुन: लौटने में इसलिये विलम्ब हो रहा है कि “परमेश्वर नहीं चाहता है कि किसी का विनाश हो, वरन् उसकी इच्छा है कि सबको हृदय-परिवर्तन का अवसर मिले।”
विषय-वस्तु की रूपरेखा
अभिवादन 1:1-2
मसीही आह्वान 1:3-21
झूठे धर्मशिक्षक 2:1-22
प्रभु येशु का आगमन 3:1-18
वर्तमान में चयनित:
2 पतरस भूमिका: HINCLBSI
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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