2 थिस्सलुनीकियों भूमिका
भूमिका
प्रभु येशु के पुनरागमन को लेकर थिस्सलुनीके नगर की कलीसिया में भ्रम फैला हुआ था। थिस्सलुनीकी कलीसिया के कुछ सदस्य विश्वास करने लगे थे कि प्रभु येशु के पुनरागमन का दिन तो आ चुका है। प्रेरित पौलुस इस विचार को दूर करते हुए कहते हैं कि इसके पूर्व कि प्रभु येशु का पुनरागमन हो, बुराई और दुष्टता अपनी चरमसीमा पर पहुँच जाएंगी और अधर्मियों का नेतृत्व करेगा एक रहस्यमय “मसीह-विरोधी” दुष्टजन!
प्रेरित पौलुस प्रस्तुत पत्र में इस बात पर जोर देते हैं कि दु:ख, संकट, अत्याचार, सताव होने पर भी मसीहीजन अपने विश्वास में अडिग रहें, और जैसे प्रेरित पौलुस और उनके सहयोगी अपनी जीविका के लिए हाथों से परिश्रम करते हैं, वैसे ही थिस्सलुनीकी कलीसिया के सदस्य व्यर्थ की बातों में न पड़कर सतत परिश्रम और सत्कर्म करते रहें।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
अभिवादन 1:1-2
प्रशंसा और हितकामना 1:3-12
पुनरागमन के सम्बन्ध में निर्देश 2:1-17
उपदेश और मसीही आचरण 3:1-16
उपसंहार 3:17-18
वर्तमान में चयनित:
2 थिस्सलुनीकियों भूमिका: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.