व्यवस्था-विवरण 3
3
बाशान के राजा को पराजित करना
1‘हम आगे बढ़े थे, और बाशान के मार्ग की ओर गए थे। तब बाशान का राजा ओग अपने सब सैनिकों के साथ हमारा सामना करने, हमसे एद्रेई में युद्ध करने के लिए निकल आया।#गण 21:33-35 2परन्तु प्रभु ने मुझसे यह कहा था, “उससे मत डर क्योंकि मैंने उसे, उसके सब सैनिकों को तथा उसके देश को तेरे हाथ में दे दिया है। जैसा तूने एमोरियों के राजा सीहोन के साथ, जो हेश्बोन में रहता था, किया था, वैसा ही उसके साथ करना।” 3अत: हमारे प्रभु परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग को तथा उसके सब सैनिकों को भी हमारे हाथ सौंप दिया। हमने उसको इस प्रकार मारा कि उसका एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा। 4हमने उस समय उसके सब नगर ले लिये थे। एक भी नगर ऐसा नहीं बचा था जिसको हमने उनसे नहीं लिया था: साठ नगर, अर्गोब का समस्त क्षेत्र, बाशान में ओग का राज्य ही हमने ले लिया था। 5ये सब किलाबन्द नगर थे। इनके ऊंचे-ऊंचे परकोटे, द्वार और अर्गलाएं थीं। इन नगरों के अतिरिक्त अनेक गांव थे, जिनमें परकोटे नहीं थे। 6जैसा हमने हेश्बोन के राजा सीहोन को नष्ट किया था वैसा ही उनको पूर्णत: नष्ट कर दिया; पुरुष, स्त्री और बच्चे सहित एक-एक नगर को अर्पित समझकर पूर्णत: नष्ट कर दिया। 7परन्तु हमने पशुओं और नगरों की लूट को अपने लिए लूट लिया। 8हमने उस समय एमोरी जाति के दो राजाओं के हाथ से उनके देश छीन लिए थे, जो यर्दन नदी के उस पार थे, जिनकी सीमा अर्नोन घाटी से हेर्मोन पर्वत तक थी। 9(सीदोनी-जाति के लोग हेर्मोन को सीर्योन कहते हैं, पर एमोरी जाति के लोग उसको सनीर कहते हैं।) 10पठार के सब नगर, सम्पूर्ण गिलआद, तथा ओग के बाशान राज्य के नगर−सल्काह और एद्रई−तक समस्त बाशान हमने ले लिया था। 11(बाशान का राजा ओग रपाई जाति का अन्तिम जीवित व्यक्ति था। उसकी शव-पेटिका लोह-पाषण की थी। वह अम्मोनियों के रब्बाह नगर में अब तक विद्यमान है। मानक माप के अनुसार वह प्राय: चार मीटर लम्बी और डेढ़ मीटर चौड़ी थी।)
यर्दन नदी के पूर्वीय क्षेत्र का आबंटन
12‘उस समय जब हमने इस देश पर अधिकार किया था, तब मैंने रूबेन वंशियों और गाद वंशियों को अरोएर नगर, जो अर्नोन घाटी के छोर पर स्थित है, और नगरों सहित गिलआद का आधा पहाड़ी प्रदेश दिया था।#गण 32:33-38 13मैंने मनश्शे गोत्र के आधे वंशजों को, शेष गिलआद प्रदेश और सम्पूर्ण बाशान−ओग का राज्य−अर्थात् अर्गोब का समस्त क्षेत्र दिया था। (बाशान का यह सम्पूर्ण क्षेत्र रपाई देश कहलाता है। 14मनश्शे के पुत्र याईर ने अर्गोब का समस्त क्षेत्र, अर्थात् गशूरी और मआकाती राज्यों की सीमा तक बाशान देश लिया था और अपने नाम पर इन गांवों का नाम हब्बोत-याईर रखा, जैसा आज तक है।) 15मैंने माकीर को गिलआद प्रदेश प्रदान किया था। 16मैंने रूबेन वंशियों और गाद वंशियों को गिलआद प्रदेश से अर्नोन नदी तक का क्षेत्र दिया था। अर्नोन घाटी का मध्य क्षेत्र उनकी सीमा थी, और अम्मोनियों की सीमा, यब्बोक नदी तक थी। 17अराबाह क्षेत्र और यर्दन नदी भी, किन्नेरेत की झील से अराबाह के सागर (मृत सागर) तक, अर्थात् पूर्व दिशा में पिस्गाह के ढालों के नीचे तक सीमा बनाते थे। #गण 34:11
18‘मैंने उस समय तुम्हें यह आदेश दिया था : “तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने तुम्हें अधिकार करने के लिए यह देश प्रदान किया है। तुम्हारे समस्त शूरवीर, सशस्त्र पुरुष, अपने इस्राएली भाई-बन्धुओं के आगे उस पार जाएंगे।#यहो 1:12-15 19किन्तु तुम्हारी पत्नी, शिशु और पालतू पशु (मैं जानता हूं कि तुम्हारे पास असंख्य पशु हैं) उन नगरों में जिनको मैंने तुम्हें दिया है, उस समय तक रहेंगे, 20जब तक प्रभु तुम्हारे भाई-बन्धुओं को भी तुम्हारे समान शान्ति-स्थल नहीं प्रदान करेगा और वे उस प्रदेश को अपने अधिकार में नहीं कर लेंगे जो तुम्हारा प्रभु परमेश्वर उन्हें यर्दन नदी के उस पार प्रदान कर रहा है। तत्पश्चात् तुम में से प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने अधिकार-क्षेत्र को, जो मैंने उसे प्रदान किया है, लौट आएगा।” 21मैंने उस समय यहोशुअ को यह आदेश दिया था, “जो कुछ प्रभु तुम्हारे परमेश्वर ने इन दो राजाओं के साथ किया है, उसको स्वयं तेरी आंखों ने देखा है। वह ऐसा ही कार्य उन सब राज्यों के साथ भी करेगा, जहां तू जा रहा है। 22तू उनसे मत डरना, क्योंकि तू नहीं, वरन् तेरा प्रभु परमेश्वर तेरे लिए युद्ध करेगा।”
मूसा कनान में प्रवेश नहीं करेंगे
23‘मैंने उस समय प्रभु से यह अनुनय-विनय की थी :#गण 27:12-14; व्य 32:48-52 24“हे स्वामी, हे प्रभु! तूने अपने सेवक को अपनी महानता, अपना भुजबल दिखाना आरम्भ ही किया है। तेरे अतिरिक्त, आकाश अथवा पृथ्वी पर और कौन ईश्वर है, जो तेरे सामर्थ्यपूर्ण कार्यों के सदृश कार्य कर सके?#व्य 11:2; नि 15:11; भज 86:8 25कृपाकर मुझे उस पार जाने दे, यर्दन नदी के उस पार के उत्तम देश, उस उत्तम पहाड़ी प्रदेश, और लबानोन के दर्शन कर लेने दे।” 26परन्तु प्रभु तुम्हारे कारण मेरे प्रति क्रोध में आपे से बाहर हो गया था। उसने मेरी प्रार्थना अनसुनी कर दी। प्रभु ने कहा था, “बहुत हो चुका! इस विषय पर मुझसे और बात मत कर। 27तू पिस्गाह के शिखर पर चढ़। वहां से तू अपनी आंखें उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम की ओर उठाना, और स्वयं अपनी आंखों से देखना; क्योंकि तू इस यर्दन नदी के उस पार नहीं जा सकेगा। 28किन्तु तू यहोशुअ को आदेश दे, उसको प्रोत्साहन दे, उसको शक्तिशाली बना; क्योंकि वही इन लोगों के आगे-आगे उस पार जाएगा, और उसके कारण ही ये उस देश को अपने पैतृक अधिकार में करेंगे, जिसका तू केवल दर्शन करेगा।” 29अत: हम बेत-पओर के सम्मुख घाटी में ठहर गए थे।
वर्तमान में चयनित:
व्यवस्था-विवरण 3: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.