इफिसियों 5

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1आप लोग परमेश्‍वर की प्रिय सन्‍तान हैं, इसलिए उसका अनुसरण करें।#मत 5:48; कुल 3:12 2आप प्रेम के मार्ग पर चलें, जिस तरह मसीह ने हम लोगों से प्रेम किया और सुगन्‍धित भेंट तथा बलि के रूप में परमेश्‍वर के प्रति अपने को हमारे लिए अर्पित कर दिया।#गल 2:20; इब्र 10:10; कुल 3:13; भज 40:6; नि 29:18; यहेज 20:41
3जैसा कि सन्‍तों के लिए उचित है, आप लोगों के बीच किसी प्रकार के व्‍यभिचार और अशुद्धता अथवा लोभ की चर्चा तक न हो,#इफ 4:19; कुल 3:5 4और न भद्दी, मूर्खतापूर्ण या अश्‍लील बातचीत; क्‍योंकि यह अशोभनीय है-बल्‍कि आप परमेश्‍वर को धन्‍यवाद दिया करें।#इफ 4:29; कुल 3:8 5आप लोग यह निश्‍चित रूप से जान लें कि कोई व्‍यभिचारी, लम्‍पट अथवा लोभी-जो मूर्तिपूजक के बराबर है-मसीह और परमेश्‍वर के राज्‍य का अधिकारी नहीं होगा।#1 कुर 6:9-10; कुल 3:5; प्रे 8:21 6कोई निरर्थक तर्कों से आप लोगों को धोखा न दे। इन बातों के कारण परमेश्‍वर का क्रोध विद्रोही लोगों पर आ पड़ता है।#रोम 1:18; कुल 2:4,8 7इसलिए उन लोगों से कोई सम्‍बन्‍ध न रखें। 8आप लोग पहले ‘अन्‍धकार’ थे, अब प्रभु के शिष्‍य होने के नाते ‘ज्‍योति’ बन गये हैं। इसलिए ज्‍योति की सन्‍तान की तरह आचरण करें।#इफ 2:11,13; लू 16:8; 1 पत 2:9; यो 12:36 9जहाँ ज्‍योति है, वहाँ हर प्रकार की भलाई, धार्मिकता तथा सच्‍चाई उत्‍पन्न होती है। 10आप यह पता लगाते रहें कि कौन-सी बातें प्रभु को प्रिय हैं।#रोम 12:2 11जो व्‍यर्थ के काम लोग अन्‍धकार में करते हैं, उन में आप सम्‍मिलित न हों, वरन् उनकी बुराई प्रकट करें।#यो 16:8 12जो काम वे गुप्‍त रूप से करते हैं, उनकी चर्चा करने में भी लज्‍जा आती है।#रोम 1:24 13ज्‍योति इन सब बातों की बुराई प्रकट करती और इनका वास्‍तविक रूप स्‍पष्‍ट कर देती है।#यो 3:20-21 14ज्‍योति जिसे आलोकित करती है, वह स्‍वयं ज्‍योति बन जाता है। इसलिए कहा गया है :
“हे सोने वाले, जाग!
मृतकों में से जी उठ
और मसीह तुम को आलोकित करेंगे।”#यश 26:19; 60:1; रोम 13:11; 6:13
15अपने आचरण का पूरा-पूरा ध्‍यान रखें। मूर्खों की तरह नहीं, बल्‍कि बुद्धिमानों की तरह चल कर।#मत 10:16; कुल 4:5 16वर्तमान समय से पूरा लाभ उठायें, क्‍योंकि ये दिन बुरे हैं। 17आप लोग नासमझ न बनें, बल्‍कि प्रभु की इच्‍छा क्‍या है, यह पहचानें।#रोम 12:2 18मदिरा पी कर मतवाले नहीं बनें, क्‍योंकि इससे विषय-वासना उत्‍पन्न होती है, बल्‍कि पवित्र आत्‍मा से परिपूर्ण हो जायें।#नीति 23:31; लू 21:34 19मिल कर भजन, स्‍तोत्र और आध्‍यात्‍मिक गीत गायें; पूरे हृदय से प्रभु के आदर में गाते-बजाते रहें।#कुल 3:16; भज 33:2-3 20हमारे प्रभु येशु मसीह के नाम पर सब समय, सब कुछ के लिए, पिता-परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देते रहें।#कुल 3:17
मसीही परिवार का आदर्श
21हम मसीह के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखने के कारण एक दूसरे के अधीन रहें।#1 पत 5:5 22पत्‍नियो! जैसे प्रभु के अधीन वैसे ही आप अपने-अपने पति के अधीन रहें।#उत 3:16; कुल 3:18; 1 पत 3:1 23क्‍योंकि पति उसी तरह पत्‍नी का शीर्ष है, जिस तरह मसीह कलीसिया का शीर्ष हैं और स्‍वयं अपनी उस देह के मुक्‍तिदाता हैं।#1 कुर 11:3; कुल 1:18 24जिस तरह कलीसिया मसीह के अधीन रहती है, उसी तरह पत्‍नी को भी सब बातों में अपने पति के अधीन रहना चाहिए।
25पतियो! आप अपनी पत्‍नी से उसी तरह प्रेम रखें, जिस तरह मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया। उन्‍होंने उसके लिए अपने को अर्पित किया,#कुल 3:19 26जिससे वह उसे वचन तथा जल के स्‍नान द्वारा शुद्ध कर पवित्र बना सकें;#तीत 3:5 27क्‍योंकि वह एक ऐसी कलीसिया अपने सामने उपस्‍थित करना चाहते थे जो महिमामय हो, जिस में न दाग हो, न झुर्री और न कोई दूसरा दोष, वरन् जो पवित्र और निष्‍कलंक हो।#भज 45:13; 2 कुर 11:2 28इसी प्रकार उचित है कि पति अपनी पत्‍नी से प्रेम करे, मानो वह उसकी अपनी देह है। क्‍योंकि जो अपनी पत्‍नी से प्रेम करता है, वह अपने आपसे प्रेम करता है। 29कोई अपने शरीर से बैर नहीं करता; वरन् वह उसका पालन-पोषण करता और उसकी देख-भाल करता रहता है। मसीह कलीसिया के साथ ऐसा ही करते हैं, 30क्‍योंकि हम उनकी देह के अंग हैं।#इफ 1:23; 1 कुर 6:15; उत 2:23 31धर्मग्रन्‍थ में लिखा है, “इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्‍नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक देह होंगे।”#उत 2:24 32यह एक महान रहस्‍य है-यह मैं मसीह और कलीसिया के संदर्भ में कह रहा हूं।#प्रक 19:7
33जो भी हो, आप लोगों में हर एक पति अपनी पत्‍नी को अपने समान प्रेम करे और पत्‍नी अपने पति का आदर-सम्‍मान करे।

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