यहेजकेल 46
46
विश्राम-दिवस तथा नवचन्द्र पर्व
1स्वामी-प्रभु यों कहता है : ‘भीतरी आंगन का पूर्व-मुखी फाटक सप्ताह के छ: दिन बन्द रहेगा, किन्तु वह सातवें दिन अर्थात् विश्राम-दिवस तथा नवचन्द्र-दिवस पर खुला रहेगा।#यहेज 45:17 2इस्राएल देश का शासक बाहर से फाटक के ओसारे के मार्ग से प्रवेश करेगा, और खंभे के पास खड़ा हो जाएगा। पुरोहित उसकी ओर से अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि चढ़ाएंगे। वह फाटक की ड्योढ़ी पर ही आराधना कर लौट जाएगा। वह फाटक से बाहर निकल जाएगा, किन्तु फाटक शाम तक बन्द नहीं किया जाएगा। 3इस्राएल देश की जनता भी विश्राम-दिवसों और नवचन्द्र-दिवसों पर इस फाटक के द्वार पर ही प्रभु के सम्मुख आराधना करेगी।
4‘इस्राएल देश का शासक प्रभु को विश्राम-दिवस पर अग्नि-बलि में छ: निर्दोष मेमने और एक निर्दोष मेढ़ा चढ़ाएगा। 5मेढ़े की अग्नि-बलि के साथ वह अन्न-बलि में दस किलो अन्न चढ़ाएगा। मेमनों की अग्नि-बलि के साथ वह अन्न-बलि में यथाशक्ति अन्न और हर दस किलो अन्न के साथ साढ़े सात लिटर तेल चढ़ाएगा।
6‘इस्राएल देश का शासक नवचन्द्र दिवस पर एक निर्दोष बछड़ा, छ: मेमने और एक मेढ़ा चढ़ाएगा। ये मेमने और मेढ़ा निर्दोष होने चाहिए। 7वह इस अग्नि-बलि के साथ अन्न-बलि भी चढ़ाएगा: प्रत्येक बछड़े और मेढ़े के साथ दस किलो अन्न, और मेमनों के साथ यथाशक्ति अन्न और हर दस किलो पीछे साढ़े सात लिटर तेल। 8वह फाटक के ओसारे के मार्ग से प्रवेश करेगा, और उसी मार्ग से वह बाहर जाएगा।
मन्दिर के भीतर आने और जाने के मार्ग
9‘जब इस्राएल के साधारण जन, निर्धारित पर्वों पर प्रभु की आराधना करने के लिए मन्दिर में उसके सम्मुख आएंगे तब वे जिस फाटक से प्रवेश करेंगे, उसी फाटक से बाहर नहीं निकलेंगे। यदि कोई व्यक्ति उत्तरी फाटक से प्रवेश करेगा तो वह दक्षिणी फाटक से बाहर निकलेगा। ऐसे ही दक्षिणी फाटक से प्रवेश करनेवाला उत्तरी फाटक से निकलेगा। प्रत्येक व्यक्ति सीधा निकल जाएगा।#नि 23:14,17
10‘इस्राएल देश का शासक साधारण-जनता के साथ ही प्रभु के भवन में प्रवेश करेगा। जब वे बाहर निकलेंगे तब वह भी बाहर निकलेगा।
बलि चढ़ाने के नियम
11‘जब त्योहारों और नियत पर्वों पर अग्नि-बलि अर्पित की जाएगी, तब उसके साथ अन्न-बलि चढ़ाने का यह नियम है: प्रत्येक बछड़े और मेढ़े के साथ दस किलो अन्न, और मेमनों के साथ यथाशक्ति अन्न और प्रत्येक दस किलो के साथ साढ़े सात लिटर तेल। 12जब इस्राएल देश का शासक स्वेच्छा-बलि के रूप में प्रभु को अग्नि-बलि अथवा सहभागिता-बलि चढ़ाने की इच्छा करेगा तब पूर्वमुखी फाटक उसके लिए खोला जाएगा। जैसे वह विश्राम-दिवस पर अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि चढ़ाता है वैसे ही वह स्वेच्छा-बलि के रूप में अग्नि-बलि अथवा सहभागिता-बलि चढ़ाएगा। तब वह फाटक से बाहर निकलेगा, और उसके निकलने के पश्चात् फाटक बन्द कर दिया जाएगा।
13‘इस्राएल देश का शासक प्रतिदिन प्रभु को अग्नि-बलि चढ़ाने के लिए एक एक-वर्षीय निर्दोष मेमने का प्रबंध करेगा। वह प्रतिदिन सबेरे उसका प्रबंध करेगा। 14वह उसके साथ प्रतिदिन सबेरे अन्न-बलि का भी प्रबंध करेगा : पौने दो किलो मैदा, और उसको गूंधने के लिए अढ़ाई लिटर तेल। यह प्रभु के लिए अन्न-बलि होगी। नित्य अग्नि-बलि की यही विधि है। 15इस प्रकार प्रतिदिन सबेरे मेमना, अन्न-बलि और तेल नित्य अग्नि-बलि में चढ़ाया जाएगा।’
16स्वामी-प्रभु यों कहता है : ‘यदि इस्राएल देश का शासक अपनी भूमि में से कुछ अंश अपने किसी पुत्र को देगा, तो यह अंश उस पुत्र की पैतृक सम्पत्ति हो जाएगी। उस पर उस पुत्र का हक होगा। 17परन्तु यदि शासक अपनी भूमि में से कुछ अंश अपने किसी गुलाम को देगा, तो उस अंश पर गुलाम का अधिकार “दासत्व-मुक्ति के वर्ष” तक ही रहेगा। दासत्व से मुक्त होने पर गुलाम का यह अंश शासक को वापस हो जाएगा। केवल उसके पुत्रों को ही उनकी पैतृक भूमि पर हक होगा।#लेव 25:10 18इस्राएल देश का शासक किसी भी नागरिक की पैतृक भूमि से उसको वंचित नहीं करेगा, और यों उसकी पैतृक सम्पत्ति को नहीं हड़प लेगा। वह अपने पुत्रों को अपनी भूमि में से कुछ अंश देगा जिससे ऐसा न हो कि वह अथवा उसके पुत्र मेरे निज लोगों को उनकी पैतृक भूमि से वंचित कर दें।’
पवित्र बलि-सामग्री को पकाने की व्यवस्था
19फिर वह मुझे द्वार से ले गया। यह फाटक के एक अलंग पर था। वह मुझे पुरोहितों के उत्तर-मुखी पवित्र कक्षों में ले गया। वहाँ मैंने देखा कि उन कक्षों से दूर पश्चिमी कोने पर एक स्थान है। 20उसने मुझसे कहा, ‘यही वह स्थान है, जहाँ पुरोहित दोष-बलि और पाप-बलि के पशुओं का मांस पकाएंगे। इसी स्थान पर वे अन्न-बलि में चढ़ाए गए अन्न की रोटी सेकेंगे। ऐसा न हो कि वे बलि-पशु का मांस और अन्न-बलि का पवित्र अन्न बाहर आंगन में ले जाएं और साधारण जनों को उनका स्पर्श हो जाए और वे भी पवित्र हो जाएं।’
21तब वह मुझे बाहरी आंगन में ले गया। वहाँ उसने मुझे आंगन के चारों कोनों में फिराया। आंगन के हर कोने में एक ओट बना था। 22चारों कोनों में चार ओट थे। प्रत्येक ओट की लम्बाई बीस मीटर और चौड़ाई पन्द्रह मीटर थी। यों चारों ओटों की नाप समान थी। 23चारों ओटों में चारों ओर एक-एक दीवार थी और दीवार से सटे हुए उसके नीचे चूल्हे थे। 24तब उसने मुझसे कहा, ‘ये रसोईघर हैं। यहाँ मन्दिर के सेवक जनता द्वारा चढ़ाई गई बलि का मांस और अन्न पकाएंगे।’
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यहेजकेल 46: HINCLBSI
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