यशायाह 4

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1उस दिन सात स्‍त्रियाँ एक पुरुष को पकड़कर यह निवेदन करेंगी, ‘हम अपने भोजन की व्‍यवस्‍था स्‍वयं करेंगी, पहिनने के लिए वस्‍त्र भी स्‍वयं जुटा लेंगी, तुम्‍हारी कमाई नहीं खाएंगी। बस हमें अपनी पत्‍नी स्‍वीकार करो; और हमारे कुंआरेपन का कलंक मिटा दो।’
यरूशलेम नगर का सुन्‍दर भविष्‍य
2उस दिन प्रभु का अंकुर,
जिसको उसने रोपा था,
सुन्‍दर और भव्‍य होगा,
शेष बचे हुए इस्राएलियों के लिए
भूमि की उपज
गौरव और गर्व की बात होगी।#यिर 23:5; जक 3:8
3सियोन में बचे हुए व्यक्‍ति,
यरूशलेम में शेष रहे पुरुष,
सब जिनके नाम वहाँ ‘जीवन की पुस्‍तक’ में
लिखे हुए हैं,
पवित्र कहलाएंगे। #दान 12:1
4जब स्‍वामी सियोन की पुत्रियों के कलंक को दूर करेगा, और न्‍याय की आत्‍मा तथा अग्‍नि की आत्‍मा से यरूशलेम के खून के दागों को धोकर दूर करेगा, 5तब वह सियोन पर्वत की समस्‍त इमारतों पर, तथा उसके समस्‍त सभा-भवनों के ऊपर दिन के समय मेघ तथा रात के समय धूआं और धधकती अग्‍नि का प्रकाश उत्‍पन्न करेगा। सबके ऊपर प्रभु की महिमा मंडप और वितान के सदृश फैली रहेगी।#नि 13:21 6वह दिन में धूप से बचाव के लिए छाया करेगी। वह आंधी और वर्षा से बचने के लिए आश्रय और शरण-स्‍थल होगी।

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