क्या तुम समझते हो कि धर्मग्रन्थ अकारण कहता है कि परमेश्वर ने जिस आत्मा को हम में समाविष्ट किया, उस को वह बड़ी ममता से चाहता है? वह प्रचुर मात्रा में अनुग्रह भी देता है, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “परमेश्वर घमण्डियों का विरोध करता, किन्तु विनीतों को अनुग्रह प्रदान करता है।” अत: आप लोग परमेश्वर के अधीन रहें। शैतान का सामना करें और वह आप के पास से भाग जायेगा। परमेश्वर के पास जायें और वह आप के पास आयेगा। पापियो! अपने हाथ शुद्ध करो। कपटियो! अपना हृदय पवित्र करो। अपनी दुर्गति पहचान कर शोक मनाओ और आंसू बहाओ। अपनी हंसी शोक में और अपना आनन्द विषाद में बदल डालो। प्रभु के सामने दीन-हीन बनो तो वह तुम्हें ऊंचा उठायेगा। भाइयो और बहिनो! आप एक दूसरे की निन्दा नहीं करें। जो अपने भाई अथवा बहिन की निन्दा करता या अपने भाई अथवा बहिन का न्याय करता है, वह व्यवस्था की निन्दा और व्यवस्था का न्याय करता है। यदि आप व्यवस्था का न्याय करते हैं, तो आप व्यवस्था के पालक नहीं, बल्कि न्यायकर्ता बन बैठते हैं। केवल एक ही विधायक और एक ही न्यायकर्ता है, जो बचाने और नष्ट करने में समर्थ है। अपने पड़ोसी का न्याय करने वाले तुम कौन हो? तुम लोग जो यह कहते हो, “हम आज या कल अमुक नगर जायेंगे, एक वर्ष तक वहां रह कर व्यापार करेंगे और धन कमायेंगे”, मेरी बात सुनो। तुम नहीं जानते कि कल तुम्हारा क्या हाल होगा। तुम्हारा जीवन एक कुहरा मात्र है-वह एक क्षण दिखाई दे कर लुप्त हो जाता है। तुम लोगों को यह कहना चाहिए, “यदि प्रभु की इच्छा होगी, तो हम जीवित रहेंगे और यह अथवा वह काम करेंगे”। किन्तु तुम अपनी धृष्ठता पर धृष्ठता करते हो। इस प्रकार का घमण्ड बुरा है। जो मनुष्य भलाई करना जानता है किन्तु करता नहीं, उसे पाप लगता है।
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