योएल पुस्‍तक-परिचय

पुस्‍तक-परिचय
नबी योएल के विषय में हम अधिक नहीं जानते हैं। हम यह भी नहीं जानते हैं कि वह कब हुए थे। यह सम्‍भव है कि प्रस्‍तुत ग्रन्‍थ का रचना-काल ईसवी पूर्व पाँचवीं-चौथी शताब्‍दी हो। इस समय फारसी साम्राज्‍य फैला हुआ था। लेकिन यूनान देश से उसकी पराजय के सूचक-चिह्‍न दिखाई देने लगे थे। नबी योएल टिड्डियों के भयंकर आक्रमण तथा पलिश्‍ती देश के दुर्भिक्ष का वर्णन करते हैं। इन घटनाओं को नबी योएल “प्रभु के आनेवाले दिन” का चिह्‍न मानते हैं। यह प्रभु का प्रकोप-दिवस है, जब प्रभु परमेश्‍वर उन लोगों को दण्‍ड देगा जो उसकी धार्मिक इच्‍छा का विरोध करते हैं। नबी योएल प्रभु परमेश्‍वर का सन्‍देश इस्राएलियों को सुनाते हैं कि वे सियोन पर्वत पर मन्‍दिर के आंगन में आ कर पश्‍चात्ताप करें। परमेश्‍वर प्रतिज्ञा करता है कि वह उनको पुन: समृद्ध करेगा, और उनको आशिष देगा। महत्‍वपूर्ण पद यह है कि परमेश्‍वर प्रतिज्ञा करता है कि वह सब मनुष्‍यों पर, स्‍त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध, सब पर अपना आत्‍मा उंडेलेगा (2:28)।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
टिड्डियों का प्रकोप 1:1−2:17
पुन: समृद्धि की प्रतिज्ञा 2:18-27
प्रभु का प्रकोप-दिवस 2:28−3:21

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