योना 4:1-5

योना 4:1-5 HINCLBSI

किन्‍तु योना को परमेश्‍वर का यह निर्णय बहुत बुरा लगा। वह प्रभु परमेश्‍वर से नाराज हो गया। उसने प्रभु से प्रार्थना की। उसने कहा, ‘प्रभु, मेरी तुझसे यह प्रार्थना है: जब मैं अपने देश में था, तब मैंने तुझ से यही तो कहा था; अब तो वही बात हुई। इसी कारण मैं तुरन्‍त तर्शीश नगर को भागा था। मैं जानता था कि तू कृपालु और दयालु परमेश्‍वर है। तू विलम्‍ब से क्रोध करने वाला और करुणा का सागर है। तू विपत्ति ढाहने के अपने निर्णय को बदलता भी है। इसलिए अब मैं तुझसे यह विनती करता हूं: हे प्रभु, तू मेरा प्राण मुझसे ले ले। मेरे लिए जीवित रहने की अपेक्षा मरना अच्‍छा है।’ प्रभु ने योना से कहा, ‘क्‍या तेरा यह क्रोध उचित है?’ तब योना नगर से बाहर निकला। वह नगर के पूर्व में रहने लगा। उसने अपने सिर पर एक छप्‍पर डाला। वह छप्‍पर की छाया में बैठ गया और देखने लगा कि नगर का अब क्‍या होगा।