यहोशुअ 1
1
कनान-विजय की तैयारी
1प्रभु के सेवक मूसा की मृत्यु के पश्चात् प्रभु ने नून के पुत्र और मूसा के धर्म-सेवक यहोशुअ से कहा,#नि 24:13; 33:11 2‘मेरे सेवक मूसा की मृत्यु हो गई। इसलिए अब तैयार हो, और सब इस्राएलियों के साथ इस यर्दन नदी को पार कर उस देश में जा जो मैं इस्राएली समाज को दे रहा हूँ।#व्य 34:5 3मैंने मूसा को वचन दिया था। अपने वचन के अनुसार जिस-जिस स्थान पर तुम्हारे पैर पड़ेंगे, वह मैं तुम्हें दूंगा।#व्य 11:24 4यह तुम्हारी राज्य-सीमा होगी: दक्षिण में मरुस्थल से उत्तर में लबानोन की पहाड़ियों तक, पूर्व में महानदी फरात और हित्ती जाति के समस्त देश से पश्चिम में भूमध्यसागर तक।#उत 15:18 5जब तक तू जीवित है तब तक कोई भी व्यक्ति तेरा सामना नहीं कर सकेगा। जैसे मैं मूसा के साथ था वैसे ही मैं तेरे साथ रहूँगा। मैं तुझे निस्सहाय नहीं छोड़ूँगा। मैं तुझे नहीं त्यागूंगा।#नि 3:12; व्य 7:24; 31:6; इब्र 13:5 6शक्तिशाली और साहसी बन! तू ही इस देश पर इस्राएलियों का अधिकार कराएगा। इस देश को प्रदान करने की शपथ मैंने इस्राएलियों के पूर्वजों से खाई थी। 7तू साहसी और शक्तिशाली बन! जिस व्यवस्था का आदेश मेरे सेवक मूसा ने तुझे दिया है, उसका पालन कर और उसके अनुसार कार्य कर। उस व्यवस्था से न दाहिनी ओर मुड़ना, और न बायीं ओर। तब तू जहाँ-जहाँ जाएगा, वहाँ-वहाँ सफल होगा। 8इस व्यवस्था-ग्रन्थ के शब्द तेरे मुंह से कभी अलग न हों। तू रात-दिन उसका पाठ करना, ताकि तू उसमें लिखी हुई सब बातों का पालन कर सके और उनके अनुसार कार्य कर सके। तब तू अपने मार्ग पर उन्नति करेगा, तू अपने कार्य में सफल होगा।#व्य 17:18 9स्मरण रख, मैंने तुझे यह आज्ञा दी है: “शक्तिशाली और साहसी बन! भयभीत मत हो! निराश मत हो!” जहाँ-जहाँ तू जाएगा, वहाँ-वहाँ मैं, तेरा प्रभु परमेश्वर, तेरे साथ रहूँगा।’
10तब यहोशुअ ने इस्राएली समाज के शास्त्रियों को यह आज्ञा दी, 11‘पड़ाव में जाओ, और लोगों को यह आदेश दो, “अपने भोजन आदि का प्रबन्ध कर लो; क्योंकि तुम्हें तीन दिन के भीतर इस यर्दन नदी को पार करना है। तुम्हें उस देश पर अधिकार करने के लिए प्रवेश करना है, जिसको तुम्हारा प्रभु परमेश्वर तुम्हारे अधिकार में प्रदान कर रहा है।” ’
12फिर यहोशुअ ने रूबेन तथा गाद के वंशजों और मनश्शे गोत्र के आधे वंशजों से कहा,#गण 32:20-22; व्य 3:18-20; यहो 22:1-6 13‘जो आज्ञा प्रभु के सेवक मूसा ने तुम्हें दी थी, उसको स्मरण करो। उन्होंने कहा था; “तुम्हारा प्रभु परमेश्वर तुम्हें एक विश्राम-स्थल दे रहा है। वह तुम्हें यह देश प्रदान कर रहा है।” 14तुम्हारी पत्नी, बच्चे और पशु यर्दन नदी के इस पार की भूमि पर रहेंगे, जो मूसा ने तुम्हें दी है। किन्तु तुम्हारे सब बलवान पुरुष शस्त्र उठाकर अपने जाति-भाई-बन्धुओं के आगे-आगे यर्दन नदी पार करेंगे, 15जब तक प्रभु तुम्हारे जाति-भाई-बन्धुओं को भी तुम्हारे सामान विश्राम-स्थल न दे। जब उस देश की भूमि पर, जो प्रभु परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहा है, उनका अधिकार हो जाएगा, तब तुम अपने अधिकार क्षेत्र में लौट आना। तुम इस भूमि पर अधिकार करना, जो प्रभु के सेवक मूसा ने तुम्हें यहां यर्दन नदी के पूर्वी भाग में दी है।’
16उन्होंने यहोशुअ को उत्तर दिया, ‘हम आपके सब आदेशों का पालन करेंगे। जहाँ-जहाँ आप हमें भेजेंगे, वहाँ-वहाँ हम जाएंगे। 17जिस प्रकार हम मूसा की बातें मानते थे, उसी प्रकार आप की बातें भी मानेंगे। शर्त केवल यह है: जैसे प्रभु परमेश्वर मूसा के साथ था वैसे वह आप के साथ भी हो। 18जो व्यक्ति आप के आदेश से विद्रोह करेगा, आपकी बातों को नहीं मानेगा, आपकी आज्ञा का उल्लंघन करेगा, उसको मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा। केवल आप शक्तिशाली और साहसी हों!’
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