यहोशुअ 20
20
शरण-नगर
1प्रभु यहोशुअ से बोला, 2‘तू इस्राएली समाज से यह कहना: “शरण-नगरों को निश्चित करो, जिनके विषय में मैंने मूसा के द्वारा तुमसे कहा था,#गण 35:6-14; व्य 4:41-43 3जिससे हत्यारा, जिसने बिना किसी अभिप्राय के अथवा अनजाने में हत्या की है, वहां भाग कर शरण ले सके। ये नगर रक्त-प्रतिशोधी से बचने के लिए तुम्हारे शरण-नगर होंगे। 4हत्यारा किसी भी शरण-नगर में भाग कर जाएगा। वह उस नगर के प्रवेश-द्वार पर खड़ा होगा, और उस नगर के धर्मवृद्धों को स्पष्ट स्वर में बताएगा कि उससे किस स्थिति में हत्या हुई है। तब धर्मवृद्ध उसे नगर के भीतर ले जाएंगे और उसे रहने के लिए जगह देंगे। वह उनके साथ रहेगा। 5यदि रक्त-प्रतिशोधी उसका पीछा करता हुआ वहां आएगा तो धर्मवृद्ध हत्यारे को उसके हाथ में नहीं सौंपेंगे; क्योंकि उसने अनजाने में अपने पड़ोसी की हत्या की है, पड़ोसी के प्रति पहले से उसकी घृणा नहीं थी। 6जब तक वह न्याय के लिए मंडली के सम्मुख खड़ा नहीं होगा, और जब तक उस समय के महापुरोहित की मृत्यु न होगी, तब तक वह नगर में रहेगा। तत्पश्चात् हत्यारा अपने नगर को, जहां से वह भागकर आया है, अपने घर लौट जाएगा।” ’
7अत: उन्होंने नफ्ताली के पहाड़ी प्रदेश में गलील के केदश नगर को एफ्रइम के पहाड़ी प्रदेश के शकेम नगर को और यहूदा के पहाड़ी प्रदेश में स्थित किर्यत-अर्बा (अर्थात् हेब्रोन) नगर को शरण-नगर निश्चित किया। 8उन्होंने यर्दन नदी के पूर्व में, निर्जन प्रदेश में यरीहो के पूर्व में पठार पर स्थित बेसर नगर को, जो रूबेन कुल के भूमि-भाग में था गिलआद के रामोत को, जो गाद कुल के भूमि-भाग में था, और बाशान प्रदेश के गोलान नगर को, जो मनश्शे गोत्र के भूमि-भाग में था, निश्चित किया।
9ये नगर समस्त इस्राएली लोगों तथा उनके मध्य निवास करने वाले प्रवासियों के लिए निश्चित किए गए जिससे हत्यारा, जिसने बिना अभिप्राय के हत्या की है, वहां भाग कर शरण ले सके। जब तक वह न्याय के लिए उसी शरण-नगर में मंडली के सम्मुख खड़ा नहीं होगा तब तक वह नगर में रहकर रक्त-प्रतिशोधी के हाथ से अपने प्राण बचाएगा।
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यहोशुअ 20: HINCLBSI
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