मत्ती 11
11
1अपने बारह शिष्यों को ये आदेश देने के बाद येशु वहाँ से चले गए, और वह यहूदियों के नगरों में शिक्षा देने और शुभ-समाचार का प्रचार करने लगे।#मत 7:28; 13:53; 19:1; 26:1
योहन बपतिस्मादाता का प्रश्न
2योहन ने, बन्दीगृह में मसीह के कार्यों की चर्चा सुनकर,#लू 7:18-35 अपने शिष्यों को उनके पास यह पूछने भेजा,#मत 14:3 3“क्या आप वही हैं, जो आने वाले थे या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?”#मल 3:1; दान 9:26 4येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जाओ, तुम जो सुनते और देखते हो, उसे योहन को बता दो − 5अन्धे देखते हैं और लंगड़े चलते हैं, कुष्ठरोगी शुद्ध किये जाते हैं और बहरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं और गरीबों को शुभसमाचार सुनाया जाता है।#यश 35:5-6; 61:1 6धन्य है वह, जो मेरे विषय में भ्रम में नहीं पड़ता#मत 13:57; 26:31 ।”#11:6 अथवा, “जिसका विश्वास मेरे कारण विचलित नहीं होता।” अथवा, “जो मुझ पर संदेह नहीं करता।”
7वे विदा हो ही रहे थे कि येशु जनसमूह से योहन के विषय में कहने लगे, “तुम लोग निर्जन प्रदेश में क्या देखने गये थे? हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? नहीं!#मत 3:1,5 8तो, तुम क्या देखने गये थे? बढ़िया कपड़े पहने मनुष्य को? नहीं! बढ़िया कपड़े पहनने वाले राजमहलों में रहते हैं। 9फिर तुम क्या देखने निकले थे? किसी नबी को? निश्चय ही! मैं तुम से कहता हूँ, नबी से भी महान व्यक्ति को।#लू 1:76 10यह वही है, जिसके विषय में धर्मग्रन्थ में लिखा है, ‘परमेश्वर कहता है : देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेज रहा हूँ। वह तुम्हारे आगे तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा।’#मल 3:1; मक 1:2; यो 3:28 11मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, जो स्त्रियों से उत्पन्न हुए हैं, उनमें योहन बपतिस्मादाता से महान कोई नहीं हुआ। फिर भी, स्वर्गराज्य में जो सब से छोटा है, वह योहन से बड़ा है।#मत 13:17
12“योहन बपतिस्मादाता के समय से आज तक स्वर्गराज्य में बलपूर्वक प्रवेश#11:12 अथवा, ‘स्वर्गराज्य प्रबलता से प्रकट हो रहा है।’ हो रहा है, और बल प्रयोग करने वाले उस पर अधिकार कर रहे हैं;#लू 16:16; 13:24; यो 6:15 13क्योंकि सब नबी और व्यवस्था-ग्रन्थ योहन के समय तक नबूवत करते रहे। 14यदि तुम मानना चाहो, तो मेरी बात मान लो कि योहन वही एलियाह हैं, जो आने वाले थे।#मल 4:5; मत 17:10-13 15जिसके कान हों, वह सुन ले।
16“मैं इस पीढ़ी की तुलना किस से करूँ? वे बाजार में बैठे हुए बालकों के सदृश हैं, जो अपने साथियों को पुकार कर कहते हैं :
17‘हम ने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजायी
पर तुम नहीं नाचे,
हम ने विलाप किया
किन्तु तुम ने छाती नहीं पीटी’;#नीति 29:9
18क्योंकि योहन आए, पर वह साधारण मनुष्य के समान खाते-पीते नहीं थे। और लोग कहते हैं : ‘उन में भूत है।’#मत 3:4 19मानव पुत्र आया। वह साधारण मनुष्य के समान खाता-पीता है और लोग कहते हैं : ‘देखो, यह आदमी पेटू और पियक्कड़ है। चुंगी-अधिकारियों और पापियों का मित्र है।’#मत 9:14-15 किन्तु परमेश्वर की प्रज्ञ अपने कर्मों से प्रमाणित होती है।#11:19 अथवा, “किन्तु परमेश्वर की बुद्धि परिणामों द्वारा सही प्रमाणित हुई है।” ”
अविश्वासी नगरों को धिक्कार
20तब येशु उन नगरों को धिक्कारने लगे जिनमें उन्होंने सामर्थ्य के बहुत कार्य किये थे#लू 10:12-15 , किन्तु उनके निवासियों ने ये सामर्थ्य के कार्य देख कर भी पश्चात्ताप नहीं किया था। 21येशु ने कहा, “धिक्कार तुझे, खुराजिन! धिक्कार तुझे, बेतसैदा! जो सामर्थ्य के कार्य तुम में किये गये हैं, यदि वे सोर और सदोम में किये गये होते, तो उन्होंने न जाने कब से टाट ओढ़ कर और भस्म रमा कर पश्चात्ताप कर लिया होता।#योना 3:6 22इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा सोर और सदोम की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी।
23“और तू, कफरनहूम! क्या तू आकाश तक ऊंचा उठाया जाएगा? नहीं! तू अधोलोक में नीचे गिरा दिया जाएगा; क्योंकि जो सामर्थ्य के कार्य तुझ में किये गये हैं, यदि वे सदोम में किये गये होते, तो वह आज तक बना रहता।#मत 4:13; 8:5; 9:1; यश 14:13-15 24इसलिए मैं तुझ से कहता हूँ, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा सदोम की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी।#मत 10:15 ”
निर्दोष हृदय की प्रशंसा
25उस समय येशु ने कहा,#लू 10:21-22; तोब 7:17 “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ; क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और बुद्धिमानों से गुप्त रखा; किन्तु बच्चों पर प्रकट किया है।#1 कुर 1:26-29 26हाँ, पिता! यही तुझे अच्छा लगा।”
प्रेमपूर्ण निमंत्रण
27“मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। पुत्र को कोई नहीं जानता, पर केवल पिता; और न कोई पिता को जानता है, पर केवल पुत्र और वह, जिस पर पुत्र उसे प्रकट करना चाहे।#मत 28:18; यो 3:35; 17:2; फिल 2:9
28“हे सब थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो!#प्रव 6:24-30; 24:19; 51:23-26 मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।#मत 12:20; यिर 31:25 29मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा में शान्ति पाओगे,#यिर 6:16 30क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हलका है।”#1 यो 5:3
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1अपने बारह शिष्यों को ये आदेश देने के बाद येशु वहाँ से चले गए, और वह यहूदियों के नगरों में शिक्षा देने और शुभ-समाचार का प्रचार करने लगे।#मत 7:28; 13:53; 19:1; 26:1
योहन बपतिस्मादाता का प्रश्न
2योहन ने, बन्दीगृह में मसीह के कार्यों की चर्चा सुनकर,#लू 7:18-35 अपने शिष्यों को उनके पास यह पूछने भेजा,#मत 14:3 3“क्या आप वही हैं, जो आने वाले थे या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?”#मल 3:1; दान 9:26 4येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जाओ, तुम जो सुनते और देखते हो, उसे योहन को बता दो − 5अन्धे देखते हैं और लंगड़े चलते हैं, कुष्ठरोगी शुद्ध किये जाते हैं और बहरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं और गरीबों को शुभसमाचार सुनाया जाता है।#यश 35:5-6; 61:1 6धन्य है वह, जो मेरे विषय में भ्रम में नहीं पड़ता#मत 13:57; 26:31 ।”#11:6 अथवा, “जिसका विश्वास मेरे कारण विचलित नहीं होता।” अथवा, “जो मुझ पर संदेह नहीं करता।”
7वे विदा हो ही रहे थे कि येशु जनसमूह से योहन के विषय में कहने लगे, “तुम लोग निर्जन प्रदेश में क्या देखने गये थे? हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? नहीं!#मत 3:1,5 8तो, तुम क्या देखने गये थे? बढ़िया कपड़े पहने मनुष्य को? नहीं! बढ़िया कपड़े पहनने वाले राजमहलों में रहते हैं। 9फिर तुम क्या देखने निकले थे? किसी नबी को? निश्चय ही! मैं तुम से कहता हूँ, नबी से भी महान व्यक्ति को।#लू 1:76 10यह वही है, जिसके विषय में धर्मग्रन्थ में लिखा है, ‘परमेश्वर कहता है : देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेज रहा हूँ। वह तुम्हारे आगे तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा।’#मल 3:1; मक 1:2; यो 3:28 11मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, जो स्त्रियों से उत्पन्न हुए हैं, उनमें योहन बपतिस्मादाता से महान कोई नहीं हुआ। फिर भी, स्वर्गराज्य में जो सब से छोटा है, वह योहन से बड़ा है।#मत 13:17
12“योहन बपतिस्मादाता के समय से आज तक स्वर्गराज्य में बलपूर्वक प्रवेश#11:12 अथवा, ‘स्वर्गराज्य प्रबलता से प्रकट हो रहा है।’ हो रहा है, और बल प्रयोग करने वाले उस पर अधिकार कर रहे हैं;#लू 16:16; 13:24; यो 6:15 13क्योंकि सब नबी और व्यवस्था-ग्रन्थ योहन के समय तक नबूवत करते रहे। 14यदि तुम मानना चाहो, तो मेरी बात मान लो कि योहन वही एलियाह हैं, जो आने वाले थे।#मल 4:5; मत 17:10-13 15जिसके कान हों, वह सुन ले।
16“मैं इस पीढ़ी की तुलना किस से करूँ? वे बाजार में बैठे हुए बालकों के सदृश हैं, जो अपने साथियों को पुकार कर कहते हैं :
17‘हम ने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजायी
पर तुम नहीं नाचे,
हम ने विलाप किया
किन्तु तुम ने छाती नहीं पीटी’;#नीति 29:9
18क्योंकि योहन आए, पर वह साधारण मनुष्य के समान खाते-पीते नहीं थे। और लोग कहते हैं : ‘उन में भूत है।’#मत 3:4 19मानव पुत्र आया। वह साधारण मनुष्य के समान खाता-पीता है और लोग कहते हैं : ‘देखो, यह आदमी पेटू और पियक्कड़ है। चुंगी-अधिकारियों और पापियों का मित्र है।’#मत 9:14-15 किन्तु परमेश्वर की प्रज्ञ अपने कर्मों से प्रमाणित होती है।#11:19 अथवा, “किन्तु परमेश्वर की बुद्धि परिणामों द्वारा सही प्रमाणित हुई है।” ”
अविश्वासी नगरों को धिक्कार
20तब येशु उन नगरों को धिक्कारने लगे जिनमें उन्होंने सामर्थ्य के बहुत कार्य किये थे#लू 10:12-15 , किन्तु उनके निवासियों ने ये सामर्थ्य के कार्य देख कर भी पश्चात्ताप नहीं किया था। 21येशु ने कहा, “धिक्कार तुझे, खुराजिन! धिक्कार तुझे, बेतसैदा! जो सामर्थ्य के कार्य तुम में किये गये हैं, यदि वे सोर और सदोम में किये गये होते, तो उन्होंने न जाने कब से टाट ओढ़ कर और भस्म रमा कर पश्चात्ताप कर लिया होता।#योना 3:6 22इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा सोर और सदोम की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी।
23“और तू, कफरनहूम! क्या तू आकाश तक ऊंचा उठाया जाएगा? नहीं! तू अधोलोक में नीचे गिरा दिया जाएगा; क्योंकि जो सामर्थ्य के कार्य तुझ में किये गये हैं, यदि वे सदोम में किये गये होते, तो वह आज तक बना रहता।#मत 4:13; 8:5; 9:1; यश 14:13-15 24इसलिए मैं तुझ से कहता हूँ, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा सदोम की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी।#मत 10:15 ”
निर्दोष हृदय की प्रशंसा
25उस समय येशु ने कहा,#लू 10:21-22; तोब 7:17 “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ; क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और बुद्धिमानों से गुप्त रखा; किन्तु बच्चों पर प्रकट किया है।#1 कुर 1:26-29 26हाँ, पिता! यही तुझे अच्छा लगा।”
प्रेमपूर्ण निमंत्रण
27“मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। पुत्र को कोई नहीं जानता, पर केवल पिता; और न कोई पिता को जानता है, पर केवल पुत्र और वह, जिस पर पुत्र उसे प्रकट करना चाहे।#मत 28:18; यो 3:35; 17:2; फिल 2:9
28“हे सब थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो!#प्रव 6:24-30; 24:19; 51:23-26 मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।#मत 12:20; यिर 31:25 29मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा में शान्ति पाओगे,#यिर 6:16 30क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हलका है।”#1 यो 5:3
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