जन-गणना पुस्तक परिचय
पुस्तक परिचय
मिस्र देश से ‘निर्गमन’ कर इस्राएली लोग सीधे सीनय पर्वत तक पहुँच गए। अब उन्हें सीनय पर्वत से प्रस्थान कर उस देश की पूर्वी सीमा पर पहुँचना था, जिसको देने की प्रतिज्ञा प्रभु परमेश्वर ने उनसे की थी। लेकिन प्रस्थान के पश्चात् उन्हें उस “प्रतिज्ञाबद्ध देश” (अर्थात् कनान देश) तक पहुँचने में प्राय: चालीस वर्ष लगे। इन्हीं चालीस वर्षों में घटी घटनाओं का इतिहास जन-गणना ग्रंथ में वर्णित है।
पुस्तक का नामकरण एक विशेष घटना के कारण हुआ है। मूसा ने सीनय पर्वत से प्रस्थान करने के पूर्व इस्राएली कौम की जन-गणना की थी। इस प्रथम जन-गणना के पश्चात्, सम्भवत: एक पीढ़ी समाप्त होने के पश्चात्, यर्दन नदी की पूर्व दिशा में स्थित मोआब देश पहुँचने पर इस्राएलियों की दूसरी बार जन-गणना की गई थी। जनगणना वास्तव में प्रस्तुत ग्रंथ की प्रमुख विषय-वस्तु बन गई है।
इन दोनों जनगणनाओं के मध्य की अवधि में इस्राएली लोग कनान देश की दक्षिणी सीमा पर स्थित “कादेश बर्नेअ” के मरूद्यान तक पहुँचे थे। किन्तु वे वहाँ से कनान देश में प्रवेश नहीं कर सके। वे अनेक वर्षों तक भटकते रहे। अन्तत: वे मोआब देश पहुँचे। इस्राएली समुदाय का एक कुल और एक आधा कुल वहाँ, यर्दन नदी के पूर्वी तट के क्षेत्र में ही बस गए। शेष समुदाय यर्दन नदी को पार कर कनान देश में प्रवेश करने का प्रयत्न करने लगा।
जन-गणना ग्रंथ में एक ऐसी कौम का वर्णन हुआ है जो संकट की घड़ी में निरुत्साहित और भयभीत हो जाती थी। वह कठिनाई का सामना नहीं कर पाती थी। लोग ऐसे अवसर पर मूसा के विरुद्ध, जिनको परमेश्वर ने उनका नेता नियुक्त किया था, विद्रोह कर देते थे। किन्तु सम्पूर्ण ग्रंथ में जगह-जगह परमेश्वर का सत्य-प्रेम प्रकट किया गया है : वह अपने निज लोगों की मानवीय दुर्बलता और उनके आज्ञा-उल्लंघन के बावजूद निरंतर उनकी देखभाल करता है। दूसरी ओर हम मूसा के विषय में पढ़ते हैं कि यद्यपि वह कभी-कभी अधीर और हतोत्साहित हो जाते हैं, फिर भी परमेश्वर और इस्राएलियों के प्रति उनकी निष्ठा में कमी नहीं आती।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
1. सीनय पर्वत से प्रस्थान की तैयारी 1:1−9:23
(क) प्रथम जनगणना 1:1−4:49
(ख) भिन्न-भिन्न विधि-विधान और नियम 5:1−8:26
(ग) दूसरा पास्का (फसह) का पर्व 9:1-23
2. सीनय पर्वत से मोआब देश तक 10:1−21:35
3. मोआब देश में घटी घटनाएँ 22:1−32:42
4. मिस्र देश से मोआब देश तक की यात्रा का सारांश 33:1-49
5. यर्दन नदी को पार करने के पूर्व दिए गए निर्देश 33:50−36:13
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