भजन संहिता 115

115
परमेश्‍वर और मूर्तियां
1हे प्रभु, हमारी नहीं,
हमारी नहीं,
वरन् अपने नाम की महिमा कर!
क्‍योंकि तू ही करुणा और सत्‍य से
परिपूर्ण है।#यहेज 36:22
2राष्‍ट्र क्‍यों यह कहें,
‘उनका परमेश्‍वर कहां है?’
3हमारा परमेश्‍वर स्‍वर्ग में है;
जो उसको पसन्‍द आता है,
वही कार्य वह करता है।
4राष्‍ट्रों की मूर्तियां सोना-चांदी हैं,
वे मनुष्‍यों के हाथों का काम हैं!#भज 135:15,18; यिर पत्र 4-73
5उनके मुंह तो हैं, पर वे बोलतीं नहीं;
उनके आंखें हैं, किन्‍तु वे देख नहीं सकतीं।#प्रक 9:20
6उनके कान हैं, परन्‍तु वे सुन नहीं सकतीं;
उनके नाक भी हैं, लेकिन वे सूंघ नहीं
सकतीं।
7उनके हाथ तो हैं, पर वे स्‍पर्श नहीं कर
सकतीं;
उनके पैर भी हैं, किन्‍तु वे चल नहीं सकतीं।
वे अपने कण्‍ठ से शब्‍द भी नहीं निकाल
सकतीं।
8जो उन्‍हें बनाते हैं;
वे उन्‍हीं मूर्तियों के सदृश निर्जीव हैं।
वे भी बेजान हैं,
जो उन पर भरोसा करते हैं।#यश 44:9-10
9ओ इस्राएली जनता, प्रभु पर भरोसा कर!
वही तेरा सहायक और तेरी ढाल है।
10ओ हारून वंश के पुरोहितो,
प्रभु पर भरोसा करो!
वही तुम्‍हारा सहायक और तुम्‍हारी ढाल है।
11ओ प्रभु के श्रद्धालु भक्‍तो,
प्रभु पर भरोसा करो।
वही तुम्‍हारा सहायक और तुम्‍हारी ढाल है।
12प्रभु ने हमें स्‍मरण किया,
वह हमें आशिष देगा;
वह इस्राएली प्रजा को आशिष देगा;
वह हारून वंश के पुरोहितों को आशिष
देगा;
13प्रभु अपने श्रद्धालु भक्‍तों को,
बड़े-छोटे सब को आशिष देगा।#प्रक 19:5
14प्रभु तुम्‍हारी बढ़ती करे,
तुम्‍हारी और तुम्‍हारे पुत्र-पुत्रियों की।
15तुम प्रभु से आशिष पाओ;
प्रभु आकाश और पृथ्‍वी का सृजक है।
16स्‍वर्ग, प्रभु का ही स्‍वर्ग है,
पर उसने मनुष्‍य-जाति को पृथ्‍वी प्रदान की है।
17मृतक प्रभु की स्‍तुति नहीं करते,
क्‍योंकि वे मृतक-लोक की खामोशी में
डूब जाते हैं।
18पर हम अब से सदा तक
प्रभु को धन्‍य कहेंगे।
प्रभु की स्‍तुति करो!

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