भजन संहिता 27
27
प्रभु मेरी ज्योति और मेरा सहायक है
दाऊद का।
1प्रभु मेरी ज्योति और मेरा सहायक है;
तब मैं किससे डरूँ?
प्रभु मेरा जीवन-रक्षक है;
तब मैं क्यों भयभीत होऊं?#मी 7:8
2जब कुकर्मी मुझे फाड़-खाने के लिए
मुझ पर आक्रमण करते हैं
तब वे−मेरे शत्रु, मेरे बैरी
लड़खड़ाकर गिर पड़ेंगे।
3यद्यपि सेना ने मुझे घेरा है,
तोभी मेरा हृदय आतंकित न होगा;
यद्यपि मेरे विरुद्ध युद्ध छिड़ा है;
फिर भी मैं आश्वस्त रहूँगा।
4मैंने केवल एक वरदान प्रभु से मांगा है;
मैं जीवन पर्यन्त प्रभु के घर में निवास करूँ,
और प्रभु के सौन्दर्य को निहार सकूँ;
उसके भवन में दर्शन करूँ।
मैं इसी वरदान की खोज करूँगा।
5प्रभु संकट के दिन मुझे अपने मंडप में छिपा
लेगा;
वह अपने शिविर के भीतर मुझे आश्रय देगा;
वह मुझे चट्टान पर ऊंचा उठाएगा।
6अब चारों ओर के शत्रुओं की अपेक्षा
मेरा मस्तक उन्नत होगा;
मैं प्रभु के शिविर में आनन्द-उल्लास से
बलि चढ़ाऊंगा।
मैं गीत गाऊंगा;
मैं प्रभु का स्तुतिगान करूँगा।
7प्रभु, जब मैं तुझको पुकारू
तब मेरी पुकार सुन;
मुझ पर कृपा कर और मुझे उत्तर दे।
8तूने कहा था : “तुम मेरे मुख की खोज
करो।”
मेरा हृदय तुझ से यह कहता है,
“हे प्रभु, मैं तुझ को ही खोजता हूँ।” #भज 105:4; हो 5:15
9अपना मुख मुझ से न छिपा!
क्रोध में अपने सेवक को दूर न कर।
तू ही मेरा सहायक था,
हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर!
मेरा परित्याग न कर;
मुझको मत छोड़।
10मेरे माता-पिता भले ही मुझे छोड़ दें,
प्रभु मुझे ग्रहण करेगा।#यश 9:15
11प्रभु, मुझे अपना मार्ग दिखा;
उन लोगों के कारण जो मेरी घात में हैं,
मुझे समतल मार्ग पर ले चल।
12मुझे मेरे बैरियों की इच्छा पर न छोड़;
क्योंकि झूठे गवाह मेरे विरुद्ध खड़े हुए हैं;
वे हिंसा करने की धुन में हैं।
13मुझे विश्वास है कि
मैं जीव-लोक में
प्रभु की भलाई का दर्शन करूँगा।
14प्रभु की प्रतीक्षा करो;
शक्तिशाली बनो;
और तुम्हारा हृदय साहसी हो;
निश्चय ही प्रभु की प्रतीक्षा करो।
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