भजन संहिता 52

52
दुर्जन का अहंकार निस्‍सार है#1 शम 22:9-10
मुख्‍यवादक के लिए। दाऊद का मसकील। जब एदोम देश के दोएग ने शाऊल पर यह प्रकट किया और कहा “दाऊद अहीमेलेक के घर में आया है।”
1अरे अत्‍याचारी#52:1 अथवा, “शक्‍तिमान” । , क्‍यों तू अपने कुकर्मों
पर अहंकार करता है?
परमेश्‍वर की करुणा सदा बनी रहती है।#1 शम 21:7
2सान चढ़ी छुरी के समान,
छल-कपट में निरन्‍तर कार्यरत
तेरी जीभ विनाश के षड्‍यन्‍त्र रचती है।
3तुझे भलाई से अधिक बुराई,
सच बोलने की अपेक्षा झूठ प्रिय है।#यिर 9:4-5
सेलाह
4अरी कपटी जीभ!
तू सब विनाशकारी बातों को प्‍यार करती है।
5अरे अत्‍याचारी,
परमेश्‍वर तुझे सदा के लिए धूल में मिला
देगा,
वह तुझे पकड़ कर तेरे निवास-स्‍थान से
निकाल देगा;
वह तुझे जीव-लोक से उखाड़ देगा।
सेलाह
6धार्मिक यह देखकर भयभीत होंगे,
वे उसका उपहास करेंगे।
वे यह कहेंगे:
7“देखो, उस शक्‍तिमान को,
जिसने परमेश्‍वर को अपना गढ़ नहीं बनाया,
वरन् जिसने अपने धन-वैभव की प्रचुरता
पर भरोसा किया,
और अपनी धन-सम्‍पत्ति को अपना गढ़
माना।”
8पर मैं परमेश्‍वर के घर मे हरे-भरे जैतून वृक्ष
के सदृश हूँ;
मैं परमेश्‍वर की करुणा पर सदा भरोसा
करता हूँ।#भज 92:13; यिर 11:16
9हे परमेश्‍वर, मैं सदा-सर्वदा तेरी स्‍तुति करता
रहूंगा;
क्‍योंकि तूने यह कार्य किया है।
मैं तेरे नाम का यशोगान तेरे भक्‍तों के सम्‍मुख
करूंगा;
क्‍योंकि तेरा नाम उत्तम है।

वर्तमान में चयनित:

भजन संहिता 52: HINCLBSI

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in