भजन संहिता 58
58
न्याय-दण्ड के लिए प्रार्थना
मुख्यवादक के लिए। “नष्ट मत करो” के अनुसार। दाऊद का मिकताम।
1ओ प्रभुत्व सम्पन्न मनुष्यों!
क्या तुम निश्चय ही सच्चाई से निर्णय
करते हो?
ओ अधिकार से मंडित लोगो!
क्या तुम सत्यनिष्ठा से न्याय करते हो?
2नहीं, तुम हृदय में अनिष्ट की योजनाएँ बनाते हो;
देश में अपने हाथों से हिंसात्मक कार्यों को
तौलते हो!
3मां के पेट से ही दुर्जन भटक जाते हैं;
झूठे व्यक्ति जन्म से ही पथ-भ्रष्ट होते हैं।
4उनमें सर्प के विष जैसा विष है;
वे बहरे नाग के समान हैं
जो अपने कान बंद कर लेता है,#व्य 32:33; भज 140:3
5जिससे संपेरा का स्वर,
निपुण जादू-टोना करनेवाले का मन्त्र वह
सुन न सके!
6हे परमेश्वर, उनके दांत उनके मुंह ही में तोड़ दे।
हे प्रभु, तरुण सिंहों के दन्तमूल उखाड़ ले।
7वे बहते पानी के समान विलीन हो जाएं;
वे पगडण्डी की घास के सदृश
दब कर सूख जाएं।#58:7 मूल में ‘वे शक्तिहीनों के सदृश तीर चढ़ाएं’
8वे घोंघे बन जाएं,
जो रेंगते समय नष्ट हो जाता है;
वे स्त्री के गर्भपात के समान सूरज का प्रकाश
न देख सकें।#अय्य 3:16
9इसके पूर्व कि
कंटीली झाड़ी में कांटे उगें,
परमेश्वर बवंडर में
हरी अथवा सूखी झाड़ी को
उड़ा ले जाएगा#58:9 अथवा, “इसके पूर्व कि तुम्हारी हंडियों में कांटों की आंच लगे, कच्चे और जलते हुए, दोनों को परमेश्वर बवंडर में उड़ा ले जाएगा।”
10जब धार्मिक व्यक्ति यह प्रतिशोध देखेगा
तब वह प्रसन्न होगा;
वह दुर्जन के रक्त#58:10 अथवा, ‘दुर्जन के रक्तपात से’ में अपने पैर धोएगा।
11मनुष्य यह कहेंगे,
“निश्चय, धार्मिकों के लिए पुरस्कार है,
निस्सन्देह, परमेश्वर है, जो पृथ्वी पर
न्याय करता है।”
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भजन संहिता 58: HINCLBSI
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