भजन संहिता 85

85
परमेश्‍वर की दया-प्राप्‍ति के लिए प्रार्थना
मुख्‍यवादक के लिए। कोरह वंशियों का। एक भजन।
1हे प्रभु, तू अपने देश से प्रसन्न था;
तूने इस्राएल की समृद्धि
उसे पुन: प्रदान की थी।
2तूने अपनी प्रजा के अधर्म क्षमा किए थे;
तूने उसके समस्‍त पापों को ढांपा था।
सेलाह
3तूने अपने क्रोध का शमन किया था;
तूने अपनी क्रोधाग्‍नि शांत की थी।
4हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर,
हमें पुन: समृद्ध कर,
अपना रोष हमसे दूर रख।
5क्‍या तू सदा ही हमसे नाराज रहेगा?
क्‍या तू पीढ़ी से पीढ़ी
अपना क्रोध बनाए रखेगा?
6क्‍या तू हमें पुनर्जीवित नहीं करेगा
जिससे तेरी प्रजा तुझ में आनन्‍दित हो?
7हे प्रभु, हमें अपनी करुणा के दर्शन करा;
अपना उद्धार हमें प्रदान कर।
8मुझे सुनने दो,
कि प्रभु परमेश्‍वर क्‍या कहता है?
वह अपनी प्रजा से, अपने भक्‍तों से, और
उनसे,
जो हृदय से उसकी ओर लौटते हैं,#85:8 मूल में, ‘जिससे वे मूर्खता की ओर न लौटें” ।
शान्‍तिप्रद वचन बोलेगा।
9निश्‍चय प्रभु का उद्धार उन लोगों के समीप है
जो उससे डरते हैं;
प्रभु की महिमा हमारे देश में निवास करेगी।
10करुणा और सच्‍चाई आपस में मिलेंगी,
धार्मिकता एवं शान्‍ति परस्‍पर चुंबन करेंगी।#भज 89:14; यो 1:17; यहेज 43:4
11धरती से सच्‍चाई अंकुरित होगी,
और स्‍वर्ग से धार्मिकता दृष्‍टिपात करेगी।#यश 45:8
12सचमुच प्रभु वरदान देगा,
और हमारी धरती अपनी उपज प्रदान करेगी।#भज 67:6
13धार्मिकता उसके आगे-आगे चलेगी
और अपने पद-चिह्‍नों से#85:13 अथवा, ‘उसके पद-चिह्‍नों के लिए’ मार्ग बनाएगी।#यश 58:8

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भजन संहिता 85: HINCLBSI

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