प्रकाशन 2
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सात कलीसियाओं के नाम पत्र : इफिसुस
1“इफिसुस की कलीसिया के दूत को यह लिखो :
“जो अपने दाहिने हाथ में सात तारों को धारण किये है और सोने के सात दीपाधारों के बीच घूम रहा है, उसका सन्देश इस प्रकार है#प्रक 1:13,16,20 : 2मैं तुम्हारे आचरण, तुम्हारे परिश्रम और धैर्य से परिचित हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम दुष्टों को सह नहीं सकते। जो अपने को प्रेरित कहते हैं, किन्तु हैं नहीं, तुमने उनकी परीक्षा ली है और उन्हें झूठ पाया है।#1 यो 4:1 3तुम्हारे पास धैर्य है। तुमने मेरे नाम के कारण कष्ट सहा है और हार नहीं मानी। 4किन्तु मुझे तुम से शिकायत यह है कि तुमने मेरे प्रति अपना पहले-जैसा प्रेम छोड़ दिया है। 5इस पर विचार करो कि तुम कितने ऊंचे स्थान से गिर गये हो। पश्चात्ताप करो और पहले-जैसा आचरण करो। पश्चात्ताप नहीं करोगे, तो मैं तुम्हारे पास आ कर तुम्हारा दीपाधार उसके स्थान पर से हटा दूँगा। 6फिर भी तुम में यह अच्छाई है कि मेरे समान तुम भी निकोलास के अनुयायियों के कामों से घृणा करते हो।#भज 139:21
7“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्वर की स्वर्ग-वाटिका के बीच में है।#प्रक 22:2; यहेज 31:8 (यू. पाठ); उत 2:9; 3:22,24; लू 23:43; 2 कुर 12:4
स्मुरना
8“स्मुरना की कलीसिया के दूत को यह लिखो :
“जो प्रथम और अन्तिम है, जो मर गया था और पुनर्जीवित हो गया है, उसका सन्देश इस प्रकार है#यश 44:6; 48:12 : 9मैं तुम्हारे संकट और दरिद्रता से परिचित हूँ। फिर भी तुम धनी हो; और मैं यह भी जानता हूँ कि वे लोग तुम्हारी कितनी बदनामी करते हैं जो अपने को “यहूदा-वासी”#2:9 अथवा, “यहूदी” कहते हैं, किन्तु जो यहूदा के नहीं, बल्कि शैतान के सभागृह के सदस्य हैं।#प्रक 3:9; याक 2:5; 2 कुर 11:14-15 10तुम्हें जो कष्ट भोगना होगा, उस से मत डरो। शैतान तुम्हारी परीक्षा लेने के उद्देश्य से तुम लोगों में से कुछ को क़ैद में डाल देगा और तुम लोग दस दिनों तक संकट में पड़े रहोगे। तुम मृत्यु तक विश्वस्त बने रहो और मैं तुम्हें जीवन का मुकुट प्रदान करूँगा।#दान 1:12,14; मत 10:28; प्रक 3:11; 2 तिम 4:8
11“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको द्वितीय मृत्यु से कोई हानि नहीं होगी।#प्रक 20:14
पिरगमुन
12“पिरगमुन की कलीसिया के दूत को यह लिखो:
“जिसके पास तेज दुधारी तलवार है, उसका सन्देश इस प्रकार है#यश 49:2; इब्र 4:12; प्रक 1:16; 19:15 : 13मैं जानता हूँ कि तुम्हारा निवास कहाँ है- वह उस स्थान में है, जहाँ शैतान की गद्दी है। फिर भी तुम मेरा नाम दृढ़ बनाये रखते हो और तुमने उन दिनों भी मुझ में अपना विश्वास नहीं त्यागा, जब मेरा विश्वस्त साक्षी अन्तिपास तुम्हारे नगर में, जो शैतान का निवास स्थान है, मारा गया।#प्रक 2:9; 3:8 14किन्तु मुझे तुम से कुछ शिकायतें हैं। तुम्हारे बीच कुछ ऐसे लोग रहते हैं, जो बिलआम की शिक्षा को मानते हैं। बिलआम ने बालाक को सिखाया कि वह इस्राएलियों को पथभ्रष्ट करे, जिससे वे मूर्तियाँ को अर्पित मांस खायें और व्यभिचार करें।#गण 31:16; 25:1-2; यहू 11 15तुम्हारे बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो निकोलास के अनुयायियों की शिक्षा मानते हैं। 16इसलिए पश्चात्ताप करो; नहीं तो मैं शीघ्र ही तुम्हारे पास आऊंगा और अपने मुख की तलवार से उन लोगों से युद्ध करूँगा।
17“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको मैं थोड़ा-सा गुप्त “मन्ना” और अनुग्रह का प्रतीक श्वेत पत्थर#2:17 शब्दश:, “(मतदान में प्रयुक्त) श्वेत गुटिका” प्रदान करूँगा। उस पत्थर पर एक नया नाम अंकित होगा, जिसको पानेवाले के अतिरिक्त और कोई नहीं जानता।#भज 78:24; प्रक 3:12; यश 62:2; 65:15
थुआतीरा
18“थुआतीरा की कलीसिया के दूत को यह लिखो :
“जिसकी आँखें अग्नि की तरह धधकती हैं और जिसके पैर पीतल की तरह चमकते हैं, उस परमेश्वर-पुत्र का सन्देश इस प्रकार है#दान 10:6 : 19मैं तुम्हारे आचरण, तुम्हारे प्रेम, तुम्हारे विश्वास, तुम्हारी धर्मसेवा और तुम्हारे धैर्य से परिचित हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे ये पिछले कार्य तुम्हारे पहले के कार्यों से बढ़कर हैं। 20किन्तु मुझे तुम से यह शिकायत है कि तुम उस स्त्री ईजेबेल को अपने बीच रहने देते हो। वह अपने को नबिया कहती है और अपनी शिक्षा द्वारा मेरे सेवकों को व्यभिचार करने और मूर्तियों को अर्पित मांस खाने के लिए बहकाती है।#1 रा 16:31; 2 रा 9:22; गण 25:1-2 21मैंने उसे पश्चात्ताप करने का समय दिया, किन्तु वह अपने व्यभिचार के लिए पश्चात्ताप करना नहीं चाहती। 22देखो, मैं उसे रोग-शय्या पर पटक दूँगा और यदि उसके साथ व्यभिचार करनेवाले उसके कर्मों से विमुख नहीं होंगे, तो मैं उन पर घोर विपत्ति ढाऊंगा। 23मैं उसकी सन्तति का संहार करूंगा और सब कलीसियाएँ यह जान जायेंगी कि मैं वह हूँ, जो मन और ह्रदय की थाह लेता है और मैं तुम में से हर एक को उसके कर्मों का फल दूँगा।#भज 7:9; 62:12; यिर 17:10; मत 16:27 24थुआतीरा के शेष लोगों से, जो इस शिक्षा को नहीं मानते और शैतान के तथा-कथित गहरे भेदों को नहीं जानते, उन सब से मैं यह कहता हूँ : मैं तुम लोगों पर कोई नया बोझ नहीं डालूँगा। 25जो शिक्षा तुम्हारे पास है, उस पर मेरे आने तक दृढ़ बने रहो।#प्रक 3:11
26“जो विजय प्राप्त करेगा, और अन्त तक मेरे कार्यों को पूरा करता रहेगा, मैं उसे राष्ट्रों पर वह अधिकार प्रदान करूँगा,#भज 2:8 (यू. पाठ) 27-28जिसे मेरे पिता ने मुझे प्रदान किया है।#प्रक 12:5 वह लोह-दण्ड से राष्ट्रों पर शासन करेगा और उन्हें मिट्टी के पात्रों की तरह चकनाचूर कर देगा और मैं उस विजयी को प्रभात का तारा प्रदान करूँगा। 29जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।
वर्तमान में चयनित:
प्रकाशन 2: HINCLBSI
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